चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए भारतीय टीम के पाकिस्तान नहीं जाने को लेकर हुए विवाद के बाद अब एक नया बखेड़ा सिर उठाता दिख रहा है. इंग्लैंड क्रिकेट टीम इस टूर्नामेंट में अफगानिस्तान से खेलने से इनकार कर सकती है. ब्रिटेन में इस मुकाबले को लेकर हल्ला मचा हुआ है. वहां के सांसद मांग कर रहे हैं कि इंग्लिश टीम को अफगानिस्तान से खेलने से इनकार कर देना चाहिए. इस कड़ी में 160 से ज्यादा राजनेता पत्र पर दस्तखत कर चुके हैं. इन राजनेताओं की मांग है कि इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड को अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के खिलाफ खड़ा होना चाहिए. तालिबान के महिला अधिकारों पर हमले के विरोध में ईसीबी को चैंपियंस ट्रॉफी में अफगानिस्तान से होने वाले मुकाबले का बॉयकॉट करना चाहिए. इंग्लैंड और अफगान टीम का मैच 26 फरवरी को पाकिस्तान के लाहौर में होना है. 2003 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड ने रॉबर्ट मुगाबे के शासन के विरोध में जिम्बाब्वे से खेलने से मना कर दिया था.
तालिबान ने 2021 में अफगानिस्तान में सत्ता संभाली. तब से महिलाओं के खेलने पर रोक लगा दी गई. इसके चलते अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के नियमों का उल्लंघन किया है. आईसीसी नियमों के अनुसार महिला और पुरुष दोनों क्रिकेट टीम होने पर ही उसे मान्यता मिलती है. लेकिन आईसीसी ने अफगानिस्तान की पुरुष टीम को खेलने की इजाजत दी है. इसके बाद से सवाल उठ रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया ने महिलाओं को खेलने से रोके जाने के चलते ही अफगानिस्तान के साथ अपनी धरती पर होने वाली द्विपक्षीय सीरीज को रद्द कर दिया.
ब्रिटिश सांसदों ने इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड से क्या कहा
ब्रिटेन के सांसदों की तरफ से अब ईसीबी से स्टैंड लेने को कहा जा रहा है. लेबर पार्टी की सांसद टोनिया एंटोनियाजी ने अफगानिस्तान में महिला अधिकारों पर हमले को लेकर पत्र लिखा है. इस पर अलग-अलग दलों के सांसदों ने साइन किए हैं. इनमें नाइजल फराज और जेरेमी कॉर्बिन भी शामिल हैं. पत्र में ईसीबी के सीईओ रिचर्ड गुल्ड को संबोधित करते हुए लिखा गया है, 'हम मजबूती से निवेदन करते हैं कि इंग्लैंड पुरुष टीम के खिलाड़ियों और अधिकारियों को अफगानिस्तान में तालिबान के शाशन में महिलाओं व लड़कियों पर हो रहे भयानक अत्याचार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. हम ईसीबी से गुहार लगाते हैं कि अफगानिस्तान के खिलाफ आगामी मैच का बहिष्कार किया जाए जिससे कि यह स्पष्ट संदेश जाए कि इत तरह का विकृत हमला सहन नहीं किया जाएगा.'
ईसीबी ने अफगानिस्तान के बॉयकॉट पर क्या कहा
ईसीबी चीफ गुल्ड ने इस पत्र के जवाब में कहा कि वह अकेले कदम उठाने की जगह सभी सदस्यों से एकजुट आवाज उठाने के पक्ष में हैं. उन्होंने कहा कि ईसीबी अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ हो रहे बर्ताव की कड़ी निंदा करते हैं. ईसीबी ने अफगानिस्तान के साथ किसी तरह के द्विपक्षीय क्रिकेट की सीरीज नहीं रखी.