भारतीय क्रिकेट टीम पांच टेस्ट मैच के लिए इंग्लैंड के दौरे पर है. 20 जून से यह सीरीज खेलनी जानी है. भारत और इंग्लैंड के बीच क्रिकेट के रिश्ते काफी पुराने हैं और दोनों के बीच पहला टेस्ट 1932 में खेला गया था. भारत से ताल्लुक रखने वाले कई खिलाड़ी इंग्लैंड की ओर से टेस्ट खेले हैं. एक खिलाड़ी तो ऐसा है जिसका जन्म भारतीय जमीन पर हुआ और आगे चलकर उसने इंग्लिश टीम का नेतृत्व किया. उसकी गिनती इंग्लैंड के कमाल के कप्तानों में होती है. यह नाम नासिर हुसैन का है. वे अभी कमेंट्री करते हुए दिखते हैं.
नासिर हुसैन का जन्म चेन्नई (तत्कालीन मद्रास) का है. वे जब छोटे थे तब उनका परिवार इंग्लैंड शिफ्ट हो गया. नासिर ने क्रिकेट करियर स्पिनर के रूप में शुरू किया और फिर बल्लेबाजी में अपना दमखम दिखाया. उन्होंने 96 टेस्ट इंग्लैंड की तरफ से खेले और इनमें से 45 में कप्तान रहे. उनके नाम 37.18 की औसत से 5764 रन हैं. 14 शतक टेस्ट क्रिकेट में लगाए और 207 उनका सर्वोच्च स्कोर रहा. वे 1999 में इंग्लैंड के कप्तान बने थे और 2003 तक इस भूमिका में रहे.
भारत के सामने शतक ठोककर नासिर बने हीरो
नासिर ने 1990 में वेस्ट इंडीज दौरे से टेस्ट डेब्यू किया था. मगर 1996 तक उनके नाम केवल सात टेस्ट ही थे. वे इंग्लिश टीम में कदम नहीं जमा पाए. पहले उन्हें गर्म दिमाग कहकर बाहर कर दिया गया. इसके बाद भी अलग-अलग कारणों से वे इक्के-दुक्के टेस्ट खेलकर बाहर होते रहे. लेकिन 1996 की गर्मियों ने उन्हें इंग्लिश टीम में स्थायी कर दिया. भारत के खिलाफ बर्मिंघम में जून 1996 में खेला गया टेस्ट उनका तीन साल में पहला था. इसमें पहली पारी में उन्होंने शतक लगाया और इसके बाद नासिर ने पलटकर नहीं देखा. उन्होंने तीसरे टेस्ट में फिर से शतक लगाया. फिर तो उनके रनों का सिलसिला शुरू हो गया.
नासिर हुसैन की कप्तानी के लिए तेंदुलकर ने क्या कहा
1999 में जब एलेक स्टीवर्ट ने टेस्ट कप्तानी से इस्तीफा दिया तो नासिर को जिम्मेदारी मिली. उनके नेतृत्व में इंग्लैंड ने लगातार चार टेस्ट सीरीज जीती. उन्होंने इस टीम को तीसरे नंबर की रैंकिंग पर पहुंचा दिया. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने भी नासिर की कप्तानी को सराहा है. उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी Playing It My Way: My Autobiography में लिखा, मैं जिन भी कप्तानों के खिलाफ खेला हूं उनमें नासिर हुसैन को सबसे अच्छा मानता हूं. वह कमाल का रणनीतिकार था... वह खेल के बारे में बहुत सोचता था और सक्रिय रहता था. नासिर हुसैन एक शॉट खेले जाने के बाद फील्डर को उस जगह नहीं लगाता. इसके बजाए वह पहले ही उस शॉट को भांप लेता था और पहले ही फील्डर लगा देता था.