फुटबॉल का खेल दुनिया में खूब देखा और पसंद किया जाता है. लेकिन बहुत सारे लोगों के लिए इसे समझना टेढ़ी खीर होता है. इस खेल में भी कुछ ऐसे नियम हैं जो आसानी से समझ नहीं आते हैं. कतर में फीफा वर्ल्ड कप 2022 के शुरू होने से पहले स्पोर्ट्स तक आपको आसान भाषा में बता रहा है इस खेल से जुड़े नियमों के बारे में.
फुटबॉल का एक मुकाबला 90 मिनट तक खेला जाता है. इसमें 45-45 मिनट के दो हाफ होते हैं और इनके बीच 15 मिनट का गेम रहता है. मैच के दौरान ज्यादा से ज्यादा गोल विरोधी टीम की पोस्ट में डालने का लक्ष्य रहता है. जो ज्यादा गोल करता है वह जीतता है. एक बार में फुटबॉल में एक टीम में 11 खिलाड़ी मैदान में होते हैं. इन खिलाड़ियों को उनके मैनेजर की तरफ से अलग-अलग रोल दिए होते हैं और ये उसी हिसाब से खेलते हैं. फुटबॉल में गोलकीपर, डिफेंडर, मिडफिल्डर और सेंटर बैक मुख्य पॉजीशन होती हैं. इन्हीं पॉजीशन के हिसाब से खिलाड़ियों की उनकी काबिलियत के हिसाब से रोल बांटे जाते हैं.
फुटबॉल के मैदान की पॉजीशन
गोलकीपर- स्वीपर-कीपर, गोलकीपर.
डिफेंडर- सेंटर बैक, स्वीपर, लेफ्ट बैक, लेफ्ट विंग बैक, राइट बैक, राइट विंग बैक, इन्वर्टेड फुलबैक.
मिडफील्डर- डिफेंसिव मिडफील्डर, अटैकिंग मिडफील्डर, सेंट्रल मिडफील्डर, बॉक्स टू बॉक्स मिडफील्डर.
फॉरवर्ड- विंगर (लेफ्ट और राइट), स्ट्राइकर, सेंटर फॉरवर्ड, प्रेसिंग फॉरवर्ड, पॉचर.
गोल करने के लिए गेंद का पोस्ट के अंदर पूरी तरह से जाना जरूरी होता है. हाथ या कंधे तक की बाजू को छोड़कर शरीर के किसी भी हिस्से से गोल किया जा सकता है गोल पोस्ट आठ फीट लंबी और आठ फीट चौड़ी होती है.
रेफरी और उनकी भूमिका
खेल के दौरान पांच रेफरी होते हैं. एक मैदान के अंदर होता है, दो लाइंसमैन होते हैं जो मैदान के दोनों हिस्सों में रहते हैं. चौथा रेफरी इन तीनों को देखता है और पांचवां वीडियो असिस्टेंट रेफरी (VAR)होता है. VAR बाकी रेफरी की तरफ से लिए गए किसी भी फैसले को बदल सकता है. रेफरी के पास येलो और रेड कार्ड के जरिए खिलाड़ियों को सजा देने की ताकत होती है. जब कोई खिलाड़ी खेल के दौरान गड़बड़ी करता है तो उसे चेतावनी देने के लिए येलो और मैदान से बाहर भेजने के लिए रेड कार्ड दिया जा सकता है. खिलाड़ी को कार्ड दिखाए जाने को बुकिंग्स कहते हैं. एक बार जब खिलाड़ी को रेड कार्ड दे दिया जाता है तो उसे रिप्लेस नहीं किया जा सकता. इसका मतलब है कि रेड कार्ड पाने वाली टीम मैच के बचे हुए हिस्से में उसके बिना खेलती है.
अगर किसी खिलाड़ी को दो येलो कार्ड मिल जाते हैं तब भी उसे मैदान से बाहर जाना पड़ता है. रेफरी के पास ऐसा करने का अधिकार होता है. यह उसी पर डिपेंड करता है कि कब किस खिलाड़ी को कार्ड दिखाना है. कई बार रेफरी मैच की शुरुआत में ऐसा करने से बचते हैं. अगर मामला बड़ा है तो बात अलग है. छोटे मामलों में केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है. जब किसी खिलाड़ी को फाउल के लिए सजा दी जाती है तो उसे सजा मिल भी सकती है और नहीं भी मिले. यह रेफरी पर निर्भर करता है. लेकिन हरेक फाउल के लिए फ्री किक दी जाती है. अगर फाउल पेनल्टी बॉक्स के अंदर होती है तब विरोधी टीम को स्पॉट किक दी जाती है जिसमें छह गज से कोई टीम किक लेती है और उसके सामने सिर्फ गोलकीपर होता है. अगर ऑफसाइड होता है तब फ्री किक नहीं दी जाती.
ऑफसाइड के नियम
फुटबॉल में ऑफसाइड को समझना काफी मुश्किल होता है. ऑफसाइड तब होता है जब अटैक करने वाली टीम का खिलाड़ी विरोधी टीम के डिफेंडर से पास लेने के समय गोल के नजदीक रहता है. इस नियम के चलते खिलाड़ी विरोधी टीम के गोल के पास बने रहने से बचे रहते हैं. वहीं ऑनसाइड का मतलब है कि अटैकिंग खिलाड़ी गेंद लेने के समय डिफेंडर से पीछे था. ऑफसाइड नियम के दौरान गोलकीपर को डिफेंडर नहीं माना जाता है. कई लोगों को लगता है कि इस नियम के चलते खेल बर्बाद होता है लेकिन एक तथ्य यह भी है कि इससे खेल काफी रोमांचक और प्रतिस्पर्धी रहता है.
बैक पास का नियम
1992 के यूरो में डेनमार्क ने कमाल का खेल दिखाया और उन्होंने यूरोपियन खिताब जीता. लेकिन वह टूर्नामेंट इसलिए भी याद किया जाता है कि तब काफी नेगेटिव फुटबॉल खेला गया था. तब बैक पास का खूब इस्तेमाल हुआ था. जब कोई खिलाड़ी गेंद वापस अपने गोलकीपर को देता है और वह गेंद को उठा लेता है तब बैक पास होता है. फीफा ने इस नियम को बदल दिया है. अब गोलकीपर जानबूझकर गेंद उठा नहीं सकते हैं.