टीम इंडिया के स्पिनर कुलदीप यादव ने साल 2017 में धर्मशाला में अपना टेस्ट डेब्यू किया था. तब से लेकर अब तक वो 13 टेस्ट खेल चुके हैं. मोर्ने मोर्कल ने भी इतने ही टेस्ट खेले हैं. मोर्कल साल 2018 में रिटायर हो गए थे और फिलहाल टीम इंडिया के बॉलिंग कोच हैं. इससे पता चलता है कि कुलदीप को टेस्ट टीम में बेहद कम बार जगह मिलती है. कुलदीप को धर्मशाला टेस्ट में उस वक्त मौका मिला था जब विराट कोहली चोटिल हो गए थे. ऐसे में बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के इस मैच में स्पिनर ने कमाल का खेल दिखाया और भारत को जीत दिलाने के लिए 4 विकेट लिए.
गौतम गंभीर की कोचिंग में आक्रामक गेंदबाजी और तगड़ी बल्लेबाजी पर ज्यादा फोकस है. पहले टेस्ट में 6 बैटर्स के साथ टीम उतरी थी लेकिन गेंदबाजी में कुलदीप का साथ देने के लिए कोई नहीं था. दोनों ही टेस्ट मैचों में कुलदीप नहीं खेल पाए हैं. भारत ने दूसरा जीत लिया. लेकिन अब ये कहा जा रहा है कि क्या कुलदीप को तीसरे टेस्ट में मौका मिल सकता है.
टीम में हो सकता है सिर्फ एक बदलाव
शुभमन गिल ने दूसरे टेस्ट की जीत के बाद कहा था कि, जब आपके पास कुलदीप जैसा गेंदबाज हो तो काफी ज्यादा लालच आता है. मैं दूसरे टेस्ट में वाशिंगटन सुंदर को इसलिए खिलाना चाहता था जिससे बैटिंग में गहराई आए. ऐसे में मेरे और उनके बीच की साझेदारी काफी ज्यादा काम आई. अगर वो साझेदारी नहीं होती तो हम 70-90 रन कम बनाते.
गिल ने आगे बताया कि, 5वें दिन पिच के बीच से ज्यादा गेंद नहीं घूम रही थी. वो सिर्फ पैच की वजह से था. हमें लगा कि 5वें दिन स्पिनर्स को फायदा मिलेगा. फ्लैट पिच पर कई बार आपको तेज गेंदबाजों की तुलना में स्पिनर्स ज्यादा कंट्रोल पैदा करते हैं. ऐसे में हमारा माइंडसेट यही था.