इंग्लैंड की टीम तीन टेस्ट मैचों के लिए पाकिस्तान दौरे पर है. दोनों के बीच सीरीज सात अक्टूबर से मुल्तान में शुरू हुई. मुल्तान टेस्ट शुरू होने से पहले पाकिस्तान में हुए आतंकवादी हमले से हड़कंप मच गया है. कराची एयरपोर्ट के बाहर रविवार देर रात बड़ा धमाका हुआ, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और काफी लोग घायल हो गए. धमाका एयरपोर्ट के बाहर एक टैंकर में हुआ. विस्फोट इतना बड़ा था कि एयरपोर्ट की इमारतें तक हिल गई.
इस ब्लास्टक के बाद तो सोशल मीडिया पर आईसीसी से चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन पाकिस्तान में ना किए जाने की मांग की जाने लगी है. दरअसल पाकिस्तान में अगले साल फरवरी में चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन होना है, जिसकी तैयारी में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड जुटा हुआ है. इस बीच पाकिस्तान के कराची जैसे बड़े शहर में बम ब्लास्ट जैसी घटना ने एक बार फिर सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए है.लोगों का कहना है कि आईसीसी को पाकिस्तान में चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी पर फिर से सोचना चाहिए. कुछ फैंस ने तो इंग्लैंड को भी पाकिस्तान से जाने की सलाह दी है.
पाकिस्तान में विदेशी टीमों की सुरक्षा हमेशा से ही सबसे बड़ा मुद्दा रही है. विदेशी टीमों पर हमले के कारण कई साल तक पाकिस्तान के क्रिकेट मैदान सूने पड़े रहे थे. यहां तक कि पाकिस्तान टीम को भी घरेलू मैच यूएई में खेलने पड़े थे. साल 2009 में लाहौर में गद्दाफी स्टेडियम के बाहर श्रीलंका टीम की बस पर हमला हुआ था, जिसमें कई श्रीलंकाई खिलाड़ी गंभीर रूप से चोटिल हो गए थे. उस हमले ने क्रिकेट की दुनिया को हिला के रख दिया था. इतना ही नहीं पाकिस्तान क्रिकेट को भी तगड़ा झटका लगा था.
पाकिस्तान में इंटरनेशनल क्रिकेट को सस्पेंड कर दिया गया था. इसके छह साल बाद यानी 2015 में जिम्बाब्वे की टीम ने पाकिस्तान का दौरा किया. वो 2009 के बाद से पाकिस्तान का दौरा करने वाले पहली फुल मेंबर टीम थी. इसके बाद बांग्लादेश की महिला टीम ने दौरा किया और फिर साल 2017 में पाकिस्तान सुपर लीग का फाइनल खेला गया, मगर केविन पीटरसन, ल्यूक राइट समेत कई प्लेयर्स ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान का दौरा करने से मना कर दिया था. हालांकि इसके बाद धीरे-धीरे पाकिस्तान में क्रिकेट की वापसी हुई, मगर चैंपियंस ट्रॉफी के ठीक पहले हुए बम ब्लास्ट ने एक बार फिर प्लेयर्स की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है.