भारतीय टीम की सुपरस्टार बल्लेबाज स्मृति मांधना ने महिला वर्ल्ड कप 2025 जीतने के बाद पिछले कुछ सालों से लगातार मिल रही निराशा पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने नवी मुंबई में साउथ अफ्रीका के सामने खिताब जीतने के बाद कहा कि उन्हें और उनकी टीम को लगातार आईसीसी इवेंट में निराशा मिल रही थी. इससे वे ऊब चुके थे और इसी वजह से महिला वर्ल्ड कप में खुलकर खेलने का मौका मिला. स्मृति मांधना का इशारा 2017 महिला वर्ल्ड कप, 2020 टी20 वर्ल्ड कप के साथ ही 2022, 2023 और 2024 टूर्नामेंट की तरफ था. 2025 के इवेंट से पहले के पांच टूर्नामेंट में भारत को दो में फाइनल में हार मिली थी. वहीं बाकी तीन में टीम खिताबी मुकाबले से पहले बाहर हो गई थी.
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मिताली राज, झुलन गोस्वामी जैसी दिग्गज खिलाड़ियों को आईसीसी ट्रॉफी जीते बिना ही संन्यास लेना पड़ा. हरमनप्रीत कौर भी करियर के आखिरी मोड़ की तरफ है. स्मृति मांधना आईसीसी ट्रॉफी का सूखा खत्म करने के बारे में कहा, 'यह सब झुलु दी (झुलन गोस्वामी), अंजुम दी (अंजुम चोपड़ा), मिताली दी (मिताली राज) से शुरू हुआ. 2005 के फाइनल में हम हार गए. 2017 हमारे लिए बड़ा हार्टब्रेक था. हम समझ ही नहीं पाए कि क्या हुआ. 2020 टी20 वर्ल्ड कप में फिर से दिल टूटा. मैं और हरमन (हरमनप्रीत कौर) हमेशा यह बात करते थे कि यार बस हो गया हार्टब्रेक. अब मेरे हार्ट में जगह ही नहीं है उस हार्टब्रेक लेने की.'
भारतीय टीम को 2025 की कामयाबी से पहले 2005 और 2017 में फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था. साथ ही 2020 टी20 वर्ल्ड कप भी उसके हाथ से निकल गया था. फिर कॉमनवेल्थ गेम्स में भी फाइनल में हार झेलनी पड़ी थी.
मांधना ने बताया कैसा रहा टीम इंडिया का माहौल
मांधना ने कहा कि हरेक वर्ल्ड कप में टीम के साथ यही हो रहा था कि उससे निराशा मिल रही थी. हमेशा लगता था कि बड़ी जिम्मेदारी है. भारतीय टीम की उपकप्तान ने कहा, 'पिछला टी20 वर्ल्ड कप हमारे लिए बहुत मुश्किल था. इसके बाद फिटनेस पर पूरा ध्यान दिया. हरेक चीज पर काम किया. जिस तरह से सबने इस वर्ल्ड कप में मिलकर काम किया, सब एक दूसरे की मदद के लिए तैयार थे. मैं बता नहीं सकती कि टीम का माहौल कैसा था और यह पूरी तरह से जादुई रहा.'
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