टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा को पता था कि कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में बारिश और गीली आउटफील्ड के कारण ढाई दिन खराब होने के बाद बांग्लादेश के खिलाफ दूसरा टेस्ट जीतने के लिए भारत को अपनी पहली पारी में टी20 स्टाइल की बल्लेबाजी करनी होगी. लेकिन यह कहना जितना आसान था, करना उतना ही मुश्किल था. रोहित को ये भी पता था कि अगर टी20 जैसी बल्लेबाजी फेल होती तो लोग उन्हें काफी ज्यादा टारगेट करते. वहीं अगर टीम इंडिया सस्ते में आउट हो जाती तो बांग्लादेश को बढ़ती मिल सकती थी क्योंकि टीम ने पहली पारी में 233 रन ठोके थे.
ऐसे में इस मामले पर अब रोहित ने पूरा खुलासा किया है. रोहित ने कहा कि वह, मुख्य कोच गौतम गंभीर और टीम के अन्य सदस्य रिजल्ट पाने के लिए यह जोखिम उठाने को तैयार थे. लेकिन भारतीय कप्तान गेंद से जसप्रीत बुमराह, रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा के योगदान को नहीं भूले. बांग्लादेश ने चौथे दिन 107/3 से खेलना शुरू किया और 233 रन पर आउट हो गया.
हमें कैसे भी रिजल्ट चाहिए था: रोहित शर्मा
रोहित ने बीसीसीआई टीवी पर कहा कि, "अन्य 10 खिलाड़ियों और जाहिर तौर पर ड्रेसिंग रूम में बैठे लोगों की मदद के बिना, यह संभव नहीं होता. जब आप ढाई दिन खो देते हैं, तो हर किसी के लिए इस टेस्ट को जीतने के हमारे लक्ष्य से दूर हो जाना बहुत आसान होता है. हम चौथे दिन यहां आए. हमें उन्हें आउट करने के लिए 7 विकेट चाहिए थे. सब कुछ वहीं से शुरू हुआ. गेंदबाजों ने सबसे पहले अपनी भूमिका निभाई. उन्होंने वो विकेट लिए जिनकी हमें जरूरत थी.''
बता दें कि जब भारत की बल्लेबाजी का समय आया तो रोहित और यशस्वी जायसवाल ने महज 18 गेंदों पर टेस्ट इतिहास की सबसे तेज 50 रन की ओपनिंग साझेदारी करके लय स्थापित की. रोहित ने कहा कि सब कुछ सही लग रहा है क्योंकि चीजें सही जगह पर हो रही हैं, लेकिन उन्हें यह भी पता है कि अगर उनकी आक्रामक बल्लेबाजी नहीं होती तो क्या हो सकता था.
रोहित ने बताया कि, "हमें परिणाम पाने के लिए जोखिम उठाना पड़ा. मुझे पता है कि परिणाम किसी भी तरह से हो सकता था, लेकिन मैं इसके लिए तैयार था, कोच और अन्य खिलाड़ी भी इसके लिए तैयार थे. आपको उन फैसलों को लेने और उस तरह से खेलने के लिए पर्याप्त साहसी होना चाहिए. जब चीजें सही जगह पर होती हैं, तो सब कुछ अच्छा लगता है और जब चीजें सही जगह पर नहीं होती हैं, तो यह बहुत तेजी से बदल सकता है. हर कोई हमारे जरिए लिए गए फैसले और उस सब की आलोचना करना शुरू कर देता. लेकिन जो मायने रखता है वह यह है कि हम इस चेंजिंग रूम के अंदर क्या सोचते हैं और यही मायने रखता है.''