Punit Bisht Retirement : T20 की एक पारी में 17 छक्के जड़ने वाले दिल्ली के धुरंधर ने लिया संन्यास, धोनी जैसे जांबाज भी नहीं कर सके ऐसा

आईपीएल (IPL) में कभी दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम में जगह बनाने वाले पुनीत बिष्ट (Punit Bisht Retirement) ने अब संन्यास का ऐलान कर डाला है.

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इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के साल 2012 सीजन में दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम में जगह बनाने वाले पुनीत बिष्ट ने अब संन्यास का ऐलान कर डाला है. 17 साल तक भारत के घरेलू क्रिकेट में धमाल मचाने वाले दिल्ली के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज पुनीत अब कभी क्रिकेट के मैदान में नजर नहीं आएंगे. पुनीत ने आईपीएल 2012 सीजन में जहां दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम में जगह बनाई. वहीं भारत के लिए टी20 क्रिकेट में एक कारनामे को अंजाम देने वाले वह दुनिया के दूसरे जबकि भारत के पहले विकेटकीपर बल्लेबाज भी हैं. जिसके लिए इस खिलाड़ी का नाम क्रिस गेल के बाद अभी तक जुड़ा हुआ है.

 

धोनी भी नहीं कर सके ऐसा 


पुनीत ने भारत में तीन टीमों से घरेलू क्रिकेट खेला. जिसमें दिल्ली के बाद उन्होंने जम्मू कश्मीर और मेघालय के लिए भी रन बटोरे. इसी दौरान 13 जनवरी 2021 में भारत की सय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी के दौरान मेघालय से खेलते हुए मिजोरम के खिलाफ उन्होंने 51 गेंदों में 6 चौके और 17 छक्के से 146 रनों की ताबड़तोड़ नाबाद पारी खेल डाली थी. जिससे टी20 क्रिकेट इतिहास की एक पारी में सबसे अधिक 17 छक्के लगाने वाले भारत के पहले विकेटकीपर बल्लेबाज जबकि दुनिया में क्रिस गेल (एक पारी में 18 छक्के) के बाद ऐसा करने वाले दूसरे खिलाड़ी हैं. इस रिकॉर्ड को साल 2008 से आईपीएल खेलने वाले महेंद्र सिंह धोनी भी बतौर विकेटकीपर अपने नाम नहीं कर सके हैं.

 

पुनीत का दमदार करियर 


वहीं पुनीत की बात करें तो साल 2006 में उन्होंने भारत के घरेलू क्रिकेट में दिल्ली के लिए खेलते हुए डेब्यू किया था. जिससे वह साल 2007-08 में जब दिल्ली ने रणजी ट्रॉफी का खिताब जीता था. उस टीम का हिस्सा भी थे. पुनीत ने अपने घरेलू क्रिकेट करियर में 103 फर्स्ट क्लास मैचों में 38 से ज्यादा के औसत से 5231 रन बनाए, जिसमें 10 शतक और 343 रन की बेस्ट पारी शामिल है. इसके अलावा विकेटकीपिंग में 299 कैच और 19 स्टंप आउट भी किए. लिस्ट ए के 103 मैचों में उन्होंने 2924 रन जबकि 66 टी20 मैचों में उन्होंने 1038 रन जड़े. 37 साल के हो चुके पुनीत ने संन्यास लेते हुए कहा कि मैंने फर्स्ट क्लास और लिस्ट ए दोनों फॉर्मेट में 100 से अधिक मैच खेले. अब इससे ज्यादा हासिल करने के लिए कुछ नहीं है. ये संन्यास लेने का सही समय है.  

 

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