21 साल तक झेला बैन, कप्तान ने किया मैच फिक्स, क्रिकेट इतिहास की सबसे बड़ी वापसी करने वाली टीम

21 साल तक झेला बैन, कप्तान ने किया मैच फिक्स, क्रिकेट इतिहास की सबसे बड़ी वापसी करने वाली टीम

क्रिकेट और रग्बी दो ऐसे खेल हैं जो साउथ अफ्रीका को एक साथ लाते हैं. अफ्रीका में क्रिकेट के इतिहास को जानने के लिए काफी पीछे जाना होगा. समय के साथ, साउथ अफ्रीका आज जिस मुकाम तक पुहंचा है, यहां के लिए उसे कई बाधाओं को पार करना पड़ा. अफ्रीकी फैंस के लिए इन बाधाओं को पार करना एक छोटी लेकिन यादगार जीत थी जिसने पूरे देश को इस खेल से प्यार करने पर मजबूर कर दिया. आईसीसी विश्व कप 1992 में दिल टूटने की बात हो या 2015 में, दक्षिण अफ्रीकी प्रशंसक हमेशा अपने उतार-चढ़ाव में टीम के साथ रहे हैं. प्रशंसकों के अपार समर्थन ने इस देश को क्रिकेट जगत की शीर्ष ताकतों में से एक बना दिया. ऐसे में चलिए जानते हैं साउथ अफ्रीकी टीम का क्रिकेट इतिहास.

इतिहास
दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट के इतिहास में पहला आधिकारिक क्रिकेट मैच 5 जनवरी 1808 को ब्रिटिश सेना द्वारा साउथ अफ्रीका पर कब्जा करने के बाद वहां तैनात दो ब्रिटिश सेवा टीमों के बीच खेला गया था. 1843 में, साउथ अफ्रीका का सबसे पुराना क्रिकेट क्लब, पोर्ट एलिजाबेथ क्रिकेट क्लब, स्थापित किया गया था. 1876 ​​​​में, पोर्ट एलिजाबेथ में 'चैंपियन बैट' के लिए 4 क्लबों के बीच पहली चैंपियनशिप आयोजित की गई थी. इसके बाद साल 1889 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बाद साउथ अफ्रीका तीसरा टेस्ट देश बना. उसी साल प्रथम श्रेणी क्रिकेट ने देश में अपना आधार स्थापित किया. लेकिन 1907 में, यह दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट संघ के अध्यक्ष, अबे बेली थे, जिन्होंने एमसीसी के अध्यक्ष को एक 'इंपीरियल क्रिकेट सम्मेलन' (जिसे अब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद - आईसीसी के रूप में जाना जाता है) बनाने के लिए लिखा था. इसका नतीजा ये रहा कि, 1909 में, साउथ अफ्रीका ICC के तीन संस्थापक सदस्यों में से एक बन गया.

रंगभेद
देश में रंगभेद की शुरुआत के कारण 1971 से 1991 के बीच साउथ अफ्रीका पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. कहानी की शुरुआत होती है, साल 1970 से जब दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने एक रंगभेद नीति बनाई थी. अफ्रीकी सरकार के इस रंगभेद नीति ने आईसीसी को दुविधा में डाल दिया. अफ्रीकी सरकार के नियमों के अनुसार उनके देश की टीम सिर्फ श्वेत देशों यानी इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ ही खेल सकती थी. इसके साथ ही शर्त ये भी थी कि विपक्षी टीम में भी सिर्फ श्वेत खिलाड़ी ही खेलेंगे.

आईसीसी ने जब दक्षिण अफ्रीकी टीम को बैन किया तो उसके बाद वहां के कई बड़े-बड़े खिलाड़ियों का भविष्य अंधकार में चला गया. लेकिन पूरे 21 साल के बाद साउथ अफ्रीका में बदलाव आया और रंगभेद की नीति को खत्म किया गया. साउथ अफ्रीका में नेल्सन मंडेला के नेतृत्व में, Rainbow राष्ट्र के अंतर्गत, 1991 में अंतरराष्ट्रीय खेल की वापसी हुई. इसके साथ ही साल 1991 में आईसीसी ने साउथ अफ्रीका को टेस्ट क्रिकेट का दर्जा फिर से वापस कर दिया.

 

टेस्ट क्रिकेट का इतिहास
टेस्ट क्रिकेट में साउथ अफ्रीका की शुरुआत घर में इंग्लैंड के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट सीरीज से हुई. साउथ अफ्रीका ने दोनों टेस्ट बड़े अंतर से गंवाए. लेकिन साल 1906 में साउथ अफ्रीका ने अपनी पहली टेस्ट जीत का स्वाद चखा था. साउथ अफ्रीका ने इंग्लैंड को 4-1 से हराकर पहली टेस्ट सीरीज जीती. साउथ अफ्रीका ने अपने क्रिकेट इतिहास के पहले दो दशकों में जिमी सिनक्लेयर, ऑब्रे फॉल्कनर, हर्बी टेलर और महान लेग स्पिनर रेगी श्वार्ट्ज सहित कई क्वालिटी खिलाड़ियों को जन्म दिया. रेगी ने ही क्रिकेट की दुनिया में 'गुगली' की शुरुआत की. 1921 से 1961 तक, साउथ अफ्रीका ने 35 टेस्ट सीरीज खेली और उनमें से 7 में जीत हासिल की. बैन के दौरान साउथ अफ्रीका ने कुछ अनऑफिशियल टेस्ट खेले.

 

नया युग
साउथ अफ्रीका ने अपना पहला टेस्ट 20 साल के अंतराल के बाद वेस्टइंडीज में खेला. एंड्रयू हडसन ने अपने डेब्यू मैच में 163 रन बनाए.  लेकिन साउथ अफ्रीका 52 रन से ये टेस्ट हार गया. टेस्ट क्रिकेट में साउथ अफ्रीका की वापसी क्रिकेट के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी वापसी है. उन्होंने अपनी दूसरी टेस्ट सीरीज में भारत को घर में हराया. उन्होंने 10 में से 7 टेस्ट सीरीज जीती और शेष तीन ड्रा किए. उन्होंने 1998 और 2003 के बीच फिर से इस प्रभुत्व को दोहराया. उन्होंने इस दौरान 14 टेस्ट सीरीज जीती, 2 हारे और 1 ड्रॉ किया. 2006 से 2018 तक, उन्होंने 43 टेस्ट सीरीज खेली. इसमें 29 में जीत, 6 में हार और 8 मैच ड्रॉ हुए. वहीं इस देश ने ग्रीम स्मिथ, जैक्स कैलिस, हाशिम अमला, डेल स्टेन और एबी डिविलियर्स जैसे खिलाड़ियों को दुनिया के सामने पेश किया.

 

लेकिन बाद में राजनीति ने एक बार फिर साउथ अफ्रीका के टेस्ट क्रिकेट को बर्बाद कर दिया. इस दौरान कई खिलाड़ियों ने खेलना जारी रखने के लिए 'कोलपैक डील' का विकल्प चुना. नए चेहरों के आने के साथ, साउथ अफ्रीका ने अपनी पिछली 8 सीरीज में से 5 गंवा दिए.

 

वनडे इतिहास
साउथ अफ्रीका ने अपना पहला वनडे 1991 में खेला था जब उनका प्रतिबंध हटा दिया गया था. उन्होंने अपना पहला वनडे 3 विकेट से गंवा दिया था. साउथ अफ्रीका ने अपना पहला वनडे मैच भारत के खिलाफ 10 नवंबर 1991 को कोलकाता में खेला लेकिन इस मैच को भारतीय टीम ने 3 विकेट से जीत लिया. इस मुकाबले में सचिन तेंदुलकर ने शानदार 62 रनों की पारी खेली थी. इसके साथ ही भारत ने अफ्रीका को 2-1 से हराकर सीरीज पर भी कब्जा जमाया था. साउथ अफ्रीका ने अपना पहला आईसीसी विश्व कप 1992 में खेला था. सभी को आश्चर्यचकित करते हुए, टीम विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंच गई. 45 ओवर में 253 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी साउथ अफ्रीका की टीम का दिल टूट गया जब बारिश ने खेल को बाधित कर दिया. 13 गेंदों में 22 की जरूरत के साथ, डकवर्थ-लुईस नियम अमल में आया. लक्ष्य वही रहा लेकिन 12 गेंदें कम हो गईं. 1 गेंद में 22 रनों की जरूरत के साथ, साउथ अफ्रीका ने 19 रनों से मैच गंवा दिया. इस तरह अफ्रीकी टीम का वर्ल्ड कप जीतने का सपना टूट गया.

 

साल 1998 में, साउथ अफ्रीका ने बांग्लादेश में आयोजित उद्घाटन आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी (तब आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी के रूप में जानी जाती थी) जीती. यह अब तक साउथ अफ्रीका का क्रिकेट के इतिहास में एकमात्र सबसे सुनहरा पल है. 1999 के आईसीसी विश्व कप के सेमीफाइनल एक बार फिर साउथ अफ्रीका दिल टूट गया.

 

मैच फिक्सिंग
साल 2000 में, दक्षिण अफ्रीकी टीम क्रिकेट मैच फिक्सिंग कांड की चपेट में आ गई, जिसके कारण उनके कप्तान हैन्सी क्रोनिये पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया. हालांकि, विवाद को पीछे छोड़ टीम ने आगे के सभी अपने 6 वनडे सीरीज जीती. इसके बाद अफ्रीकी टीम का वर्ल्ड क्रिकेट में बड़ा नाम बन गया.

 

चोकर्स का दाग
आपको बता दें कि आज साउथ अफ्रीका दुनिया की उन चुनिंदा टीमों में से एक है, जिसके माथे पर चोकर्स का दाग अब भी लगा हुआ. टीम ने एक अनाचाहा नाम ‘चोकर्स’ अपने नाम कर लिया जो इस टीम को हर वक्त कचोटता रहता है. यहां पर ‘चोकर्स’ का मतलब है, अच्छा प्रदर्शन करने वाली टीम बड़े मुकाबलों में लगातार खराब प्रदर्शन करे. अफ्रीकी टीम सेमीफाइनल और फाइनल जैसे बड़े मुकाबलों में पहुंच कर एक दम से फिसल जाती है. शायद ये इस टीम का दुर्भाग्य है.


टी20 इतिहास
साउथ अफ्रीका ने अपना पहला टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच 21 अक्टूबर 2005 को जोहानिसबर्ग में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था. उन्होंने उसी स्थान पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना पहला T20I जीता. 2007 में, साउथ अफ्रीका ने उद्घाटन आईसीसी विश्व टी20 की मेजबानी की. टूर्नामेंट के पहले मैच में साउथ अफ्रीका ने वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला और 8 विकेट से मैच जीत लिया. लेकिन सुपर 8 में टीम को कम रन रेट के चलते टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा. 2009 में, वे टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंचे लेकिन पाकिस्तान से हार गए, जो 7 रन से चैंपियन बन गया.

साउथ अफ्रीका फिर से 2014 आईसीसी विश्व टी20 के सेमीफाइनल में पहुंचा. लेकिन एक बार फिर चोकर्स का तमगा उनसे दूर नहीं रह पाया और वो भारत से हार गए.