रोहित शर्मा टीम इंडिया के लिए ODI में उठा रहे जोखिम, बोले- 150 से 170 रन बनाना चाहता हूं मगर...

रोहित शर्मा टीम इंडिया के लिए ODI में उठा रहे जोखिम, बोले- 150 से 170 रन बनाना चाहता हूं मगर...

Rohit Sharma ODI Batting: रोहित शर्मा (Rohit Sharma) पिछले कुछ सालों में लगातार शतक बनाने में नाकाम रहे हैं. 2019 वर्ल्ड कप के बाद से चार साल में केवल तीन वनडे शतक वे लगा सके हैं. इस बारे में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा का कहना है कि उन्होंने अब बैटिंग में रिस्क उठाना शुरू किया है इससे आउट होने की संभावना भी बढ़ गई हैं. विश्व कप 2019 के अंत तक रोहित 27 वनडे शतक बना चुके थे. अब यह आंकड़ा 30 का ही है. पीटीआई को रोहित इंटरव्यू में बोले, ‘मैं ज्यादा जोखिम लेना चाहता था इसलिए मेरे शतकों की संख्या अब थोड़ी अलग है. मेरा (वनडे) स्ट्राइक रेट (इस दौरान) बढ़ गया लेकिन औसत थोड़ा कम हो गया. हमारे बल्लेबाजी कोच (विक्रम राठौड़) मुझे यही बता रहे थे.’

रोहित इकलौते खिलाड़ी हैं जिन्होंने तीन दोहरे शतक (आस्ट्रेलिया के खिलाफ 2013 में 209 रन, श्रीलंका के खिलाफ 2014 में 264 रन, श्रीलंका के खिलाफ 2017 में नाबाद 208 रन) जड़े हैं. उनकी अंतिम 150 रन से ज्यादा की पारी 2019 में विशाखापट्टनम में वेस्ट इंडीज के खिलाफ बनी. रोहित ने कहा कि उन्हें इस दौरान कहीं कहीं समझौता भी करना पड़ा. उन्होंने कहा, ‘मेरा करियर स्ट्राइक रेट करीब 90 (89.97) था लेकिन पिछले दो सालों में अगर आप मेरे स्कोर देखो और स्ट्राइक रेट को देखो तो यह 105-110 के करीब रहा है. इसलिए कहीं न कहीं आपको समझौता करना पड़ता है. ऐसा संभव नहीं है कि औसत 55 का हो और स्ट्राइक रेट 110 का. जोखिम उठाना पूरी तरह से मेरी पसंद रही. मेरी सामान्य बल्लेबाजी अब भी मेरे अंदर है लेकिन मैं कुछ और आजमाना चाहता था. मैं नतीजे से भी खुश हूं.’

रिस्क लेकर खेलते रहेंगे रोहित

रोहित बोले- भारत में बैटिंग हो गई मुश्किल


भारतीय टीम घरेलू मैदानों पर जिस तरह के ट्रैक पर खेलती है, वे बल्लेबाजों के मुफीद नहीं हैं और भारतीय कप्तान पिछले कुछ समय से टेस्ट में लगातार अच्छा करने वाले बल्लेबाजों में शुमार है. उन्होंने कहा, ‘भारत में मेरी हाल की टेस्ट पारियों को देखो. मैं आपको बता सकता हूं कि अब भारत में बल्लेबाजी करना विदेश में बल्लेबाजी करने से ज्यादा मुश्किल है, विशेषकर पिछले दो-तीन सालों में ऐसा हो गया है. हम जिन पिचों पर खेलते हैं, वे विदेशों से ज्यादा चुनौतीपूर्ण हैं. इसलिये हमने बल्लेबाजी इकाई के रन और औसत के बारे में बात नहीं की है. हम सभी सहमत हुए कि हम चुनौतीपूर्ण पिचों पर खेलना चाहते हैं. मैं इस बात की चिंता नहीं करना चाहता कि हमारा औसत कैसा रहेगा.’

 

उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसा ही सोचता हूं लेकिन विभिन्न खिलाड़ियों के सोचने की प्रक्रिया अलग है और मैं इसे बदलना नहीं चाहता. मैं ऐसी पिचों पर खेलूंगा जो हमारे गेंदबाजों के लिए फायदेमंद रहें.’

 

रोहित 11 साल तक मुंबई इंडियंस की कप्तानी कर चुके हैं और करीब दो साल से राष्ट्रीय टीम की अगुआई कर रहे हैं. तो क्या कप्तानों का कार्यकाल होता है? इस पर उन्होंने जवाब दिया, ‘कार्यकाल जैसी कोई चीज नहीं होती. आपको एक जिम्मेदारी मिलती है, आप नतीजा हासिल करते हो और सबसे महत्वपूर्ण कि आपको जो जिम्मेदारी दी गयी है, उससे आप खुश हो. कार्यकाल की तुलना में यह सबसे अहम सवाल है.’

 

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