इंग्लैंड में टीम इंडिया के साथ फिलहाल ज्यादा कुछ अच्छा नहीं हो रहा है. सीरीज में भारतीय टीम पीछे चल रही है. वहीं दूसरी ओर भारतीय खिलाड़ी लगातार चोटिल हो रहे हैं. इस लिस्ट में अब तक नीतीश कुमार रेड्डी, आकाश दीप, अर्शदीप सिंह और ऋषभ पंत का नाम शामिल हो चुका है. इसका नतीजा ये रहा कि टीम इंडिया को हरियाणा के पेसर अंशुल कंबोज को टीम के भीतर लेना पड़ा. हालांकि कंबोज का प्रदर्शन उतना खास नहीं रहा और उनकी गेंदबाजी को देख ऐसा लग रहा है कि वो संघर्ष कर रहे हैं. इस बीच टीम इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस धोनी का एक पुराना बयान काफी ज्यादा वायरल हो रहा है.
2009 टी20 विश्व कप में हो चुका है ऐसा
भारत ने 2009 में इंग्लैंड में टी20 विश्व कप की ट्रॉफी बचाने की पूरी कोशिश की थी. लेकिन एमएस धोनी की कप्तानी वाली टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. भारत ने लीग स्टेज में केवल बांग्लादेश और आयरलैंड के खिलाफ दो मैच जीते. सुपर 8 राउंड में इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सभी तीन मैच हारने के बाद टीम टूर्नामेंट से बाहर हो गई. टूर्नामेंट के बाद खुलासा हुआ कि पांच सीनियर खिलाड़ी चोटों से जूझ रहे थे, लेकिन उन्होंने इसे कप्तान धोनी या बीसीसीआई से छुपाया. हालात तब और बिगड़ गए जब सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग कंधे की चोट के कारण टूर्नामेंट से बाहर हो गए, हालांकि वह एक भी मैच नहीं खेले थे.
धोनी ने अपनी टीम से साफ कहा, "मेरे लिए पहले टीम है, फिर खिलाड़ी. मुझे उम्मीद है कि सभी ऐसा ही सोचते हैं." उन्होंने खिलाड़ियों से थकान और चोटों को छुपाने के बजाय खुलकर बताने को कहा. धोनी ने कहा, "अगर चोट का इलाज आराम है, तो खिलाड़ी को आराम लेना चाहिए. चोट को छुपाने से नुकसान खुद को और टीम को हो सकता है. अगर किसी को ब्रेक चाहिए, तो मुझे या बीसीसीआई को बताएं."
बता दें कि, विश्व कप में हार के बाद बीसीसीआई ने धोनी का समर्थन किया. यह हार भारतीय क्रिकेट के लिए एक सबक थी कि चोट को छुपाने से बचना चाहिए.