'मैंने कहा मैच खत्म करके आना है, वो बोली ठीक दीदी', स्मृति मांधना ने बताया ऑस्ट्रेलिया को कैसे शिकस्त दी

'मैंने कहा मैच खत्म करके आना है, वो बोली ठीक दीदी', स्मृति मांधना ने बताया ऑस्ट्रेलिया को कैसे शिकस्त दी

भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए पिछले कई सालों से करीबी मैचों का सफल अंत करना परेशानी का सबब रहा था.  लेकिन उप कप्तान स्मृति मांधना का मानना है कि पिछले एक साल में की गई कड़ी मेहनत से टीम विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ करीबी मैच में जीत दर्ज करने में सफल रही. मांधना ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में 49 गेंदों पर 79 रन बनाए जिससे भारतीय टीम लक्ष्य हासिल करने के करीब पहुंच गई थी लेकिन आखिर में उसने 187 रन बनाकर स्कोर टाई करवाया. मांधना ने बाद में सुपर ओवर में 13 रन बनाए जिससे भारत ने जीत दर्ज की.

 

मांधना ने मैच के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम करीबी मैचों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे हालांकि हम मजबूत टीमों को कड़ी चुनौती दे रहे थे. करीबी मैच ऐसे मामले थे जिन पर पूरी भारतीय टीम काम कर रही है और इसकी शुरुआत कॉमनवेल्थ गेम्स के सेमीफाइनल से हुई. कुछ मैचों में हमने जीत दर्ज करनी शुरू कर दी थी. हमारे खिलाड़ियों ने दबाव की परिस्थितियों से निपटना शुरू कर दिया और हमारे पास कई मैच विजेता भी हैं.’

 

सालभर पहले 25 गेंद में 45 बनाना मुश्किल था

मांधना ने कहा कि एक साल पहले तक भी टीम के लिए 25 गेंदों पर 45 के करीब रन बनाना आसान काम नहीं था. उन्होंने कहा, ‘यदि 25 गेंदों पर 45 रन की जरूरत है तो एक साल पहले तक भी हो सकता था कि भारतीय महिला टीम इसे हासिल नहीं कर पाती. अब हमारे पास ऋचा घोष, दीप्ति शर्मा और देविका वैद्य जैसे खिलाड़ी हैं. वे अच्छी तरह से अपनी भूमिका निभा रही हैं.’

 

ऋचा से क्या कहा था
मांधना ने ऋचा को विशेष कौशल का धनी बताया जिन्होंने दूसरे मैच में चार गगनदायी (सुपर ओवर में एक सहित) छक्के लगाए. उन्होंने कहा, ‘जब नियमित ओवरों में मैं आउट हो गई तो मैंने वापस लौटते समय ऋचा से कहा मैच खत्म करके आना है और उसने कहा ठीक है दीदी. मैं जानती थी कि वह विशेष कौशल की धनी है.’

 

मांधना ने ऋचा और शेफाली वर्मा को दक्षिण अफ्रीका में होने वाले अंडर-19 विश्व कप के लिए भारतीय टीम में चुनने के भारतीय क्रिकेट बोर्ड के फैसले का भी स्वागत किया. उन्होंने कहा, ‘जब हम 16 या 17 साल के थे तो अंडर-19 महिला विश्वकप के बारे में सुनते थे. यह उनके लिए अच्छा है और हमें भी उनकी जगह दो नई लड़कियों को खिलाने से अपनी बेंच स्ट्रेंथ का पता चल पाएगा.’