ऋषभ पंत (Rishabh Pant Accident) के लिए साल 2022 कुछ ख़ास नहीं रहा. टीम इंडिया में जहां कुछ दिन पहले ही श्रीलंका के खिलाफ वनडे और टी20 टीम में उनका चयन नहीं हुआ. वहीं अब इसके बाद ऋषभ पंत की कार का भयानक एक्सीडेंट (Rishabh Pant Accident) हुआ है. जिसमें बाल-बाल उनकी जान जाते-जाते बच गई है. ऐसे में तेज रफ़्तार कार के डिवाइडर से टकराने के बाद पंत को कौन सा शख्स अस्पताल लेकर पहुंचा और दुर्घटना के समय पंत ने उनसे क्या बातचीत की. इन सभी चीजों की जानकारी स्पोर्ट्स तक को मिली है. ऐसे में सुनते है उसी हरियाणा रोडवेज के बस ड्राइवर सुशील की जुबां से इनसाइड स्टोरी कि कैसे वह पंत को दुर्घटना स्थल से अस्पताल तक ले गया.
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पंत को बचाने वाले सुशील की जुबानी
हम हरिद्वार से आ रहे थे. मैं हरियाणा रोडवेज में बस ड्राइवर हूं. हम 4.25 मिनट पर हरिद्वार से चले थे. जैसे ही हम नारसन के पास पहुंचे 200 मीटर पहले. मैंने देखा दिल्ली की तरफ से एक कार 60-70 की स्पीड में आई. वो डिवाइडर से टकराकर पलटती हुई हरिद्वार साइड में आ गई. मैंने सोचा अब तो ये हमारी बस से टकराएगी और हमें कोई बचा नहीं सकता. हम मरेंगे. मेरे पास 50 मीटर का फासला था तभी मैंने सर्विस लेन से निकालकर फर्स्ट लाइन में बस डाल दी. वो गाड़ी दूसरी लाइन में निकल गई. गाड़ी के टुकड़े टूट गए थे. मैंने तुरंत ब्रेक लगाए और खिड़की से कूदकर भागा. मैंने देखा वो व्यक्ति कार से आधा बाहर था. मैंने उसका हाथ पकड़ रखा था तभी कंडक्टर भी साथ आ गया. हमने उसे बाहर लिटा दिया. हमें लगा उसकी मौत हो चुकी है. मैंने देखा कार में आग लगनी शुरू हो गई थी. मैं कार की तरफ गया और देखने लगा कि कोई और तो नहीं है. मैंने उनसे पूछा भाई साहब कार के अंदर कोई और भी व्यक्ति है क्या. उन्होंने कहा कि मैं अकेला ही था. बाद में उन्होंने बताया कि मैं ऋषभ पंत हूं. क्योंकि मैं क्रिकेट का शौकीन नहीं हूं तो ज्यादा जानता नहीं, लेकिन कंडक्टर ने कहा कि ये भारतीय क्रिकेटर है. हमने उसे साइड में डिवाइडर पर लिटाया. उसके तन पर कपड़े नहीं थे हमने अपने एक यात्री से लेकर उसे चादर दी. उन्होंने बाद में कहा कि मेरे पैसे हैं कार में. हमने आसपास रोड पर जितने भी पैसे बिखरे थे उन्हें सात-आठ हजार रुपये इकट्ठा करके उनके हाथ में दे दिए. तब वो एंबुलेंस में बैठे थे. कंडक्टर ने एंबुलेंस को फोन कर दिया था. मैंने पुलिस को और नेशनल हाईवे को फोन किया था. नेशनल हाईवे से कोई जवाब नहीं आया. एंबुलेंस आ गई थी 15 मिनट बाद. उसके पूरे चेहरे पर खून था. हड़बड़ाए हुए थे. कमर छिली हुई थी. पैर से लंगड़ा रहे थे.
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