नई दिल्ली। जूनियर हॉकी विश्व कप में भारत के विजयी अभियान को रोकते हुए जर्मनी ने उनके विश्व कप ट्रॉफी जीतने के सपने को भी चकनाचूर कर दिया. गतचैंपियन भारतीय टीम ने जहां क्वार्टर फाइनल में मजबूत डिफेंस का नजारा पेश करते बेल्जियम को एक भी गोल नहीं करने दिया था. वहीं सेमीफाइनल मैच में जर्मनी ने भारत के डिफेंस में होल करते हुए दनादन गोल दागे. जिसका नतीजा यह रहा की भारत को 2-4 से बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा. इस तरह जर्मनी ने फाइनल में प्रवेश किया जहां उसका सामना अर्जेंटीना से होगा. अर्जेंटीना ने दूसरे सेमीफाइनल मैच फ़्रांस को मात दी थी. भारतीय टीम की तरफ से एक गोल उत्तम सिंह तो दूसरा गोल बॉबी सिंह धामी ही कर सके जबकि जर्मनी के खिलाड़ियों ने चार गोल दागे. इस तरह 6 बार की जूनियर चैंपियन जर्मनी ने 8वीं बार फाइनल में प्रवेश किया. वहीं भारत का मुकाबला कांस्य पदक के लिए फ़्रांस से होगा. जिसके खिलाफ भारत को इस विश्व कप के पहले मैच में हार मिली थी.
पहला क्वार्टर और जर्मनी ने हासिल की बढ़त
जर्मनी की टीम के खिलाड़ियों से शुरू से ही भारतीय डिफेंस में सेंध लगाना शुरू कर दिया था. भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी देखा जाए तो उन्हें बस फॉलो करते नजर आ रहे थे. जिसका नतीज यह रहा कि पहले क्वार्टर का अंत होते-होते जर्मनी ने सफलता भी हासिल कर ली. मैच के 15वें मिनट में एरिक क्लेनलेन ने जर्मनी के लिए पहला गोल दागा और टीम ने 1-0 की बढ़त हासिल कर ली.
दूसरे क्वार्टर में जर्मनी ने बरसाए गोल
पहले क्वार्टर में 1-0 से बढ़त लेने के बाद जर्मनी की टीम भारत पर और हावी होने लगी. दूसरे क्वार्टर में उसके खिलाड़ियों ने एक बार फिर से भारत के खेमें में घुसना शुरू किया और गेंद को हवा में उठाते हुए जर्मनी के होल्जमुल्लर ने शानदार गोल दागा. इस तरह 2-0 से बढ़त लेने के बाद भी जर्मनी नहीं रुका और फिर डीप फील्ड से जर्मनी के कप्तान मुलर हैंस ने शानदार टच के साथ गोल करते हुए 3-0 की बढ़त दिला दी. हालांकि इसके तुरंत बाद भारत ने गोल का खाता खोला और पहली बार जर्मनी के डिफेंस में सेंध लगाते हुए उत्तम सिंह ने 25वें मिनट में गेंद को डिफलेक्ट किया और भारत के लिए पहला गोल दागा. इस तरह भारत का स्कोर 1-3 हुआ ही थी कि जर्मनी गोल करने से नहीं रुकी. दूसरे क्वार्टर के अंत में आते-आते भारतीय खिलाड़ियों से गलती हुई और पेनाल्टी कॉर्नर पर मनजीत ने पैर से ब्लॉक किया. जिसके चलते जर्मनी को पेनाल्टी मिली और उसके क्रिस्टोफर कटर ने बिना गलती किए पेनाल्टी को गोल में तब्दील करके मैच में जर्मनी को 4-1 की बढ़त दिला दी.
तीसरे क्वार्टर में मौके को भुना नहीं सका भारत
दूसरे क्वार्टर के ख़त्म होने के बाद भारत पर दबाव बना और उसने कई बार गोल करने का प्रयास किया. भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार अंदाज में जर्मनी के गोल एरिया में प्रवेश किया मगर एक भी बार मौके को नतीजे में बदल नहीं सके. जबकि जर्मनी के खिलाड़ी तीसरे क्वार्टर में इतने अटैक नहीं कर सके. यही कारण है कि भारत जहां मौके को भुना नहीं सका वहीं जर्मनी को भी गोल करने नहीं दिया. इसी बीच तीसरे क्वार्टर के अंत में मनजीत सिंह के पास गोल करने का सुनहरा मौका बना लेकिन वह भी उसे गोल में तब्दील नहीं कर सके और तीसरे क्वार्टर में भी जर्मनी 4-1 से आगे रहा.
अंतिम समय तक भारत नहीं कर सका वापसी
चौथे और अंतिम क्वार्टर में भारत को जीत के लिए चार जबकि पेनाल्टी शूटआउट तक गेम को ले जाने के लिए तीन गोल करने थे. जो कि जर्मनी के सामने एक कठिन काम था. इसी बीच भारत तो नहीं 52वें मिनट में जर्मनी को पेनाल्टी कॉर्नर मिला लेकिन पवन ने शानदार बचाव किया और बढ़त को 5-1 होने से रोका. हालांकि इसके बाद भी जर्मनी का आक्रमण जारी रहा और उनके एक खिलाड़ी को ग्रीन कार्ड दे दिया गया. इस तरह अंतिम समय में जर्मनी 10 खिलाड़ियों से खेल रही थी. जिसका ख़ास फायदा भारत नहीं उठा सका और विवेक सागर प्रसाद की कप्तानी वाली भारतीय टीम अंत में एक गोल ही कर सकी जो खिताबी ट्रॉफी का बचाव करने के लिए पर्याप्त नहीं था. भारत के लिए अंत में दूसरा गोल बॉबी सिंह धामी ने किया. इस तरह मैच के अंत तक जर्मनी ने 4-2 से जीत हासिल करते हुए फाइनल का टिकट हासिल किया.