कानपुर टेस्ट के दौरान बारिश और गीली आउटफील्ड के चलते दो दिन तक कोई खेल नहीं हो पाया. इसके बाद सवाल उठे कि क्या भारत में भी इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की तरह चुनिंदा शहरों में ही टेस्ट मैच होने चाहिए. भारतीय टीम के वेटरन स्पिनर आर अश्विन से बांग्लादेश के खिलाफ दूसरे टेस्ट के बाद इस बारे में सवाल किया गया. उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि सीमित टेस्ट स्टेडियम होने से खिलाड़ियों को मदद मिलती है लेकिन भारत में इस तरह के विचार का उन्होंने समर्थन नहीं किया. अश्विन ने कहा कि इस बारे में कमेंट करना उनके पे स्केल से ऊपर है.
कुछ साल पहले भारतीय टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली ने सुझाव दिया था कि भारत में भी इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की तरह पांच टेस्ट सेंटर होने चाहिए. कानपुर में भारतीय टीम की बांग्लादेश पर सात विकेट से जीत के बाद अश्विन से पूछा गया कि क्या कुछ टेस्ट सेंटर होने से खिलाड़ी को मदद मिलती है.
इस पर भारतीय स्पिनर ने कहा, 'निश्चित रूप से. क्योंकि जब हम ऑस्ट्रेलिया जाते हैं तो वे भारत से केवल पांच टेस्ट सेंटर पर ही खेलते हैं. वे हमसे कैनबरा में नहीं खेलते. वे हमसे किसी और जगह नहीं खेलते जहां पर वे कंडीशन को नहीं समझते हैं. इंग्लैंड भी ऐसा ही करता है. उनके पास चुनिंदा टेस्ट सेंटर हैं और वहीं पर वे खेलते हैं. क्या भारत में हम ऐसा कर सकते हैं. मुझे इतने पैसे नहीं मिलते कि मैं इस बारे में कह सकूं. मैं इस पर कमेंट नहीं कर सकता.'
अश्विन ने बताए अलग-अलग जगह टेस्ट कराने के फायदे
ऑस्ट्रेलिया परंपरागत रूप से मेलबर्न, सिडनी, पर्थ, ब्रिस्बेन और एडिलेड में ही टेस्ट खेलता है. इसी तरह से इंग्लिश टीम लंदन, बर्मिंघम, मेनचेस्टर, नॉटिंघम और एजबेस्टन में खेलती है. अश्विन ने हालांकि माना कि बहुत सारी जगहों पर टेस्ट खेलने से क्रिकेट को मदद होती है. उन्होंने कहा, 'पहली बात, भारतीय क्रिकेटर्स को इतने सारे सेंटर्स पर खेलने से देश के अलग-अलग कोनों से खिलाड़ी मिलते हैं. यह एक बड़ा देश है और इससे देश के लिए खेलने का जूनुन क्रिकेटर्स में आता है. यह बहुत अच्छी बात है. दूसरी बात, टेस्ट मैच को कराने के लिए निश्चित चीजें होनी चाहिए होती हैं. जैसे ड्रेनेज सिस्टम.'