जूडो में भारत की सुशीला देवी ने कमाल का प्रदर्शन किया और कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में मेडल अपने नाम किया.

जूडो में भारत का कमाल

भारत की जुडोका सुशीला देवी लिकमाबाम ने जूडो के महिला वर्ग में 48 किलोग्राम भारवर्ग में रजत पदक हासिल किया

जीता सिल्वर

फाइनल में सुशीला को दक्षिण अफ्रीका की मिकेला व्हीटबोई ने हरा दिया. 4.25 मिनट तक चले मुकाबले में व्हीबोई ने पहले आर्म लॉक के जरिए सुशीला फंसा लिया और नीचे गिरा दिया.

Fastest 150 wickets in One-Day International Match

अफ्रीकी खिलाड़ी से मिली मात

इपपोन होने पर एक फुल पॉइंट दिया जाता है और खिलाड़ी जीत जाता है. सुशीला ने सेमीफाइनल में इसी तरह से जीत हासिल की थी. वहीं, अगर थ्रो कम ताकत से किया गया, तो उसे वजा-आरी कहते हैं.

जूडो के नियम

सुशीला इससे पहले भी राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीत चुकी हैं. वह 2014 में राष्ट्रमंडल खेलों में जूडो में भारत के लिए पदक जीतने वालीं पहली भारतीय महिला बनीं थीं.

पहले भी जीत चुकी हैं पदक

 सुशीला का जन्म एक फरवरी 1995 को हुआ था. वह मणिपुर की मूल निवासी हैं. सुशीला को बचपन से ही जूडो का शौक था, क्योंकि उनका परिवार ही इस खेल से जुड़ा रहा है.

जूडो ही सबकुछ

परिवार का भी जूडो से नाता


संकेत के नाम हैं रिकॉर्ड

सुशीला के बड़े भाई और चाचा जूडो करते थे. इसके बाद सुशीला ने भी ट्रेनिंग शुरू की. उन्होंने 2007 से 2010 तक मणिपुर स्थित SAI में ट्रेनिंग ली. सुशीला के पास बाहर जाने तक के पैसे नहीं होते थे.

सुशीला ने CWG के अलावा 2019 साउथ एशियन गेम्स में गोल्ड. 2020 टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई. और अब CWG 2022 में रजत.

उपलब्धियां

सुशीला भारत की दिग्गज बॉक्सर मैरीकॉम को अपना आदर्श मानती हैं और उन्हीं की तरह देश के लिए वर्ल्ड चैंपियनशिप और ओलिंपिक में पदक जीतना चाहती हैं.

लक्ष्य

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