ऑस्ट्रेलिया में खेले जा रहे आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप का खुमार शबाब पर है. सभी 16 टीमों के खिलाड़ियों से लेकर फैंस तक इस वर्ल्ड कप के लिए रोमांचित हैं. ऐसे में हार हाल में जीत की चाहत कभी-कभी खिलाड़ियों को टोने-टोटकों पर विश्वास करने पर मजबूर कर देती है। इस फेहरिस्त में क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर से लेकर विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी तक कोई भी अछूता नहीं रहा है. लेकिन इस कड़ी में एक नाम टीम इंडिया के वर्ल्ड चैंपियन स्विंग तेज गेंदबाज जहीर खान का नाम भी शामिल है. जहीर भी अपनी जहरीली गेंदबाजी के पीछे एक टोटके का भी हाथ मानते थे.
जहीर और पील रुमाल की जुगलबंदी
दरअसल, जहीर खान ने टीम इंडिया के लिए 14 साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला और इस दौरान पूरी दुनिया में अपनी गेंदबाजी से कहर बरपाया. जहीर ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय वनडे मैच केन्या के खिलाफ देश से दूर नैरोबी में खेला था. इसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और टीम इंडिया के नियमित सदस्य बन गए. ऐसे में जहीर अपने पूरे करियर के दौरान एक टोटके को अपनाते रहे. जहीर जब भी मैदान में गेंदबाजी करने जाते थे वो अपने साथ हमेशा एक पीला रुमाल रखते थे. जब भी कोई मैच फंसता था या टीम को उनकी जरूरत होती थी, जहीर ने हमेशा विकेट लेकर जीत में टीम की मदद की है, और वो मानते थे कि ऐसा उनके पीले रुमाल के कारण होता था.
2011 में बने वर्ल्ड चैंपियन
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में साल 2011 का विश्व कप जीतने वाली टीम इंडिया के जहीर खान भी प्रमुख सदस्य थे. इस वर्ल्ड कप में उन्होंने कहर बरपाते हुए टूर्नामेंट में सबसे अधिक 21 विकेट चटकाए थे. जिसके चलते 28 साल बाद टीम इंडिया को वर्ल्ड चैंपियन बनाने में उनका भी अहम योगदान रहा. जहीर हालांकि इस वर्ल्ड कप के बाद लिमिटेड ओवर्स के क्रिकेट में साल 2012 के बाद नहीं खेल सके. जबकि उन्होंने अपने करियर का अंतिम टेस्ट मैच साल 2014 में न्यूजीलैंड के खिलाफ वेलिंग्टन में खेला था.