Sports Tak Special: किस खेल में सबसे ज्‍यादा लगती है कौन सी चोट, क्रिकेट से लेकर फुटबॉल और बॉक्सिंग तक जानिए चोट का चक्कर

Sports Tak Special: किस खेल में सबसे ज्‍यादा लगती है कौन सी चोट, क्रिकेट से लेकर फुटबॉल और बॉक्सिंग तक जानिए चोट का चक्कर

नई दिल्‍ली. खेल की दुनिया बेहद बड़ी है जिसमें अलग-अलग तरह के खेल खेले जाते हैं. इन खेलों में शामिल खिलाड़ी अपने प्रदर्शन से खुद को और खेल को महान बनाते हैं लेकिन एक चीज ऐसी भी है जो इन खिलाड़ियों का करियर हमेशा के लिए खत्म कर देती है या फिर बैकफुट पर धकेल देती है. हम यहां स्पोर्ट्स इंजरी की बात कर रहे हैं. ये इंजरी खेल के दौरान शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती हैं. हालांकि ये इंजरी सिर्फ खिलाड़ी, एथलीट्स को ही नहीं बल्कि किसी आम इंसान को भी हो सकती हैं. जैसे फैक्ट्री वर्कर्स को टेनिस एल्बो, पेंटर्स को कंधे की इंजरी और गार्डन में काम करने वालों को टेंडिनाइटिस हो सकता है. स्‍पोटर्स तक स्‍पेशल में आज हम आपको बताएंगे कि कौन से खेल में खिलाडि़यों को कौन सी चोटें सबसे ज्‍यादा लगती हैं और इसकी वजह क्‍या होती है. 

दो तरह की इंजरी
स्पोर्ट्स इंजरी अंग की मांसपेशियों की संरचना से जुड़ी हुई होती है जिसे हम मसक्यूलोस्केलेटल भी कहते हैं. मसक्यूलोस्केलेटल सिस्टम हमारी मसल्स, टेंडन, लिगामेंट्स, बोन्स और दूसरे टीशू को कहते हैं जो एक-दूसरे से जुड़ी हुई होती हैं. स्पोर्ट्स इंजरी दो भागों में बंटी हुई है. इसमें एक एक्यूट और दूसरी क्रोनिक है. एक्यूट आपको अचानक हो सकती है जैसे कोई व्यक्ति अगर गिरता है तो उसे जो झटका लगता है उसे एक्यूट कहते हैं. वहीं क्रोनिंक इंजरी वो चोट होती है जो आपको शरीर में समय के साथ बढ़ती रहती है. उदाहरण के तौर पर स्ट्रेस फ्रैक्चर.

कैसे होता है ठीक
इंजरी को ठीक करने के लिए पहले उसे देखा जाता है और फिर उसका इलाज शुरू होता है. एक इंजरी को आराम देकर भी ठीक किया जा सकता है.  वहीं दूसरी इंजरी को आईसिंग, कमप्रेसिंग के इस्तेमाल से भी ठीक किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए आपको डॉक्टर के पास जाना होता है. इसके अलावा आप फिजियोथेरेपी से भी ठीक हो सकते हैं. लेकिन कई तरह की चोट ऐसी होती है जिसमें आपके शरीर पर कास्ट (हड्डियों को जोड़ने के लिए), स्प्लिंट (पट्टी), और ब्रेस (एक तरह का सपोर्ट) का इस्तेमाल किया जाता है.

 

क्रिकेट में लगनी वाली चोट

क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिसमें खिलाड़ी काफी ज्यादा चोटिल होते हैं. दूसरे खेलों की तरह क्रिकेटरों को भी काफी ज्यादा वॉर्म अप करना पड़ता है. लेकिन क्रिकेट में जो सबसे कॉमन इंजरी है वो हैमस्ट्रिंग स्ट्रेन है. ये ज्यादातर तेज गेंदबाजों को होता है. लेकिन वर्तमान में क्रिकेट में चोट की वजह से क्रिकेटर की जान चली गई वो ऑस्ट्रेलिया के फिल ह्यूज थे. ह्यूज के बाएं कान में चोट लगी थी जो इतनी गहरी थी कि कुछ समय के भीतर ही उनकी मौत हो गई. सर्जरी के बाद वो कोमा में गए लेकिन उसके बाद वो ठीक नहीं हो पाए. ह्यूज जैसी चोट ज्यादा तो नहीं लगती है लेकिन क्रिकेट के खेल में इस तरह की चोट लगना बेहद खतरनाक है. ह्यूज सिर्फ 25 साल की उम्र में ही दुनिया छोड़ गए थे. इस चोट को हम कंकशन के नाम से भी जानते हैं.

 

क्रिकेटरों को चोट
प्रोफेशनल क्रिकेटरों को ज्यादातर चोटें शरीर के ऊपरी हिस्सों पर लगती है. और एक रिपोर्ट के अनुसार न्यूनतम 16 इंजरी ऊपर ही होती है. इसके अलावा एक साल के भीतर औसतन 95 क्रिकेटर्स चोटिल होते हैं. इसमें से 13 को एक्यूट इंजरी होती है. लेकिन इन खिलाड़ियों को किस तरह की चोटें लगती हैं चलिए जानते हैं सबकुछ.

 

रोटेटर कफ: रोटेटर कफ की चोट कंधे पर लगती है. ये तब होता है जब 4 मसल्स टूट जाते हैं या उसमें स्ट्रेन आ जाता है. इसकी वजह से दर्द, सूजन बढ़ जाती है.

 

हैमस्ट्रिंग स्ट्रेन: किसी भी खेल में हैमस्ट्रिंग स्ट्रेन उस वक्त होता है जब कोई तेजी से दौड़ता है. या फील्डिंग के दौरान या रन लेने के दौरान हो सकता है. ये चोट आपकी जांघ के पिछले हिस्से में लगती है. इसकी वजह से आपकी हैमस्ट्रिंग में काफी ज्यादा दर्द होता है. वहीं आपको चलने और खड़े होने में भी दिक्कत होती है.

 

एंकल स्प्रेन: ज्यादा तेजी से दौड़ते वक्त अगर आप अचानक से रुकते हैं तो आपको एंकल स्प्रेन हो सकता है.

 

पेट के साइड में खिंचाव: ये ज्यादातार तेज गेंदबाजों को होता है. ये तब होता है जब कोई गेंदबाज ज्यादा तेजी से गेंद करता है.

 

कंट्यूशन: ये तब होता है जब गेंद सीधे आपके मसल पर लगती है. इसे सूजन और घाव बन जाता है. बता दें कि जितनी तेजी से गेंद लगेगी जख्म भी उतना ही बड़ा होता है.

 

पैटेलर फ्रैक्चर: पैटेलर फ्रैक्चर को आपके घुटने की कैप का फ्रैक्चर भी कहा जाता है. इस चोट में आमतौर पर गिरने के बाद आपका घुटना टूट जाता है. इस चोट के कारण आप कम से कम 6-8 सप्ताह के लिए मैदान से बाहर हो जाते हैं.

 

टोर्न मेनिस्कस : हमारे घुटने में दो कार्टिलेज डिस्क होते हैं जिन्हें मेनिस्कस कहा जाता है. ये डिस्क शॉक अवशोषक के रूप में कार्य करते हैं और अगर आप क्रिकेटर हैं तो आप मीडियल मेनिस्कस टियर और लेटरल मेनिस्कस टियर के माध्यम से इन डिस्क को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

 

फुटबॉल में होने वाली इंजरी

एसीएल: फुटबॉल की सबसे कॉमन चोट एसीएल ही है. एसीएल को एंटिरियर क्रूसिएट लिगामेंट कहते हैं. ये एक मोच होती है जिससे आपका घुटना पूरी तरह मुड़ जाता है. एसीएल की चोट की वजह से आपके घुटने के भीतर मौजूद लिगामेंट पूरी तरह टूट जाता है. इसको सर्जरी से ठीक किया जा सकता है.

 

टखने की मोच: टखने की मोच एक आम फुटबॉल चोट है. टखने की मोच तब होती है जब कोई खिलाड़ी किसी अन्य खिलाड़ी के साथ सीधा संपर्क बनाता है, जैसे कि टक्कर के दौरान या हेडर के लिए कूदना. वे भी सबसे अधिक होने की संभावना है, इसलिए खिलाड़ियों को कंडीशनिंग पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

 

कंकशन: कंकशन तब होता है जब मस्तिष्क हिल जाता है या खोपड़ी से टकराता है.  इस प्रकार की चोट किसी अन्य खिलाड़ी से टकराने या गिरने पर हो सकती है. कंकशन मस्तिष्क की गंभीर चोटें हैं जो खिलाड़ियों को लंबे समय तक प्रभावित कर सकती हैं.

 

क्वाड और हैमस्ट्रिंग स्ट्रेन: हैमस्ट्रिंग और क्वाड स्ट्रेन सभी फ़ुटबॉल चोटों का 11.8% हिस्सा हैं. ये तब होता है जब खिलाड़ी स्लाइड के लिए जाते हैं या किसी अन्य खिलाड़ी के निचले शरीर से टकराते हैं. इसके अलावा, यदि आप पहले घायल हो चुके हैं, तो आपको अपने क्वाड को फिर से तनाव देने की अधिक संभावना है.

 

हॉकी में लगने वाली चोट
मोच आना: हॉकी एक ऐसा खेल है जिसमें खिलाड़ी लगातार दौड़ते हैं. ऐसे में हॉकी स्टिक के चलते खिलाड़ियों को मोच भी आ सकती है. लिगामेंट्स के उखड़ने या फटने से ये मोच आ जाती है. हालांकि ये कुछ समय के बाद ठीक भी हो जाती है. लेकिन कई बार ये इतनी गंभीर होती है कि सर्जरी करवानी पड़ती है.

 

घुटने की चोट: खिलाड़ियों को अक्सर दौड़ने या स्टिक के चलते घुटने की चोट लग जाती है. इसमें हड्डी भी टूट सकती है.

 

फ्रेक्चर: कई बार खेल के दौरान फ्रेक्चर भी हो सकता है. इसको ठीक होने में एक महीने से ज्यादा का समय लगता है.

 

कंधे की चोट: खेल के दौरान सभी बेहद ज्यादा जोश में होते हैं. इसमें कई बार खिलाड़ी आपस में टकराते हैं और इम्पैक्ट के चलते उनका कंधा चोटिल हो जाता है. कंधे की चोट आइसिंग या सर्जरी से ठीक होती है. भारी गिरावट या अचानक दबाव के कारण कंधे अपनी जगह से हिल सकते हैं. ऊपरी बांह दर्दनाक रूप से कंधे के जोड़ से बाहर निकल जाती है और जिससे आपको हिलने में दिक्कत हो सकती है.

 

बास्केटबॉल में लगने वाली चोट
फेशियल कट: फेशियल कट बास्केटबॉल में काफी ज्यादा होती है. ये खिलाड़ियों को समय समय पर कोर्ट पर होता रहता है. एक एथलीट का हाथ या कंधा या सिर दूसरे खिलाड़ी के चेहरे में लगता है तो ये चोट लगती है. बास्केटबॉल के खिलाड़ी बेहद लंबे होते हैं और बास्केट करने के चक्कर में उनके हाथ अक्सर फ्री होते हैं. ऐसे में उनसे छोटे खिलाड़ी या बराबर के खिलाड़ियों को ये चोट लगती है. कई बार इनपर टांके भी लगाए जाते हैं.

 

नाक टूटना: बास्केटबॉल में खिलाड़ियों के हाथ लगातार मूव होते रहते हैं और यही कारण है कि कई बार नाक पर किसी दूसरे खिलाड़ी का हाथ लगने के चलते नाक टूट जाती है. इसके चलते खिलाड़ियों की नाक पर सूजन और नाक से खून भी आने लगता है. कई बार बास्केटबॉल भी बेहद तेजी से लगता है जिससे नाक को नुकसान पहुंचता है.

 

फिंगर स्प्रेन: बास्केटबॉल को पकड़ने के लिए हथेली बड़ी होनी चाहिए. इस दौरान दूसरा खिलाड़ी आपसे लगातार गेंद छीनता रहता है. इसी बीच कई बार आपकी अंगुलियां फंस जाती है और फिर इसके टूटने के आसार होते हैं. वहीं दूसरे खिलाड़ियों के साथ संपर्क में आने के बाद भी ये चोट लग सकती है.

 

लुंबर स्ट्रेन: ये एक लोअर बैक इंजरी है. खिलाड़ी बास्केट करने के लिए लगातार जंप करते रहते हैं और भी काफी ऊंची जंप. ऐसे में उनकी रीढ़ की हड्डी पर इसका असर होता है जिसके चलते उन्हें लुंबर स्ट्रेन महसूस होने लगता है. ये कमर और पीठ में कहीं भी हो सकता है. इसमें आपको काफी आराम चाहिए होता है या फिर आपकी सर्जरी होती है.

 

कबड्डी में लगने वाली चोट
हैमस्ट्रिंग की चोट
कबड्डी में रेड के दौरान पॉइंट लेकर वापस अपने पाले में भागते वक्त हैमस्ट्रिंग चोट लग सकती है. हमारी जांघ में तीन तरह की सेमिटेंडिनोसस, सेमिमेंबरानोसस और बाइसेप्स फेमोरिस हैमस्ट्रिंग मांसपेशियां होती हैं. इन तीनों के समूह को हैमस्ट्रिंग मांसपेशियों का समूह कहा जाता है. ये मांसपेशियां घुटने को मोडऩे का काम करती हैं और उसे लचीला बनाती हैं. लेकिन इन पर ज्यादा जोर देने पर यह खिंच जाती हैं, जिसे हैमस्ट्रिंग की चोट कहते हैं.

 

रोटेटर कफ
कबड्डी में सामने वाले प्लेयर को खींचते वक्त गलत तरीके से दबाव बनने से कंधे में चोट से रोटेटर कफ की स्थिति बन सकती है. बाद में यदि इलाज कराने में लापरवाही की जाए तो मरीज को हाथ हिलाने में भी तेज दर्द होगा. इसमें कंधों के टेंडन में सूजन आ जाती है. कई बार हाथ या गर्दन में चोट लगने से भी यह समस्या हो जाती है.

 

नी कैप डिस्लोकेशन
नी केप या जिसे पटेल्ला हड्डी भी कहते हैं, हमारे घुटने के ऊपर एक छोटी से सुरक्षात्मक हड्डी होती है. कभी घुटने के बल गिरने पर या खेल के दौरान अचानक दिशा बदलने पर यह हड्डी अपने स्थान से हट सकती है. इससे घुटने में तेज दर्द, सूजन और घुटने को सीधा करने में दर्द होना जैसे लक्षण देखे जाते हैं.

 

मेनिस्कस टियर
हमारे घुटने के जोड़ में गद्देनुमा पदार्थ होता है जिसे मेनिसकस कहा जाता है. हमारे चलने या दौडऩे के दौरान मेनिस्कस दोनों हड्डियों को आपस में टकराने नहीं देता है. दोनों जोड़ों में ऐसे दो कार्टिलेज होते हैं. कबड्डी खेलते वक्त गलत मूवमेंट होने से इन कार्टिलेज में चोट लगने से मेनिस्‍कस टियर हो सकता है.

 

शोल्डर डिस्लोकेशन
कबड्डी के दौरान कंधे में चोट लगना सबसे आम समस्या है. कंधे को शरीर का सबसे लचीला जोड़ माना जाता है. हड्डियों, मांसपेशियों, लिंगामेंट और टेंडन्स से बना यह जोड़ अलग-अलग दिशाओं मे घूम सकता है. कंधे में फाइब्रस कार्टिलेज नामक मोटा छल्ला होता है जो कंधे के जोड़ के सॉकट की रिम को घेरता है. सॉकेट को मजबूती से स्थिर रखने में मदद करने वाला फाइब्रस कार्टिलेज कंधे के जोड़ को स्थिर रखने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मरीज के एक बार डिस्लोकेशन हो जाने के बाद यह कार्टिलेज भी खराब होता है.

 

बॉक्सिंग की चोट
कट : मुक्केबाजी में खरोंच या कट बेहद आम है. ट्रेनिंग या मैच के दौरान आपको इस तरह की चोट लग सकती है. जब कोई खिलाड़ी विरोधी खिलाड़ी के चेहरे के एक हिस्से पर बार बार पंच करता है तो ये चोट लगती है. वहीं अगर कोई बेहद तेजी से अटैक करता है तो भी ये चोट लग सकती है. हालांकि इसे तुरंत बर्फ से कम किया जा सकता है लेकिन कई बार इसपर टांके भी लगाने पड़ते हैं.

 

कलाई का फ्रैक्चर
कलाई का फ्रैक्चर बेहद आम है. कलाई में एक छोटी हड्डी होती है और अगर इसपर इम्पैक्ट पड़ता है तो ये टूट सकती है. अगर आपकी कलाई की कोई एक भी हड्डी टूटती है तो इससे दर्द और सूजन बढ़ सकती है.

 

कंकशन
कंकशन एक प्रकार की ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी है जो सिर में लगी गहरी चोट लगने से होती है. कुछ लोगों में कंकशन के स्पष्ट लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे चोट लगने से पहले क्या हुआ था ये भूल जाना लेकिन, पर्याप्त रूप से आराम करने से अधिकांश लोग पूरी तरह से कंकशन (concussion) से उबर जाते हैं. कुछ लोग तो कुछ घंटों में ही ठीक हो जाते हैं तो वहीं अन्य लोगों को ठीक होने में कुछ सप्ताह लगते हैं.