नई दिल्ली। खेल कोई भी हो और खिलाड़ी कितना भी दमदार क्यों न हो लेकिन अगर किस्मत साथ न दे तो वह लाचार नजर आता है. भारतीय कप्तान विराट कोहली पर भी कुछ इसी तरह की लाइन फिट बैठती है. पिछले पांच सालों से वह टीम इंडिया के लिए सीमित ओवरों में कप्तानी करते आए हैं और किस्मत ने उन्हें ज्यादातर समय धोखा ही दिया है. विराट ने कप्तानी छोड़ने का फैसला किया लेकिन इससे उनके टॉस की किस्मत पर कोई असर नहीं हुआ. अपने कप्तानी के आखिरी दिनों में वो अभी भी टॉस हार रहे हैं. ऐसे में कोहली की किस्मत को लेकर कहा जा सकता है कि जब किस्मत हो दगाबाज तो क्या करे कप्तान.
हर मैच में हार रहे हैं टॉस
पाकिस्तान से मिली हार के बाद टीम इंडिया का अगला मुकाबला न्यूजीलैंड के साथ था जहां विराट एक बार फिर पहले टॉस और बाद में मैच हार गए. भारत 20 ओवरों में केवल 110 रन ही बना पाया. जवाब में न्यूजीलैंड ने यह लक्ष्य बड़े आराम से हासिल कर लिया और भारत का इस हार के साथ सेमिफाइनल पहंचने के दरवाजे लगभग बंद हो गए.
अफगानिस्तान के खिलाफ भी कहानी वही रही. अफगानिस्तान के कप्तान मोहम्मद नबी ने टॉस जीता और पहले गेंदबाजी करने का फैसला लिया. भारत भले ही इस बार एक अच्छा टोटल बनाने में सफल रहा हो लेकिन कहीं न कहीं चर्चाएं उनके टॉस हारने की हीं थीं. ऐसे में क्या आज विराट अपने जन्मदिन पर स्कॉटलैंड के खिलाफ टॉस जीतकर अपने बुरे किस्मत को खत्म कर पाएंगे.
विश्व कप में टॉस ही है बॉस
युएई की पिचों पर शाम के मैच के समय जैसे-जैसे मुकाबला आगे बढ़ता है मैदान में ओस का आना भी शुरू हो जाता है. इसके चलते दूसरी पारी में गेंदबाजी करने में काफी मुश्किलें सामने आ रही हैं. यही कारण है कि टी20 विश्व कप में टॉस जीतकर गेंदबाजी का फैसला लेने वाली टीमें जीतती आ रही है. इस टूर्नामेंट में अभी तक कुल 13 ऐसे मुकाबले में जिसमें टॉस जीतने वाली टीम ने पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया और 11 बार पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती है. जबकि सिर्फ दो बार ही टॉस जीतकर गेंदबाजी चुनने वाली टीम को हार का सामना करना पड़ा है. इसके अलावा आठ मैचों में टॉस जीतकर टीमों ने पहले बल्लेबाजी चुनने का फैसला किया. जिसमें चार बार जीत तो चार बार हार का सामना पड़ा है. इससे साफ जाहिर होता है कि विश्व कप में अगर आप टॉस जीत लेते हैं तो उसी समय कहीं न कहीं मैच आपकी झोली में चला जाता है.

