भुवनेश्वर कुमार एक भारतीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी है. वह घरेलू क्रिकेट में उत्तर प्रदेश और इंडियन प्रीमियर लीग में सनराइजर्स हैदराबाद के लिए खेलते हैं. भुवनेश्वर कुमार के पास स्विंग में महारत हासिल है. वो बल्ले के खिलाफ दोनों तरफ कुशलता से स्विंग कराते है, विशेष रूप से लेट स्विंग कराने में माहिर है. जिसके कारण भुवनेश्वर टीम के प्रमुख गेंदबाजों में शुमार रहते हैं. भुवनेश्वर कुमार का जन्म 5 फ़रवरी 1990 को उत्तर प्रदेश के मेरठ मे हुआ था. भुवनेश्वर कुमार के पिता का नाम किरणपाल सिंह है जो उत्तर प्रदेश पुलिस मे सब-इंस्पेक्टर है और माता का नाम इंद्रेशपाल है जो एक हाउसवाइफ है. भुवनेश्वर कुमार अपने पिता की तरह स्वाभाव से शांत और शर्मिले है. वे बिना किसी शोर शराबे और हंगामे के अपने काम को अंजाम देते है. भुवनेश्वर कुमार की बहन का नाम रेखा अधाना है और इनके बड़े भाई का नाम शिजान है.
बचपन से ही क्रिकेट का जुनून
भुवनेश्वर कुमार को क्रिकेट का शौक बचपन से ही था और केवल 10 साल की छोटी सी उम्र मे ही उन्होंने शौक मे लीग टूर्नामेंट खेलना शुरु कर दिया था, जिसे टेनिस की गेंदों के साथ खेला जाता था. उनको पता ही नहीं था की प्रोफेशनल क्रिकेट जैसी भी कोई चीज़ होती है. इसके अलावा उनमें गेंदबाज़ी का टेलेंट तो बचपन से ही था लेकिन उनमें इतनी समझ नहीं थी. पर उनकी बहन उनके इस टैलेंट को अच्छी तरह जानती थी और वे भुवनेश्वर को क्रिकेट खेलने के लिए हमेशा सपोर्ट करती थी. भुवनेश्वर कुमार की बहन रेखा ने उन्हें क्रिकेट खेलने के लिये प्रेरित किया और 13 साल की उम्र मे मेरठ के भामाशाह क्रिकेट अकादमी मे उनका दाखिला करवा दिया.
भुवनेश्वर कुमार के बोलिंग कोच संजय रस्तोगी थे. नई गेंद को हवा मे कैसे स्विंग कराया जाता है यह उन्हें संजय रस्तोगी ने ही सिखाया. भुवनेश्वर को क्रिकेटर बनाने मे उनकी बहन का बहुत बड़ा योगदान है. भुवनेश्वर को शुरुआती दिनों में क्रिकेट खेलने के लिये काफी संघर्ष करना पड़ा. क्रिकेट स्टेडियम तक पहुंचने के लिये उनके पास बस के किराये के पैसे नहीं हुआ करते थे, इसलिए वे ट्रैन से सफर करके स्टेडियम तक जाया करते थे. उनके अन्दर क्रिकेट का जूनून इतना था कि तेज़ बुखार होने के बावजूद वे ग्राउंड मे मैच खेलने के लिये उतर जाते थे. भुवनेश्वर कुमार बहुत ही टेलेंटेड स्टूडेंट थे, वे हर बात बहुत ही जल्दी सिख जाते थे और कुछ इसी तरह वह क्रिकेट के सभी गुर सिख गए और जल्द ही एक अच्छे क्रिकेटर के रूप मे सबके सामने उभर कर आए. भुवनेश्वर कुमार की मेहनत और उनका अंदाज़ पश्चिमी उत्तर प्रदेश और देश के सभी युवाओं के लिये प्रेरणा का काम करता है जो ज़िन्दगी मे कुछ अलग करना चाहते है.
22 साल की उम्र में भारत की टी20 टीम में चुने जाने पर उत्तर प्रदेश के इस गेंदबाज ने टीम इंडिया में पहुंचने की अपनी उपलब्धि के लिए अपने माता-पिता के साथ-साथ अपनी बहन को भी धन्यवाद दिया था.
2008 के Ranji Trophy मे उन्होंने 35 विकेट लिये और अपने गेंदबाज़ी से सबको प्रभावित कर दिया. इसी तरह समय बीतता गया और वह खुद को पहले से भी बेहतर बनाते गए. साल 2012 मे उन्होंने central zone की तरफ से खेलते हुए Duleep Trophy के सेमीफइनल मे North zone के खिलाफ नंबर 8 पर बल्लेबाज़ी करते हुए अपना पहला फर्स्ट क्लास शतक लगाया. इस मैच मे भुवनेश्वर कुमार ने 3.09 के इकॉनमी रेट से एक विकेट लिया और 312 गेंदों पर 128 रन बनाए. इस मैच मे उनकी शानदार परफॉरमेंस की वजह से उन्हें मैन ऑफ़ द मैच चुना गया. इस पारी की बदौलत वह अपनी टीम को फाइनल मे ले गए. इस शतक से उन्होंने अपनी बैटिंग का करिश्मा भी सबको दिखा दिया था.
डोमेस्टिक में शानदार प्रदर्शन के बाद मिला टीम इंडिया में मौका
डोमेस्टिक क्रिकेट मे शानदार प्रदर्शन के बाद भुवनेश्वर कुमार का Team India मे पाकिस्तान के खिलाफ T20 के लिए सिलेक्शन हो गया. जिसमें उन्होंने शानदार गेंदबाजी करते हुए 4 ओवर मे 9 रन देकर 3 विकेट हासिल किये थे, और इसकी मदद से अपने लिये ODI Team मे जगह बना ली. उसके बाद पाकिस्तान के खिलाफ ही 30 दिसंबर 2012 को उन्होंने अपना ODI डेब्यू भी किया और अपनी एकदिवसीय क्रिकेट की पहली गेंद पर पाकिस्तान बेहतरीन बल्लेबाज़ मोहम्मद हफ़ीज़ को आउट किया. इसके बाद अपनी शानदार बोलिंग की वजह से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्हें टेस्ट टीम में भी जगह मिली.
अपनी अच्छी परफॉरमेंस को भुवनेश्वर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2013 के बॉर्डर गावास्कर ट्रॉफी में भी शानदार प्रदर्शन किया.हालांकि पहले test match मे भुवनेश्वर गेंदबाज़ी से कुछ कमाल नहीं कर पाए लेकिन बल्लेबाज़ मे कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के साथ नौवें विकेट के लिये 140 रन की रेकॉर्डतोड़ साझेदारी की और अपने दूसरे टेस्ट मैच मे Australia के 3 महत्वपूर्ण विकेट चटकाए. उसके बाद भारत के दर्दनाक इंग्लैंड दौरे मे भुवनेश्वर अकेले प्रभावित करने वाले खिलाड़ी थे, जब बल्लेबाज़ी मे उन्होंने 3 अर्धशतक बनाए और गेंदबाज़ी मे 19 विकेट लिये जो भारत की तरफ से इंग्लैंड के खिलाफ एक सीरीज मे रिकॉर्ड है.
आईपीएल में भुवनेश्वर ने दिखाया अपना स्विंग का जादू
भुवनेश्वर कुमार ने अपने आईपीएल करियर की शुरुआत रॉयल चैलेंजर बंगलौर की तरफ से की. उसके बाद उन्हें पुणे वारियर्स ने ख़रीदा. लेकिन 2014 मे पुणे की टीम बंद हो जाने के बाद वे सनराइजर्स हैदराबाद से जुड़ गए और पिछले साल भी हुए ऑक्शन में भुवनेश्वर को हैदराबाद ने अपने साथ जोड़ा. फरवरी 2018 मे साउथ अफ्रीका के खिलाफ T20 मे 5 wicket लेकर भुवनेश्वर कुमार तीनो फॉर्मेट मे 5 wicket लेने वाले पहले भारतीय बॉलर बन गए | यह भुवनेश्वर कुमार के करियर की शुरुआत है और अभी पूरी तरह से छाई हुई है ! भुवनेश्वर कुमार ने Test, ODI और T20 अपने तीनो ही क्रिकेट के प्रारूपों मे अपना पहला विकेट बल्लेबाज़ को बोल्ड करके लिया है, और ऐसा करने वाले वह पहले गेंदबाज़ बने थे