Exclusive: दिग्‍वेश राठी विकेट लेने के बाद जमीन पर क्‍या लिखते हैं? लखनऊ सुपर जायंट्स के गेंदबाज ने 9 मैच के बाद आखिरकार खुद खोल दिया राज

दिग्‍वेश राठी.... वह नाम, जो आईपीएल 2025 में छाया हुआ है. गेंदबाजी से ज्‍यादा अपने विकेट के जश्‍न के कारण चर्चा में है.

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दिग्‍वेश राठी नोटबुक सेलिब्रेशन

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दिग्‍वेश राठी विकेट लेने के बाद नोटबुक सेलिब्रेशन करते हैं.

नोटबुक सेलिब्रेशन के कारण दिग्‍वेश पर फाइन भी लग चुका है.

फाइन के बाद दिग्‍वेश ने जमीन पर लिखना शुरू किया.

दिग्‍वेश राठी.... वह नाम, जो आईपीएल 2025 में  छाया हुआ है. गेंदबाजी से ज्‍यादा अपने विकेट के जश्‍न के कारण चर्चा में है. जिस वजह से उन पर फाइन तक लग चुका है, मगर इसके बावजूद उन्‍होंने उसी अंदाज में जश्‍न बनाना जारी रखा. दरअसल दिग्‍वेश विकेट लेने के बाद नोटबुक सेलिब्रेशन करते हैं. यानी विकेट लेने के बाद वह पहले तो अपने हाथ पर खुद लिखने का एक्‍ट करते थे, मगर फाइन लगने के बाद उन्‍होंने जमीन पर लिखकर जश्‍न मनाना शुरू कर दिया. स्‍पोर्ट्स तक से एक्‍सक्‍लूसिव बातचीत में दिग्‍वेश ने बताया कि वह विकेट के बाद क्‍या लिखते हैं.  

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दिग्‍वेश ने पंजाब किंग्‍स के खिलाफ मुकाबले में प्रियांश आर्य को आउट करने के बाद नोटबुक सेलिब्रेशन किया था, जिस वजह से उन पर फाइन भी लगा था. अब उन्‍होंने बताया कि आउट करने के बाद उन्‍होंने क्‍या लिखा था. दिग्‍वेश ने कहा- 

प्रियांश भाई मेरे बहुत अच्‍छे दोस्‍त हैं. हमारी आपस में कुछ बात थी. उन्‍होंने कहा था कि अगर मैं रन मारूंगा तो ऐसे करूंगा तो मैंने उन्‍हें यह कहा था कि अगर मैंने आउट किया तो मैं ऐसे करूंगा.

 

लिखने के सवाल पर दिग्‍वेश ने कहा-

कुछ नहीं लिखा था. बस उनका ही नाम था. उनका नाम मैंने अपनी नोटबुक में लिखा था.

इस सेलिब्रेशन के बाद दिग्‍वेश ने जमीन पर लिखना शुरू कर दिया था, जिस पर उन्‍होंने कहा-

बीसीसीआई ने जो नियम बनाए हैं, हम उनके खिलाफ नहीं जा सकते तो मुझे उसके अनुसार भी चलना पड़ेगा. जमीन पर बल्‍लेबाज का नाम ही लिखता हूं और कुछ सीक्रेट भी है.इसे सीक्रेट ही रहने देते हैं. 

अपनी शानदार गेंदबाजी को लेकर पर दिग्‍वेश ने कहा कि उनका टार्गेट  तो अच्‍छी गेंदबाजी करना है और कप्‍तान ऋषभ पंत ने जो काम सौंपा  है, उसे करते रहे और जो भी हो रहा है और वह अपने आप हो रहा है. अपने मिस्‍ट्री स्पिनर बनने की कहानी बताते हुए दिग्‍वेश ने कहा-

मैं पहले बैटिंग तो करता ही था, मगर जब मैं बैटिंग करके थक जाता था तो मुझे बॉलिग करना पसंद था. मैंने एक बार कॉमेंट्री में सुनील नारायण का नाम सुना था कि किसी कमेंटेटर ने बोला था कि एक  ओवर में रन चाहिए थे तो इस ओवर में सिर्फ सुनील नारायण ही छह रन बचा सकते हैं. तब से मेरी दिलचस्‍पी हुई कि कौन है सुनील नारायण. मैंने देखना शुरू किया. वह उस वक्‍त एक नकल बॉल डालते थे. मैंने पहली बार उस गेंद को ट्राय किया तो बल्‍लेबाज उसे खेल नहीं पाता था. मैंने मजे मजे में उसे लिया और अब वह प्रोफेशन बन गया.

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