वनडे वर्ल्ड कप के पहले दो एडिशन साल 1975 और 1979 में जीतने वाली चैंपियन वेस्टइंडीज एक दिन वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई भी नहीं कर सकेगी. इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी. हालांकि 48 सालों बाद ये कल्पना अब हकीकत बन चुकी है और वेस्टइंडीज की टीम भारत में होने वाले आईसीसी वर्ल्ड कप 2023 के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी है. जिम्बाब्वे में खेले जाने वाले क्वालीफायर मुकाबले में जैसे ही स्कॉटलैंड की टीम ने वेस्टइंडीज को हराया. उनके वर्ल्ड कप 2023 खेलने का सपना धरा का धरा रह गया. इस तरह वेस्टइंडीज की टीम किन तीन बड़ी गलतियों के कारण क्वालीफायर में हारकर बाहर हुई. इस पर डालते हैं एक नजर :-
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खराब फील्डिंग और कैच टपकाना पड़ा भारी
जिम्बाब्वे में होने वाले वर्ल्ड कप क्वालीफायर के ग्रुप स्टेज और सुपर सिक्स मिलाकर वेस्टइंडीज की टीम ने अभी तक कुल 5 मैच खेले. जिमसें सिर्फ दो मैचों में जीत मिली. जबकि तीन मैचों में हार के साथ उनका आगे का सफर समाप्त हो गया है. इसमें वेस्टइंडीज टीम की फील्डिंग और कैच टपकाना उन्हें सबसे ज्यादा भारी पड़ा है. वेस्टइंडीज ने लीग स्टेज में कुल 10 कैच छोड़े. जिसमें जिम्बाब्वे के खिलाफ एक मैच में ही 5 कैच उन्होंने छोड़े और फिर हार का सामना करना पड़ा.
नेदरलैंड के सामने सुपर ओवर में गंवाया मैच
वेस्टइंडीज की टीम ने नेदरलैंड के सामने पहले खेलते हुए 6 विकेट पर 374 रन बनाए थे. जवाब में नेदरलैंड ने भी अंत तक बल्लेबाजी करते हुए 9 विकेट पर 374 रन बना डाले थे. इसके बाद सुपर ओवर आया और नेदरलैंड के लोगन वान बीक ने अनुभवी जेसन होल्डर की 6 गेंदों पर 30 रन कूट डाले. जिससे वेस्टइंडीज की टीम को जीते हुए मैच में कहीं ना कहीं हार का सामना करना पड़ा और इस हार के बाद से ही वेस्टइंडीज के वर्ल्ड कप खेलने का सपना धूमिल हो चला था.
इंजरी और बीमारी भी बनी समस्या
जिम्बाब्वे जाकर वेस्टइंडीज के कुछ खिलाड़ी बीमार पड़ गए तो कुछ की इंजरी ने भी टीम को बड़ा झटका दिया. जिसके चलते वेस्टइंडीज की टीम मजबूत और विनिग प्लेइंग इलेवन बनाने में नाकाम रही. शुरुआती तीन मैचों में ओपनर जॉनसन चार्ल्स को नंबर तीन पर बल्लेबाजी करनी पड़ी क्योंकि शमराह ब्रूक्स बीमार हो गए थे. इसके अलावा वेस्टइंडीज की टीम में शामिल एकमात्र लेग स्पिनर यानिक करियाह को इंजरी हो गई थी. जिसके चलते वह खेल नहीं सके. वहीं श्रीलंकाई लेग स्पिनर वानिंदु हसरंगा ने विकेटों की लाइन लगा डाली. इस तरह वेस्टइंडीज को भी करियाह की सेवा मिलती तो शायद नतीजा बदल सकता था.
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