IND vs AUS: ऋषभ पंत ने सिडनी टेस्ट में खुलकर नहीं खेल पाने की छटपटाहट पर दी चौंकाने वाली जानकारी, बोले- मेरा दिमाग...

IND vs AUS: ऋषभ पंत ने सिडनी टेस्ट में खुलकर नहीं खेल पाने की छटपटाहट पर दी चौंकाने वाली जानकारी, बोले- मेरा दिमाग...
ऋषभ पंत

Highlights:

ऋषभ पंत को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर बल्लेबाजी को लेकर आलोचनाएं सुननी पड़ी हैं.

ऋषभ पंत ने सिडनी टेस्ट की पहली पारी में काफी सुरक्षित बैटिंग की.

भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत ने कहा कि सिडनी टेस्ट में पहली पारी में उन्होंने संयम के साथ बल्लेबाजी की. उन्होंने भारत की ओर से सर्वाधिक 40 रन की पारी खेली. इसके लिए 98 गेंद खेली और तीन चौके व एक छक्का लगाया. पंत ने बल्लेबाजी के दौरान कई बार गेंदों के आघात सहे लेकिन अपने चिरपरिचित तरीके से उलट बैटिंग की. उन्होंने कहा कि सिडनी क्रिकेट ग्राउंड की पिच की वजह से वह हाथ नहीं खोल पा रहे थे. 

पंत ने पहले दिन के खेल के बाद बल्लेबाजी को लेकर कहा, 'इस पारी में मेरा दिमाग सही से काम नहीं कर रहा था जहां मैं विकेट को देखते हुए आक्रामक खेलने की स्थिति में नहीं था. कई बार आपको रक्षात्मक खेलना पड़ता है. कई बार ऐसे मौके थे जब मैं 50-50 जोखिम ले सकता था लेकिन मैंने नहीं लिया. मैं पहले से तय नहीं कर सकता था कि मैं चाहे जो हो जाए इसी तरह से खेलूंगा. मैं यही करने की कोशिश कर रहा था और वही मेरा माइंडसेट था.'

पंत की बैटिंग की हुई है आलोचना

 

पंत को मेलबर्न टेस्ट में आउट होने के बाद बल्लेबाजी के तरीके पर आलोचनाएं सुननी पड़ी थी. दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने उनके लिए स्टूपिड शब्द का इस्तेमाल किया था. वहीं रोहित शर्मा ने कहा था कि पंत को खुद देखना होगा कि उन्हें किस तरह की बैटिंग करनी होगी.

पंत बोले- बैटिंग में कर रहे हैं सुधार

 

पंत ने कहा कि वह बतौर बल्लेबाज सुधार कर रहे हैं और आक्रामकता और रक्षात्मक खेल के बीच संतुलन बनाना सीख रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘आप स्वाभाविक बल्लेबाजी करना चाहते हैं लेकिन आक्रामकता और रक्षात्मक खेल में संतुलन बनाना भी सीखते हैं. हमें पता था कि अगर एक विकेट गिर गया तो हम जल्दी-जल्दी दो-तीन विकेट गंवा सकते हैं. पिछले मैच में जिस तरह का लक्ष्य हमारे सामने था उसे देखते हुए मुझे लगा नहीं कि धीमा खेलना चाहिए.’

पंत ने माना कि अच्छा नहीं खेलने पर बल्लेबाज चीजों को उलझा देता है. उन्होंने कहा, ‘जब आप अच्छा नहीं खेल पाते हैं तो जरूरत से ज्यादा सोचने लगते हैं.’