IPL Title Sponsors : इंडियन प्रीमियर लीग का आगाज जब साल 2008 में हुआ था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि ये लीग दोगुनी और चौगुनी रफ्तार से न सिर्फ भारत बल्कि विदेशी में भी लोकप्रिय हो जाएगी. तमाम विदेशी स्टार्स क्रिस गेल और एबी डिविलियर्स जैसे खिलाड़ियों ने इस लीग को वर्ल्ड में फेमस करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इन खिलाड़ियों के ताबड़तोड़ प्रदर्शन से आईपीएल फ्रेंचाइजियों ने विदेशों में भी फैंस के दिलों में जगह बनाई. यही कारण है कि साल 2008 में 40 करोड़ से शुरू होने वाली आईपीएल टाइटल स्पांसरशिप की रकम सीजन दर सीजन बढ़ती चली गई और अब टाटा टाइटल स्पांसर के रूप में प्रति सीजन 500 करोड़ का भुगतान कर रहा है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आईपीएल के टाइटल स्पांसर की रकम कैसे और किस सीजन कितनी रफ्तार से बढ़ी.
डीएलएफ (2008 से 2012)
आईपीएल के आगाज यानि पहले साल 2008 सीजन में दिल्ली लैंड एंड फाइनेंस (डीएलएफ) ने टाइटल स्पांसरशिप हासिल की. डीएलएफ ने पहले साल 2008 से लेकर साल 2011 तक चार साल के लिए 100 मिलियन डॉलर की रकम देकर क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा सौदा किया जबकि इसके बाद साल 2012 की भी टाइटल स्पांसरशिप लेकर इस डील को कुल 150 मिलियन डॉलर कर दिया था. यानि डीएलएफ ने 40 करोड़ रुपये प्रति सीजन के हिसाब से बीसीसीआई को 200 करोड़ रुपये दिए थे.
पेप्सी (2013 से 2015)
आईपीएल की लोकप्रियता को देखते हुए टाइटल स्पांसरशिप को लेकर तमाम कंपनियों में इसे हासिल करने की दौड़ बढ़ती गई, इसका नतीजा ये रहा कि पेप्सी कंपनी ने बीसीसीआई के साथ साल 2013 में अगले 5 साल के लिए 396 करोड़ रुपये का करार किया था. लेकिन साल 2015 में आईपीएल में फिक्सिंग कांड के साथ चेन्नई और राजस्थान की टीम बाहर होने से पेप्सी ने तीन साल बाद करार तोड़ दिया था. जिससे पेप्सी ने बीसीसीआई को तीन आईपीएल सीजन 2013, 2014, 2015 के लिए कुल 238.2 करोड़ रुपये दिए थे.
विवो (2016 से 2019)
पेप्सी के पीछे हटने के बाद चाइनीज मोबाइल कंपनी विवो ने पेप्सी के बचे हुए बाकी दो सालों के लिए बीसीसीआई के साथ पहले 100 करोड़ की डील पर करार किया. आईपीएल से होने वाले फायदे को देखकर विवो ने फिर बीसीसीआई के साथ साल 2017 में टाइटल स्पांसरशिप के रिकॉर्ड तोड़ते हुए अगले 5 सालों के लिए 2199 करोड़ की डील पर मंजूरी जताई. जिसके तहत बीसीसीआई को टाइटल स्पांसरशिप के लिए अब प्रति सीजन कई गुना अधिक रकम करीब 439.8 करोड़ रुपये मिलने लगे थे. हालांकि भारत-चीन के बीच सीमा में बढ़ते तनाव के चलते विवो कंपनी का करार दो साल तक ही चल सका और 2019 में ये करार समय से पहले ही समाप्त हो गया.
ड्रीम-11 (2020)
चाइनीज कंपनी विवो के अचानक जाने के बाद आईपीएल की टाइटल स्पांसरशिप भारत की फैंटेसी गेम कंपनी ड्रीम-11 ने हासिल कर की. ड्रीम-11 ने एक सीजन के लिए बीसीसीआई को विवो से आधी रकम 222 करोड़ रुपये दिए.
विवो की वापसी (2021)
ड्रीम-11 के बाद विवो की फिर से टाइटल स्पांसरशिप के लिए वापसी हुई और साल 2021 आईपीएल सीजन में विवो ने फिर से अपने पुराने करार पर अमल करते हुए बीसीसीआई को 439.8 करोड़ रुपये एक सीजन के दिए.
टाटा का बीसीसीआई से हुआ 2500 करोड़ का करार
भारत के प्रतिष्ठित टाटा ग्रुप ने साल 2022 आईपीएल सीजन के टाइटल स्पांसरशिप की दौड़ में सबसे अधिक रकम देकर कब्जा जमाया. टाटा ने बीसीसीआई के साथ दो साल का करार किया. इसके लिए उसने प्रति सीजन 335 करोड़ रुपये दिए. लेकिन दो सीजन पूरे होने के बाद साल 2024 सीजन से लेकर साल 2028 आईपीएल सीजन तक टाटा ने 5 साल के लिए बीसीसीआई से 2500 करोड़ रुपये (500 करोड़ रुपये प्रति सीजन) का करार किया. जिसके चलते आईपीएल इतिहास में सबसे अधिक 500 करोड़ रुपये प्रति सीजन के हिसाब से 2024 सीजन अब सबसे महंगे टाइटल स्पांसरशिप के साथ होने वाला सीजन बन गया है.
साल | स्पांसर | प्रति सीजन रकम |
2008 | डीएलएफ | 40 करोड़ |
2009 | डीएलएफ | 40 करोड़ |
2010 | डीएलएफ | 40 करोड़ |
2011 | डीएलएफ | 40 करोड़ |
2012 | डीएलएफ | 40 करोड़ |
2013 | पेप्सी | 79.4 करोड़ |
2014 | पेप्सी | 79.4 करोड़ |
2015 | पेप्सी | 79.4 करोड़ |
2016 | विवो | 100 करोड़ |
2017 | विवो | 100 करोड़ |
2018 | विवो | 439.8 करोड़ |
2019 | विवो | 439.8 करोड़ |
2020 | ड्रीम-11 | 222 करोड़ |
2021 | विवो | 439.8 करोड़ |
2022 | टाटा | 335 करोड़ |
2023 | टाटा | 335 करोड़ |
2024 | टाटा | 500 करोड़ |
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