कतर में जारी फीफा वर्ल्ड कप 2022 के सेमीफाइनल में एक बार फिर से फ्रांस का जादू चला और मोरक्को की मजबूत दीवार को शुरुआती पांच मिनट में ही धाराशाई करके उनकी टीम ने इस देश पर अपनी बादशाहत कायम रखी. मोरक्को पर 1912 से 1956 के बीच फ्रांस का शासन रहा था. अब वर्ल्ड कप में भी फ्रांस ने मोरक्को को 2-0 से हराकर लगातार दूसरी बार फाइनल में जगह बना डाली. इस तरह वर्ल्ड कप के इतिहास के 60 साल बाद कोई डिफेंडिंग चैंपियन टीम अब फाइनल खेलेगी. इससे पहले ब्राजील ने 1958 वर्ल्ड कप जीतने के बाद 1962 फीफा वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई थी. अब फ्रांस का सामना फाइनल में लियोनल मेसी की अर्जेंटीना से होगा. वहीं फीफा वर्ल्ड कप के इतिहास में पहली बार बतौर अफ्रीकी टीम होते हुए सेमीफाइनल खेलने वाली मोरक्को का फाइनल में जाने का सपना धरा रह गया.
5 मिनट में ही धाराशाई हुई मोरक्को की दीवार
मैच की शुरुआत के दौरान ही फ्रांस को दो बड़े झटके लगे. उसकी टीम से अभी तक फीफा वर्ल्ड कप में धमाल मचाने वाले एड्रियन रैबियो और डायोट उप्मेकानो बीमार पड़ने के चलते मैच से बाहर हो गए. ये दोनों मिडफील्ड में अभी तक खेल रहे थे. हालांकि इसके बावजूद फ्रांस ने अल बायत स्टेडियम में मोरक्को की दीवार को भेदने में देर नहीं लगाई और मैच के 5वें मिनट में ही उसके थियो हर्नांडेज़ ने शानदार गोल दागकर फ्रांस को मैच में 1-0 से आगे कर डाला. इस तरह अभी तक फीफा वर्ल्ड कप 2022 में एक भी गोल ना खाने वाली मोरक्को के 5 खिलाड़ियों से सजा मजबूत डिफेंस शुरुआत में कमजोर पड़ गया. मोरक्को की टीम अभी तक एक भी गोल नहीं खाई थी बल्कि एक आत्मघाती गोल ही उसके खिलाड़ी से हो गया था.
फ्रांस ने दागे 10 शॉट्स
हालांकि एक गोल के बाद भी फ्रांस ने हमला करना नहीं बंद किया और पहले हाफ के अंत तक कुल 10 शॉट्स लगाए. जिसमें से उन्हें एक गोल मिला. वहीं मोरक्को की टीम ने पहले हाफ में कुल 5 शॉट्स लगाए. जिसमें से दो टारगेट में भी गए मगर फ्रांस के गोलकीपर लौरिस ने एक बेहतरीन सेव भी किया. जिसके चलते पहला हाफ 1-0 पर ही समाप्त हुआ.
44 सेकेंड में दागा गोल
फ्रांस ने अपनी टीम में बदलाव किया और मैच के 79वें मिनट में उस्मान डेम्बेले की जगह मैदान में रैंडल कोलो मुआनी आए. हालांकि उन्होंने आते ही करिश्मा किया और 44वें सेकेंड में फ्रांस के लिए दूसरा गोल दाग डाला. जिसके चलते बतौर सब्सीट्यूट मैदान में आकर सबसे जल्दी गोल दागने के मामले में रैंडल कोलो दूसरे खिलाड़ी बने. इससे पहले एबे सैंड ने 1998 फीफा वर्ल्ड कप में डेनमार्क से खेलते हुए बतौर सब्सीट्यूट मैदान में आकर 16वें सेकंड में नाइजीरिया के खिलाफ गोल किया था.
फाइनल में पहुंचा फ्रांस
इस तरह फ्रांस ने अब मैच में 2-0 की मजबूत बढ़त बना ली थी और कतर के स्टेडियम में फ्रांस के फैंस ख़ुशी से झूम उठे क्योंकि उन्हें अब फाइनल की राह नजर आने लगी थी. इस तरह 2-0 से पिछड़ने के बाद मोरक्को की टीम फिर बाद में पलटवार नहीं कर सकी और उनकी टीम अंतिम सीटी बजने तक मैच में एक भी गोल नहीं कर सकी. जिसके चलते फ्रांस ने मैच में 2-0 से जीत हासिल की और मोरक्को का करिश्माई सफर यहीं पर समाप्त हो गया. उसने सेमीफाइनल तक के सफर में बेल्जियम, स्पेन और पुर्तगाल जैसी बड़ी टीमों को हराकर तीन बड़े उलटफेर किए थे.