अमन सहरावत ने परंपरा जारी रखते हुए भारत को पेरिस ओलिंपिक में कुश्ती में मेडल दिला दिया है. इसी के साथ वो उस परंपरा को बनाए रखने में सफल हुए, जो साल 2008 बीजिंग ओलिंपिक में चलती आ रही है. भारत 2008 ओलिंपिक से कुश्ती में कभी खाली हाथ नहीं रहा. 2008 से भारत को कुश्ती में मेडल मिल रहे है. अमन ने भी पेरिस में उस परंपरा को टूटने नहीं दिया और 57 किलो मेंस फ्रीस्टाइल रेसलिंग कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता है.
पुर्तो रिको के पहलवान डारियन क्रूज को 13-5 से हराकर इसी के साथ इतिहास रच दिया. वो ओलिंपिक जीतने वाले भारत के सबसे कम उम्र के ओलिंपिक मेडलिस्ट बन गए हैं. उन्होंने 21 साल 24 दिन की उम्र में ओलिंपिक मेडल जीता. उन्होंने दो बार की ओलिंपिक मेडलिस्ट स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. सिंधु ने जब साल 2016 में रियो ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीता था, तब उनकी उम्र 21 साल एक महीने 14 दिन थी. अमन ने अपना ऐतिहासिक मेडल अपने देश माता- पिता और देश को समर्पित किया है.
11 साल की उम्र में माता-पिता को खोया
अमन आज पूरी दुनिया में छाए हुए हैं, मगर उनके लिए दुनियाभर में चमकना आसान नहीं था. चमक बिखेरने से पहले वो उस अंधेरे में भी रहे, जहां इंसान बुरी तरह टूट कर बिखर जाता है. अमन ने महज 11 साल की उम्र में अपने माता- पिता को खो दिया था. इतनी कम उम्र में सिर से मां बाप का साया उठने से उनकी जिंदगी में अंधेरा छा गया था, जिसे उन्होंने कुश्ती से दूर किया. जो उनके पिता का सपना था. उनके पिता ने अपनी असामयिक निधन से पहले साल 2013 में छत्रसाल स्टेडियम में अमन का दाखिला करा दिया था और कुश्ती की राह दिखा दी थी. देखते ही देखते अमन के लिए ये स्टेडियम उनका दूसरा घर बन गया.
साल 2022 में अमन के करियर का बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. उन्होंने एशियन अंडर 20 चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज और एशियन अंडर 23 चैंपियनशिप में गोल्ड जीता और अब उसके दो साल बाद उन्होंने ओलिंपिक में कमाल कर दिया.
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