सीमेंट की पिच पर किया अभ्यास, निराशा हाथ लगने के बाद भी कैसे मेहनत लाई रंग, सूर्य ने खुद किया बड़ा खुलासा

टीम इंडिया के मिस्टर 360 डिग्री प्लेयर यानी की सूर्यकुमार यादव (Suryakumar Yadav) अब टीम इंडिया की मिडिल ऑर्डर की जान बन चुके हैं.

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टीम इंडिया के मिस्टर 360 डिग्री प्लेयर यानी की सूर्यकुमार यादव (Suryakumar Yadav) अब टीम इंडिया की मिडिल ऑर्डर की जान बन चुके हैं. इस बल्लेबाज ने पिछले कुछ महीनों के भीतर अपना खेल पूरी तरह बदल दिया. ऐसे में सूर्य को अब दुनिया का वो खिलाड़ी कहा जाने लगा है जो मैदान के किसी भी कोने पर शॉट खेल सकता है. लेकिन इसके पीछे जो संघर्ष और कड़ी मेहनत है उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. ऐसे में सूर्यकुमार यादव ने अपने इस संघर्ष की कहानी सुनाई है और फैंस को ये बताया है कि, वो कैसे यहां तक पहुंचे और कैसे उन्हें टीम इंडिया में जगह मिली.


2018 से बदल गए सूर्य
भारतीय टीम में चयन के लिए लंबा इंतजार करने वाले सूर्यकुमार यादव ने चयनकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए अपने खेल में कुछ बदलाव किया और अपने ‘हार्ड वर्क’ (कड़ी मेहनत) को ‘स्मार्ट वर्क’ में बदला. इस 32 वर्षीय बल्लेबाज ने अपने अभ्यास के तरीके में बदलाव किया, अपने भोजन पर ध्यान दिया और ऑफ साइड पर अधिक बल्लेबाजी की. सूर्यकुमार ने ईएसपीएनक्रिकइंफो से कहा,‘‘ मेरी पत्नी देविशा और मैंने 2017-18 में इस पर मनन किया और कुछ स्मार्ट वर्क करने का फैसला किया. आप कड़ी मेहनत करते हो जिसके दम पर आप आगे बढ़ते हो लेकिन हमने कुछ अलग करने का फैसला किया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अलग तरह से अभ्यास करना शुरू किया. मुझे 2018 के बाद एहसास हुआ कि मुझे अपने खेल पर काम करने की जरूरत है. मैंने ऑफ साइड की तरफ अधिक शॉट खेलने शुरू किए.’’

 

डाइट से बदला खेल
सूर्यकुमार ने कहा, ‘‘मैंने भोजन पर ध्यान दिया और कम भोजन करना शुरू कर दिया. मैंने कुछ ऐसी चीजें की जिनसे मुझे वास्तव में 2018 और 2019 के घरेलू सत्र में मदद मिली. इसके बाद 2020 में मेरा शरीर पूरी तरह से बदल गया था.’’ सूर्यकुमार ने अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर को शुरू करने के 11 साल बाद मार्च 2021 में इंग्लैंड के खिलाफ टी20 मैच से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया.

 

सूर्यकुमार ने महसूस किया कि वह पहले बिना सोचे समझे अभ्यास कर रहे थे और निराश हो रहे थे. इसलिए उन्होंने अपने अभ्यास के तरीकों में बदलाव किया. सूर्यकुमार ने कहा, ‘‘इसमें समय लगा. हमें यह जानने में डेढ़ साल लग गए कि मुझे किन चीजों से मदद मिलेगी और मैं कैसे आगे बढ़ सकता हूं. इसके बाद हम दोनों को एहसास हुआ कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और फिर सब कुछ ठीक होने लगा. मैं जानता था कि मुझे क्या करना है, कैसे और कितना अभ्यास करना है.’’

 

उन्होंने कहा, इससे पहले मैं केवल अभ्यास कर रहा था और फिर थोड़ा निराश हो जाता था. तब मुझे महसूस हुआ इस तरह के अभ्यास में किसी तरह की गुणवत्ता नहीं है जबकि मैं बहुत अधिक अभ्यास कर रहा हूं. लेकिन 2018 के बाद मेरे अभ्यास, भोजन, नेट सत्र और हर चीज में गुणवत्ता जुड़ गई जिससे मुझे काफी मदद मिली.’’ सूर्य ने ये भी कहा कि, वो हार्ड सीमेंट पर रबर गेंद से खेला करते थे. गेंद तेज आती थी और वो उसे स्कूप, पुल, अपरकट और स्लाइस ओवर पॉइंट पर खेल देते थे. इन स्टोक्स से उन्हें मदद मिली. मैंने कभी बॉलिंग मशीन के साथ अभ्यास नहीं किया और हमेशा अपने गेम को रॉ रखा है.

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