कौन है चेन्नई सुपर किंग्स का AK47? एमएस धोनी और स्टीफन फ्लेमिंग भी कई बार कर चुके हैं तारीफ

अंशुल कंबोज ने कहा कि उनकी पसंदीदा नंबर 47 है और जिस तरह से वो दौड़ते हैं उसे देख साथी खिलाड़ियों ने उन्हें AK47 कहना शुरू कर दिया.

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विकेट लेने के बाद जश्न मनाते अंशुल कंबोज

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अंशुल कंबोज को AK47 के नाम से जाना जाता है

कंबोज चेन्नई के लिए खेल रहे हैं

हरियाणा के ड्रेसिंग रूम में अंशुल कंबोज को AK47 के नाम से जाना जाता है. रणजी सीजन के दौरान जब वो गेंदबाजी में रनअप लेते थे तब उनके साथी खिलाड़ी AK47 कहकर चिल्लाते थे. लेकिन इसके पीछे एक छोटी कहानी है. इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में कंबोज ने खुलासा किया था कि जब मुझे मेरी जर्सी नंबर को लेकर पूछा गया था तो सभी अपनी जन्म की तारीख सेलेक्ट कर रहे थे. कई खिलाड़ियों ने अपना पसंदीदा नंबर भी चुना. लेकिन मुझे 47 नंबर पसंद आया. तब से ही मुझे AK47 कहा जाने लगा. 

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केरल के खिलाफ किया था कमाल

बता दें कि कंबोज ने साल 2024 में एक पारी में केरल के खिलाफ सभी 10 विकेट ले लिए थे. तब से इस गेंदबाज ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.  इस साल के आईपीएल में वो चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेल रहे हैं और कमाल का प्रदर्शन किया है. धोनी और फ्लेमिंग ने भी इस खिलाड़ी की तारीफ की है. 

इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टीम में चुने गए

कंबोज को इंग्लैंड दौरे के लिए इंडिया ए टीम में शामिल किया गया है और अगर वह वहां अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उनके नेशनल टीम में भी शामिल होने की संभावना है. राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मैच के अंत में फ्लेमिंग ने कहा, "अगर उन्हें थोड़ी सीम और थोड़ी स्विंग वाली परिस्थितियां मिलती हैं, तो वह उस दौरे (इंग्लैंड) में अच्छा प्रदर्शन करेंगे." "वह निश्चित रूप से एक बेहतरीन खिलाड़ी होंगे. उनके पास सफेद और लाल गेंद दोनों से खेलने की वास्तविक क्षमता है. हम उनके विकास और इस साल उन्हें मिले अवसरों से खुश हैं." 

फ्लेमिंग ने आगे कहा कि, इस सीजन की शुरुआत में उनकी स्पीड में गिरावट को लेकर कुछ चिंताएं थीं, लेकिन फ्लेमिंग का मानना ​​है कि वह अभी अच्छी स्थिति में हैं. "उनकी गति 138, 139 (किमी प्रति घंटा) के आसपास रही है. उनकी गेंद हमेशा दस्तानों पर ज्यादा जोर से लगती है. उनकी सबसे बड़ी ताकत उनकी लंबाई है और वह गेंद काफी मूव कराते हैं.

वहीं एमएस धोनी ने कहा, "कंबोज ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें स्विंग नहीं मिलती, लेकिन उन्हें सीम मूवमेंट मिलती है, गेंद स्पीड गन से ज्यादा तेजी से हिट होती है, उन्होंने जिम्मेदारी ली है और वे ऐसे खिलाड़ी हैं जो अच्छी यॉर्कर फेंक सकते हैं." हरियाणा के करनाल में पले-बढ़े, कंबोज का उदय क्रिकेट में मुख्य रूप से टेनिस-बॉल टूर्नामेंट के जरिए हुआ. ऐसे में कंबोज ने कहा कि, तेज गेंदबाजी करना सिर्फ एक मजबूरी थी क्योंकि, "कोई भी टेनिस बॉल से स्पिन नहीं फेंकना चाहता. अगर आप स्पिन फेंकते हैं, तो आपको खूब मार पड़ती है. इसलिए तेज गेंदबाजी करना सबसे अच्छा विकल्प था और यहीं आपको सटीकता भी सीखनी थी क्योंकि गलती की गुंजाइश बहुत कम होती है.

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