भारत और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की सीरीज 22 से ड्रॉ रही. ओवल में खेले गए 5वें टेस्ट मैच में छह रन से जीत हासिल करके भारतीय टीम सीरीज ड्रॉ कराने में सफल रही. वैसे ओल्ड ट्रैफर्ड में हुए चौथे टेस्ट में अगर शुभमन गिल, केएल राहुल, रवींद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर जैसे बल्लेबाजों दमदार बल्लेबाजी नहीं करते तो एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी का स्कोर इंग्लैंड के पक्ष में 3-2 हो सकता था.
रूट और ब्रूक को सौंपी गेंद
इसके बाद स्टोक्स ने जवाब में गेंद पार्ट टाइम गेंदबाजों जो रूट और हैरी ब्रूक को सौंप दी और बाद में कहा कि वह अपने पहले से थके हुए फ्रंटलाइन के तेज गेंदबाजों को निशाना नहीं बनाने वाले थे, क्योंकि मुकाबले का रिजल्ट पहले ही तय हो चुका था. महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने अब इस विवाद पर रिएक्ट किया है और भारत के फैसले का समर्थन करते हुए सवाल उठाए. तेंदुलकर ने रेडिट पर एक वीडियो में कहा-
लोग पूछ रहे हैं कि वाशिंगटन ने शतक बनाया, जडेजा ने शतक बनाया, लेकिन क्या यह सही भावना से किया गया था? ऐसा क्यों नहीं होना चाहिए? वे ड्रॉ के लिए खेल रहे थे. इससे पहले जब इंग्लैंड उन पर दबाव बना रहा था, तब उन्होंने अच्छी तरह से मुकाबला किया था.
तेंदुलकर ने कहा कि इंग्लैंड के गेंदबाजों को तरोताजा रखना वैसे भी भारत का काम नहीं था. उन्होंने कहा-
मेरे हिसाब से सीरीज में जान बची थी, तो फिर उन्हें (भारत को) हाथ मिलाकर इंग्लैंड के फील्डरों और गेंदबाजों को आराम क्यों देना चाहिए? अगर वे (इंग्लैंड) हैरी ब्रुक से गेंदबाजी कराना चाहते थे, तो यह बेन स्टोक्स की पसंद थी. यह भारत की समस्या नहीं है. इसलिए मेरे लिए यह बिल्कुल ठीक था. वे ड्रॉ के लिए खेल रहे थे, अपने शतकों के लिए नहीं. अगर वे बल्लेबाजी करते हुए आउट हो जाते, तो हम टेस्ट हार सकते थे. कुछ और विकेट और हम मुश्किल में पड़ जाते. जब वे बल्लेबाजी करने आए तो हैरी ब्रुक गेंदबाजी नहीं कर रहे थे, है ना? कोई और कर रहा था तो इंग्लैंड के गेंदबाजों और फील्डरों को पांचवें टेस्ट के लिए तरोताजा क्यों रखा जाए? क्या आपके पास इसका कोई जवाब है? नहीं.
भारत ने मैनचेस्टर में खेले गए चौथे टेस्ट मैच को ड्रॉ कराकर सीरीज में अपनी उम्मीदों को बचाए रखा था और फिर आखिरी टेस्ट जीतकर सीरीज भी ड्रॉ कर दी.