भारतीय क्रिकेट बोर्ड यानी BCCI इस वक्त दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है. उसके खिलाड़ी करोड़ों रुपये कमाते हैं. ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में क्रिकेटर्स को अच्छे खासे पैसे मिलते हैं. दूसरी ओर एक टीम ऐसी भी है जो आमदनी के मामले में पाई-पाई की मोहताज हैं. लेकिन इस टीम ने टी20 वर्ल्ड कप 2022 में धमाका करते हुए अपने से काफी मजबूत टीम को धूल चटा दी. बात हो रही है जिम्बाब्वे की. उसने 27 अक्टूबर को सुपर-12 के मुकाबले में पाकिस्तान को एक रन से मात दी. लेकिन जिम्बाब्वे का बोर्ड और उसके क्रिकेटर पैसों की तंगी के चलते बेसिक सुविधाओं के लिए भी तरसते हैं. खिलाड़ियों को मामूली सी रकम मिलती है.
वर्ल्ड कप का सबसे बड़ा उलटफेर
इस बार के वर्ल्ड कप का सबसे बड़ा उलटफेर जिम्बाब्वे ने कर दिखाया है. पाक पर बड़ी जीत के बाद टीम के हर खिलाड़ी ने मैदान पर जमकर डांस किया, हर किसी ने उन्हें ड्रेसिंग रूम में नाचते-गाते और जीत का जश्न मनाते देखा. यही नहीं जिम्बाब्वे की सड़कों पर भी अपनी टीम की जीत के जश्न में लोग थिरकते नजर आए. लेकिन इन सबसे अलग इस टीम के खिलाड़ियों का एक ऐसा दुखद सच भी जिसे बहुत कम लोग जानते हैं. जिम्बाब्वे के खिलाड़ी दूसरे क्रिकेटरों की तरह करोड़ों नहीं कमाते, ना ही उनके पास बड़े घर, बड़ी गाड़ियां और बड़ा ब्रांड है. जिम्बाब्वे के खिलाड़ियों को मिलने वाली सैलरी भी काफी औसत दर्जे की है.
जिम्बाब्वे के खिलाड़ियों को मिलती है औसत दर्जे की सैलरी
द स्टैंडर्ड नाम के अखबार की खबर के अनुसार, जिम्बाब्वे के खिलाड़ियों को चार ग्रेड में बांटा गया है. पहले ग्रेड X के टॉप खिलाड़ियों को हर महीने 5 हजार अमेरिकी डॉलर (करीब 4 लाख रुपये) मिलते हैं. वहीं ग्रेड ए के खिलाड़ी महीने में 3500 अमेरिकी डॉलर(2.80 लाख रुपये) कमाते हैं. ग्रेड बी के खिलाड़ियों को प्रति महीना लगभग डेढ़ लाख रुपये मिलते हैं तो ग्रेड सी के खिलाड़ी एक लाख रुपये प्रति महीना कमाते हैं. पिछले वर्ल्डकप में तो इस टीम के हालात यह थे कि इनके खिलाड़ियों के पास नए जूते तक खरीदने के पैसे नहीं थे. जिम्बाब्वे के खिलाड़ी ग्लू का इस्तेमाल कर अपने जूतों को ठीक कर रहे थे.
तंगी के हालात में है जिम्बाब्वे क्रिकेट
दरअसल, एक देश के तौर पर जिम्बाब्वे आर्थिक रुप से काफी कमजोर है, कुछ साल पहले ही उसने अपने देश में इस्तेमाल हो रही करेंसी को भी बदला है, क्योंकि उनकी पुरानी करेंसी मिट्टी के भाव गिर गयी थी. जिम्बाब्वे का क्रिकेट बोर्ड भी आर्थिक तंगी से जूझ रहा है, कई सालों से इस बोर्ड की हालात खराब हैं. जिम्बाब्वे के बोर्ड को ज्यादातर पैसा आईसीसी से मिलता है. एक तथ्य यह है कि जिम्बाब्वे की नेशनल प्रीमियर लीग में जीतने वाली टीम को आईपीएल में कई खिलाड़ियों के बेस प्राइस से भी आधी रकम मिलती है. भारतीय ऑफ स्पिनर आर अश्विन ने भी अपने एक यूट्यूब वीडियो में इसकी जानकारी दी थी.
भारतीय क्रिकेटर अश्विन ने अपने एक वीडियो में बताया, ‘जिम्बाब्वे की नेशनल प्रीमियर लीग को जीतने वाली टीम को 8.50 लाख रुपये दिए जाते हैं. वहीं आईपीएल में खिलाड़ी का बेस प्राइस ही 20 लाख रुपये है’. जिम्बाब्वे के पूर्व कप्तान ब्रेंडन टेलर ने बताया था कि उन्हें वर्ल्ड कप में खेलने पर केवल 250 डॉलर मिले थे. साफ है जिम्बाब्वे के खिलाड़ियों के पास दूसरे क्रिकेटरों की तरह पैसा नहीं है. ना ही उनके पास लंबी गाड़ियां हैं और न ही बड़े घर हैं, लेकिन इसके बावजूद यह खिलाड़ी अपनी टीम को जीत दिलाने के लिए जी जान लगा देते हैं और कुछ ऐसा ही प्रदर्शन पाकिस्तान के खिलाफ भी दिखा.