नई दिल्ली। कपिल देव की कप्तानी वाली टीम इंडिया ने पहली बार भारत को 1983 विश्व कप में जीत दिलाई. इस जीत के बाद भारतीय क्रिकेट पूरी तरह से बदल गया और दिन दूनी रात चौगूनी प्रगित करते हुए आगे बढ़ता चला गया. भारतीय क्रिकेट के इसी सुनहरे पलों को ताजा करने के लिए कबीर खान द्वारा निर्देशित फिल्म ‘83’ 24 दिसंबर को सिनेमाघरों में सभी फैंस के सामने होगी. ये फिल्म उनके लिए भी ख़ास होगी जो उस वक़्त भारतीय क्रिकेट का हिस्सा थे. जबकि युवा पीढ़ी के लिए 1983 विश्व कप के लम्हों को जीने का एक शानदार मौका होगा. इस फिल्म में कपिल देव का रोल रणवीर सिंह निभा रहे हैं और ट्रेलर से ही उनकी एक्टिंग की चारों तरफ चर्चा हो रही है. इस फिल्म के लांच होने से पहले रीयल स्टार्स और रील स्टार्स का मिलन हुआ. जिसमें स्पोर्ट्स तक से ख़ास बातचीत में भारत के विश्व विजेता कप्तान कपिल देव भावुक हो गए और उन्होंने अपनी टीम को बड़े जिगर वाली भी बताया.
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स्पोर्ट्स तक से बातचीत के दौरान शो में लीजेंड कपिल देव, सुनील गावस्कर, मदनलाल, संदीप पाटिल, सैयद किरमानी समेत अन्य सभी सितारे मौजूद रहे. जबकि फिल्म के डायरेक्टर कबीर खान, रणवीर सिंह समेत किरदार निभाने वाले अन्य सभी सितारों ने अपने-अपने अनुभवों का साझा किया.
बड़े जिगर वाली थी हमारी टीम
इस इंटरव्यू में फिल्म के बारे में बातचीत के दौरान कपिल देव ने भावुक होते हुए कहा, "पिछले 10 सालों से मुझे लगता है कि हम एक परिवार के रूप में और करीब आ गए हैं. जब भी हम एक-दूसरे से मिलते हैं तो वो कहते हैं न कि बचपन के दिल भुला न देना. उसके बाद कबीर जब इन यादों को दोबारा से वापस लेकर आया तो एक बार फिर हम सबके अंदर एनर्जी आ गई है. हमारी सोच बदल गई है. मैं ये कह सकता हूं कि हमारा ये जो परिवार और टीम है यह बहुत जिगर वाला है."
मैं भूल गया था कि कप्तान भी हूं
कपिल ने आगे कहा, "हां मैं थोड़ा इमोशनल हूं क्योकि एक बार फिर से सारी यादें ताजा हो रही हैं. इसके अलावा हम जब विश्व कप खेल रहे थे तो हम बड़ी मस्ती मार रहे थे. एक समय तो मैं भूल गया था कि मैं कप्तान भी हूं. क्योंकि टीम में आत्मविश्वास काफी जाग गया था और जब आपकी टीम का आत्मविश्वास बढ़ जाता है. तब फिर आप हार नहीं सकते हैं."
1983 विश्व कप की ओरिजनल ट्रॉफी का हुआ इस्तेमाल
वहीं फिल्म में कपिल देव का किरदार निभाने वाले रणवीर भी भावुक नजर आए और उन्होंने कहा, "हम टनब्रिज वेल्स में शूटिंग कर रहे थे और कपिल पाजी के 175 रनों की पारी को रिकॉर्ड करना था. उस समय कपिल पाजी खुद वहां थे और टीम के कोच बलविंदर सिंह संधू भी थे. मैं हमेशा उनसे कहता रहता था कि क्या वाकई ये सच में हो रहा है. उसके बाद हम लॉर्ड्स गए और 1983 विश्व कप की ओरिजनल ट्रॉफी हमने उठाई थी. जिसका इस्तेमाल शूटिंग में किया गया. फिर मैं सबसे मिला तो वह काफी इमोशनल पल था. मुझे किसी भी चीज पर यकीन नहीं था."