बचपन में अपने पिता का बड़ा बल्ला थामकर क्रिकेट का ककहरा सीखने वाली हरमनप्रीत कौर ने जिस सपने को बचपन में देखा था, उसे कभी नहीं छोड़ा और भारत को पहला वीमेंस वर्ल्ड कप दिला दिया. नवी मुंबई में रविवार को खेले गए वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत के लिए 52 रन से जीत में अहम भूमिका निभाने वाली भारतीय कप्तान हरमनप्रीत ने युवाओं को सलाह देते हुए कहा कि सपने देखना कभी बंद मत करो. आपको कभी नहीं पता होगा कि आपकी किस्मत आपको कहां ले जाएगी.
बल्ला काटकर किया छोटा
उन्होंने कहा कि एक दिन मेरे पिताजी ने मेरे लिए अपना एक पुराना बल्ला काटकर छोटा कर दिया. हम उससे खेला करते थे. जब भी टीवी पर मैच देखते थी, भारत को खेलते हुए देखती थी या वर्ल्ड कप देखते थे, तो मैं सोचती थी कि मुझे भी ऐसे ही मौके की जरूरत है. उस समय मुझे महिला क्रिकेट के बारे में पता भी नहीं था.
बदलाव लाने का सपना
हरमनप्रीत ने कहा कि मैं सपना देख रही थी कि मैं यह नीली जर्सी कब पहनूंगी. यह मेरे लिए बहुत मायने रखता है. एक युवा लड़की जो महिला क्रिकेट के बारे में नहीं जानती थी, लेकिन फिर भी एक दिन अपने देश में बदलाव लाने का सपना देख रही थी.
सपने देखना कभी नहीं छोड़ें
उन्होंने कहा कि इससे हमें सीख मिलती है कि आपको सपने देखना कभी नहीं छोड़ना चाहिए. आप कभी नहीं जानते कि आपकी किस्मत आपको कहां ले जाएगी. आप कभी नहीं सोचते, यह कब होगा, यह कैसे होगा. आप केवल यही सोचते हैं, यह होगा. मुझे विश्वास था कि ऐसा हो सकता है और आखिर में वैसा ही हुआ.

