एशियन गेम्स शुरू हो चुके हैं. हजारों खिलाड़ी अपने-अपने खेल में एशियन चैंपियन बनने के इरादे से मैदान पर उतर रहे हैं. इस गेम्स में हर किसी की नजर अफगानिस्तान पर है, जिसकी एक नहीं 2 टीम हिस्सा ले रही है. दरअसल तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान का ये पहला एशियन गेम्स है. अफगान प्लेयर्स की 2 टीम चीन के हांगझोऊ शहर भी पहुंची. एक टीम को अफगानिस्तान से भेजा गया है. जिसमें एक भी महिला प्लेयर नहीं है. तालिबान ने स्पोर्ट्स में महिलाओं को बैन किया हुआ है. ऐसे में अफगानिस्तान से चीन पहुंची इस टीम में 130 पुरुष एथलीट हैं.
अफगानिस्तान ओलिंपिक कमिटी के तालिबान की तरफ से नियुक्त स्पोकपर्सन एटेल मशवानी का कहना है कि 130 पुरुष एथलीट वॉलीबॉल, रेसलिंग सहित 17 खेलों में हिस्सा लेंगे. वहीं अफगानिस्तान की एक और टीम एशियन गेम्स में हिस्सा लेगी, जिसमें 17 महिला प्लेयर्स भी शामिल हैं. प्रवासी अफगान एथलीटों से बनी ये टीम निर्वाचित सरकार के फ्लैग के नीचे खेलेगी, जिसे 2021 में तालिबान ने हटा दिया था. तालिबान के सत्ता में आने से पहले की अफगानिस्तान नेशनल ओलिंपिक कमिटी के प्रेसीडेंट हफीजुल्लाह वली रहीमी के अनुसार दूसरी टीम में भी अफगान के ही प्लेयर्स है, वो अफगानिस्तान से नहीं, बल्कि दुनिया के कई कोनों से आए.
अफगान महिला प्लेयर्स टकराने के लिए तैयार
रहीमी भी अफगानिस्तान के बाहर से ही अब काम कर रहे हैं, मगर कई देशों में अभी भी उन्हें ओलिंपिक मामले पर ऑफिशियल माना जाता है. दूसरे अफगान दल की वॉलीबॉल टीम इरान, साइक्लिस्ट इटली और एथलेटिक्स के प्लेयर्स ऑस्ट्रेलिया से आए. अब एशियन गेम्स में 17 अफगान महिला प्लेयर्स उस तालिबान की आंखों में आंखें डालकर मैदान पर टकराएगी, जिसने महिलाओं को स्पोर्ट्स में बैन किया हुआ है.
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