दुती चंद डोपिंग में फंसी, यह दवा लेने की वजह से लगा 4 साल का बैन, फैसले को देंगी चुनौती

दुती चंद डोपिंग में फंसी, यह दवा लेने की वजह से लगा 4 साल का बैन, फैसले को देंगी चुनौती

एशियाई खेलों में दो रजत पदक जीतने वाली महिला एथलीट दुती चंद (Dutee Chand) पर नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (National Anti Doping Agency) ने चार साल का प्रतिबंध लगाया है. उन पर 17 अगस्त को बैन लगाया गया. दुती चंद इस फैसले को चुनौती देंगी. वह नाडा की टूर्नामेंट के इतर प्रतिबंधित पदार्थ की डोप जांच में विफल रही थीं. इस 100 मीटर की राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी एथलीट के पिछले साल दिसंबर में लिए गए दो नमूनों में ‘अन्य एनाबोलिक एजेंट/एसएआरएमएस’ मौजूद थे जो वाडा की 2023 प्रतिबंधित पदार्थों की सूची में शामिल हैं. ये नमूने पांच और 26 दिसंबर को लिये गये थे और दोनों ही एक समान पदार्थ के पॉजिटिव पाए गए थे.

‘एसएआरएमएस’ (सलेक्टिव एंड्रोजन रिसेप्टर मोड्यूलेटर) ऐसे ‘नॉन स्टेराइड’ पदार्थ हैं जिन्हें आमतौर पर ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डी संबंधित बीमारी), अनीमिया (खून की कमी) और मरीजों में जख्मों से उबरने के लिए किया जाता है. दुती पर लगा प्रतिबंध इस साल तीन जनवरी से प्रभावी होगा और पांच दिसंबर 2022 को लिये गये पहले नमूने की इस तारीख से उनके सभी प्रतिस्पर्धी नतीजे हटा दिए जाएंगे. दुती के वकील पार्थ गोस्वामी ने शुक्रवार (18 अगस्त) को पीटीआई से कहा कि यह खिलाड़ी अपने पूरे पेशेवर करियर में ‘क्लीन एथलीट’ (किसी भी डोपिंग से दूर) रही है और यह मामला इस पदार्थ के ‘अनजाने में सेवन’ करने का था.

दुती के वकील ने कहा अनजाने में ली दवाई

 

दुती के वकील ने कहा, ‘दुती भारत का गौरव हैं और वह पूरी तरह से ‘क्लीन एथलीट’ हैं. एक दशक के चमकदार करियर के दौरान दुती अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर कई डोप जांच से गुजर चुकी हैं और इतने लंबे करियर में वह कभी भी डोप के मामले में पॉजिटिव नहीं आयीं.’

 

नाडा का पैनल ठुकरा चुका है अपील

 

दुती और उनके वकील ने नाडा के डोपिंग रोधी अनुशासनात्मक पैनल (एडीडीपी) के समक्ष भी दावा पेश किया था कि यह अनजाने में सेवन का मामला था. एडीडीपी के आदेश के अनुसार, ‘एथलीट और उनके वकील ने एनडीटीएल (राष्ट्रीय डोप जांच प्रयोगशाला) के जांच के नतीजे की रिपोर्ट से इनकार किये बिना कहा कि उन्होंने यह पदार्थ अनजाने में लिया था जो उनके फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह पर लिया गया था जिनसे यह एथलीट नियमित रूप से परामर्श लेती हैं.  एथलीट और उनके वकील ने प्रस्तुत किया कि यह फिजियोथेरेपिस्ट पुलेला गोपीचंद अकादमी का था जहां यह खिलाड़ी विशेष अनुमति के अंतर्गत ट्रेनिंग ले रही थीं.’

 

दुती के वकील ने यह भी प्रस्तुत किया कि यह खिलाड़ी ‘हाइपरएंड्रोजनिक’ से पीड़ित थी जिसके कारण उनके ‘पेट में काफी तेज दर्द’ था जिसके लिए ही यह उपचार किया गया था. एडीडीपी ने कहा कि एथलीट ने दवाई खरीदने के लिए अपने दोस्त की मदद ली जो इस मामले में गवाह भी हैं.

 

एडीडीपी के आदेश में कहा गया, ‘गवाह ने बयान देने से पहले वो हलफनामा भी प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने बताया है कि वह खुद दुकान पर ‘हार्मोन असंतुलन’ के इस सप्लीमेंट को लेने गये थे लेकिन इसके विपरीत गवाह से पूछताछ में उसने खुद इस सप्लीमेंट को खरीदने की बात से इनकार किया लेकिन यह काम अपने मैनेजर को दे देने की बात कही. एडीडीपी के सुपुर्द किये गये दस्तावेज में दिये तथ्य और गवाह से पूछताछ में स्पष्ट विरोधाभास दिखता है इसलिये गवाह द्वारा दिये गये बयानों की विश्वसनीयता में वैध चिंतायें उठ रही हैं.’

 

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