अनुभवी भारतीय स्पिनर पीयूष चावला ने 17 साल की उम्र में भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था. घरेलू सर्किट में कमाल दिखाने के बाद और कई सारे विकेट लेने के बाद चावला को एक युवा स्पिनर के तौर पर टीम में शामिल किया गया था. चावला ने भारत के लिए अंडर-19 लेवल पर भी खेला, जब वह केवल 15 साल के थे. लेकिन उन्होंने 2005 में चैलेंजर ट्रॉफी के फाइनल में महान सचिन तेंदुलकर का विकेट लेकर भारतीय घरेलू सर्किट में सुर्खियां बटोरीं.
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चावला ने उसी मैच में एमएस धोनी और युवराज सिंह को भी आउट किया था लेकिन टीम मैच हार गई. चावला ने रणजी ट्रॉफी में उत्तर प्रदेश के लिए खेलते हुए अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा, जहां लेग स्पिनर ने 35 विकेट चटकाए और 224 रन बनाए, जिससे उनकी टीम को अपना पहला रणजी ट्रॉफी जीतने में मदद मिली. उनके धांसू प्रदर्शन के आधार पर भारतीय टीम ने उन्हें फरवरी-मार्च 2006 में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज के लिए चुना. चावला को मोहाली में दूसरे टेस्ट मैच में दाएं हाथ के तेज गेंदबाज मुनाफ पटेल के साथ खेलने का मौका मिला, जिनकी तेज गति ने सभी का ध्यान खींचा.
केविन पीटरसन ने मुझे बहुत मारा था: चावला
मुनाफ ने पहली पारी में केविन पीटरसन, एंड्रयू फ्लिंटॉफ और लियाम प्लंकेट के विकेट चटकाए, लेकिन चावला के लिए चीजें अलग थीं क्योंकि उन्हें पहली पारी में कोई विकेट नहीं मिला और वे सबसे महंगे गेंदबाज भी रहे. उन्होंने 9 ओवर में 45 रन दिए. केविन पीटरसन ने शुरुआत से ही चावला को अपने पावरफुल स्लॉग स्वीप से परेशान किया. कलाई के स्पिनर ने पीटरसन को 13 गेंदें फेंकी और उनमें से तीन पर बाउंड्री लगाई. ऐसे में टू स्लॉगर्स पॉडकास्ट पर बात करते हुए चावला ने कहा कि पहले टेस्ट मैच में, पीटरसन ने मुझे मैदान के अलग-अलग हिस्सों में मारा. और उसके बाद कहा कि चाहे वह शेन वॉर्न हो या कोई 17 साल का बच्चा, मैं इसी तरह से बल्लेबाजी करता हूं'. फिर मैंने खुद से कहा कि इंटरनेशनल क्रिकेट में आपका स्वागत है. इसके बाद जिस तरह से सभी ने मेरा सपोर्ट किया था. किसी युवा खिलाड़ी के लिए जो अभी-अभी टीम में आया है, सीनियर्स से समर्थन पाना बहुत महत्वपूर्ण है.
चावला ने आगे कहा कि "मैंने घरेलू क्रिकेट में लगभग हर दूसरे मैच में पांच विकेट लिए. ऐसा लग रहा था कि चीजें बहुत आसान थीं, लेकिन जब मैंने अपना पहला टेस्ट खेला, तो मुझे एहसास हुआ कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट इतना मुश्किल क्यों है.'' चावला ने आगे कहा कि इसके बाद "सचिन पाजी आए. वीरू भाई ने मुझसे अपने तरीके से बात की. फिर युवी पाजी और माही भाई. मैं यह नहीं कह सकता कि वे दोस्त थे क्योंकि वे बहुत सीनियर थे.'' चावला ने तीन टेस्ट, 25 वनडे और 7 टी20 मैचों में भारतीय जर्सी पहनी, लेकिन वह दो बार के विश्व चैंपियन हैं. वह 2007 में भारत की टी20 विश्व कप विजेता टीम और फिर 2011 में वनडे विश्व कप विजेता टीम के सदस्य भी थे.
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