रोइंग में भारत की इकलौती उम्मीद बलराज पंवार का पेरिस ओलिंपिक्स का सफर खत्म हो चुका है. बलराज पुरुष सिंगल्स स्कल्स इवेंट में 23वें पायदान पर रहे. शुक्रवार को वो फाइनल डी राउंड में 5वें पायदान पर रहे थे. 25 साल के हरियाणा के खिलाड़ी का फाइनल डी में बेस्ट टाइमिंग 7:02.37 का रहा जो एक मेडल इवेंट नहीं था. क्वार्टरफाइनल हीट रेस में बलराज 5वें पायदान पर रहे थे. अंत में मेडल्स उन तीन खिलाड़ियों को मिले जो फाइनल ए में टॉप 3 में रहे थे.
बलराज वो खिलाड़ी हैं जिन्होंने बेहद छोटी उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था. इसके बाद साल 2018 में वो भारतीय सेना में शामिल हो गए. फौज में रहते हुए ही उन्होंने पहली बार रोइंग में हिस्सा लिया. कोच ने उनकी प्रतिभा पहचानी और फिर आगे के लिए उन्हें तैयार करने लगे. साल 2021 में रोइंग की शुरुआत करने वाले बलराज फिर भारतीय सेना की तरफ से रोइंग में हिस्सा लेने लगे. पंवार ने पेरिस ओलिंपिक 2024 का कोटा उस वक्त हासिल किया जब उन्होंने एशियन और ओशियानियान रोइंग ओलिंपिक क्वालीफिकेशन साउथ कोरिया में ब्रॉन्ज मेडल जीता.
ओलिंपिक तक का सफर
पंवार ने ओलिंपिक के लिए कड़ी मेहनत की. उन्होंने कई सारे कैंप्स में हिस्सा लिए. यहां उन्होंने हैदराबाद से इसकी शुरुआत की और फिर क्वालीफायर्स के लिए कोरिया पहुंचे. एक महीने बाद उन्होंने चीन के कैंप में हिस्सा लिया. इसके बाद उनकी ट्रेनिंग मुंबई में शिफ्ट हो गई.
बलराज से जब पेरिस में उनके सफर को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारत में एक प्रतियोगिता में कुल 3 रेस होते हैं. लेकिन यहां हमें रैंकिंग के लिए कम से कम 5 रेस खेलने होते हैं. मेरे लिए ये शानदार अनुभव है. मुझे यहां काफी सीखने को मिला है. मुझे खुदपर काफी ज्यादा भरोसा है. ऐसे में आगे के रेस में मुझे काफी आत्मविश्वास हासिल होगा.
ओलिंपिक गांव को लेकर बलराज ने कहा कि जब हम खाने जाते थे तब हमारे साथ और भी कई बड़े खिलाड़ी आते थे. ऐसे में ये अलग अनुभव था. मैंने कई अलग अलग एथलीट्स से बात भी की जिनसे मुझे काफी सीखने को मिला था. पंवार ने आगे कहा कि वो अगली बार धमाकेदार वापसी करने के लिए तैयार हैं.
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