एक ऐसे क्रिकेटर की कहानी जो हर भारतीय की तरह अपना करियर पढ़ाई में बनाना चाहता था लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था. ये भारतीय क्रिकेटर मैकेनिकल इंजीनियर बनना चाहता था लेकिन जिंदगी की सीढ़ियों ने इन्हें किसी और दरवाजे पर ही पहुंचा दिया. हम यहां टीम इंडिया में बापू के नाम से मशहूर अक्षर पटेल की बात कर रहे हैं. टीम इंडिया के उभरते हुए स्टार ऑलराउंडर अक्षर पटेल गुजरात से आते हैं. अक्षर बल्ले और गेंद दोनों में माहिर हैं जिसका टैलेंट हम कई मैचों में भी देख चुके हैं. रवींद्र जडेजा की गैरमौजूदगी में अक्षर पटेल को टी20 वर्ल्ड कप के लिए रिप्लेसमेंट के तौर पर रखा गया है. लेफ्ट हैंडर ऑलराउंडर अब लगातार टीम इंडिया के लिए खेल रहा है. इससे पहले अक्षर पर सेलेक्टर्स ज्यादा भरोसा नहीं करते थे और टीम से ड्रॉप करते रहते थे. लेकिन अक्षर के स्किल्स से सेलेक्टर्स ज्यादा समय तक दूर नहीं रह पाए. अक्षर पटेल के नाम के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. स्कूल प्रिंसिप्ल की एक गलती की वजह से आज ये नाम दुनिया में मशहूर है.
शुरुआती जिंदगी
अक्षर राजेशभाई पटेल का जन्म गुजरात के आणंद में 20 जनवरी 1994 को हुआ था. अक्षर बचपन में बेहद पतले और कमजोर थे. इसकी वजह से उनके पिता को चिंता सताने लगी. ऐसे में अक्षर के पिता ने उन्हें क्रिकेट में डाल दिया. शुरुआत में उनके पास ऑलराउंडर जैसी कोई बात नहीं थी लेकिन धीरे धीरे वो अलग अलग स्किल्स सीखते चले गए. ये उनके दोस्त धीरेन कंसारा का ही कमाल था जिन्होंने अक्षर के टैलेंट की पहचान की और उन्हें इंटरस्टेट स्कूल टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया. अक्षर ने शुरुआत एक गेंदबाज के तौर पर की लेकिन धीरे धीरे वो बल्ला घुमाना भी सीख गए. साल 2010 में उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा पल आया जब उन्हें अंडर 19 टीम में चुन लिया गया. ऐसे में अक्षर इस सफर तक अपनी मेहनत से पहुंचे या उनकी दादी की दुआ से, ये कोई नहीं जान पाया. क्योंकि अक्षर की दादी की यही चाहत थी कि अक्षर को वो टीवी पर एक क्रिकेटर के तौर पर देखें और शायद यही बात थी कि अक्षर इस फील्ड में बिल्कुल नहीं रुके और लगातार मेहनत करते गए.
डोमेस्टिक करियर
अक्षर के लिए रणजी ट्रॉफी की शुरुआत उतनी खास नहीं रही क्योंकि साल 2012 में उन्हें सिर्फ एक ही मैच में मौका मिला. लेकिन साल 2013-14 में जब उनके बल्ले से 46.12 की औसत से रन निकलने शुरु हुए तो सभी चौंक गए. अक्षर ने इस दौरान 362 रन बनाए. वहीं गेंद के साथ भी अक्षर ने कमाल किया और ये साबित किया वो एक परफेक्ट ऑलराउंडर हैं. अक्षर ने 7 मैचों में 23.58 की इकॉनमी के साथ कुल 29 विकेट चटकाए थे. एसीसी अंडर-23 में इस ऑर्थोडॉक्स लेफ्ट आर्म स्पिनर ने उस वक्त कमाल कर दिया जब उन्होंने यूएई के खिलाफ सेमीफाइनल में 4 विकेट अपने नाम किए. इस तरह उन्होंने टूर्नामेंट में कुल 7 विकेट अपने नाम किए थे. इस प्रदर्शन के चलते साल 2014 में अक्षर को बीसीसीआई की तरफ से अंडर 19 क्रिकेटर ऑफ द ईयर के अवॉर्ड से नवाजा गया. साल 2019 में उन्हें भारतीय रेड टीम में शामिल किया गया जो 2019-20 दलीप ट्रॉफी की टीम थी. वहीं 2019 में उन्हें इंडिया सी की टीम में शामिल किया गया था. जो 2019-20 की देवधर ट्रॉफी की टीम थी.
आईपीएल
गुजरात का ये ऑलराउंडर अब धाकड़ बल्लेबाज और विकेट लेने वाले गेंदबाज बन चुका था. ऐसे में अब अक्षर के आईपीएल करियर की शुरुआत होने वाली थी. उन्हें मुंबई इंडियंस की तरफ से साल 2013 में पहली बार आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट मिला. इसके बाद वो किंग्स 11 पंजाब की टीम में गए. अक्षर उस वक्त गुजरात के ही खिलाड़ी रवींद्र जडेजा के चलते भी पीछे रहते थे क्योंकि जडेजा लगातार धमाल मचा रहे थे और हर तरफ उन्हीं के चर्चे थे. लेकिन वो किंग्स 11 पंजाब की टीम थी जिसने अक्षर को अपनी टीम में खिलाने के बाद दिल्ली कैपिटल्स को ड्रॉफ्ट कर दिया. साल 2019 में अक्षर को 5 करोड़ रुपए में खरीदा गया जिसके बाद वो फ्रेंचाइजी के दूसरे सबसे महंगे खिलाड़ी बने. अक्षर इसके बाद टीम के अहम सदस्य बन गए और लगातार विकेट लेने लगे.
इंटरनेशनल करियर
इसमें कोई दो राय नहीं कि जो खिलाड़ी आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन करते हैं उन्हें टीम इंडिया की टिकट जरूर मिलती है. अक्षर की तरफ सेलेक्टर्स का ध्यान उस वक्त गया जब उन्हें बांग्लादेश के खिलाफ वनडे टीम में शामिल किया गया. अक्षर को इसके बाद श्रीलंका के खिलाफ 15 सदस्यीय टीम में शामिल किया गया था. लेकिन इस बीच अक्षर का नाम कहीं खो गया. हालांकि उन्होंने अपना अहम योगदान टीम की जीत में जरूर दिया. वो सभी 5 मैचों का हिस्सा रहे जहां उन्होंने कुल 11 विकेट लिए और 178 की स्ट्राइक रेट से 31 रन बनाए. इसके बाद इस स्टार को साल 2015 में टीम में शामिल किया गया. लेकिन अक्षर को एक भी मैच नहीं मिला और वर्ल्ड कप टीम से भी साइडलाइन कर दिया गया. चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में टीम इंडिया की हार के बाद रवींद्र जडेजा और आर अश्विन को टीम से दूर कर दिया गया. लेकिन इसके बाद कुलदीप यादव, युजवेंद्र चहल और अक्षर पटेल के लिए टीम के दरवाजे खुल गए. अक्षर ने अपना आखिरी वनडे मुकाबला साल 2022 में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेला था.
टी20 करियर
टी20 में डेब्यू करने के बाद अक्षर को अब अपना टैलेंट दिखाना था. ऐसे में जिम्बाब्वे दौरे पर उन्हें ये काम करना था. 17 जुलाई 2015 को अक्षर ने टी20 में डेब्यू किया था और इस दौरान उन्होंने अपने 4 ओवर के स्पेल में 3 बड़े विकेट अपने नाम किए. अक्षर को इसके बाद साउथ अफ्रीका के खिलाफ टी20 में मौका मिला. लेकिन अक्षर ने दो मैचों में सिर्फ एक विकेट लिया. एक तरफ जहां दूसरे गेंदबाज रन लुटा रहे थे वहीं अक्षर इकलौते ऐसे गेंदबाज थे जो सटीक गेंदबाजी कर रहे थे. साउथ अफ्रीका के खिलाफ आखिरी टी20 से पहले अक्षर ने इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में कमाल किया था और 4 ओवरों में 17 रन देकर कुल 3 विकेट अपने नाम किए थे. ऐसे में अपने शानदार प्रदर्शन के बलबूते अक्षर ने रोहित शर्मा की टेंशन दूर कर दी है.