भारतीय क्रिकेट टीम अभी इंग्लैंड के दौरे पर है. पांच टेस्ट मैच की सीरीज के लिए शुभमन गिल की कप्तानी में टीम इंडिया गई है. 1932 में भारत ने पहली बार टेस्ट के लिए इंग्लैंड का दौरा किया था. तब एक टेस्ट खेला गया था. लेकिन उस दौरे पर एक क्रिकेटर ने जाने से इनकार कर दिया. उसने यह फैसला महात्मा गांधी के समर्थन में लिया. यह खिलाड़ी हैं विजय मर्चेंट. उन्होंने 10 टेस्ट भारत के लिए खेले और यह फॉर्मेट खेलने वाले 15 भारतीय खिलाड़ी बने. लेकिन क्या कारण रहा कि वे भारत के पहले इंग्लैंड दौरे पर नहीं गए और ऐतिहासिक मैच का हिस्सा बनने की जगह उन्होंने घर पर ही रहने का फैसला किया.
जब भारतीय टीम पहली बार टेस्ट खेलने के लिए इंग्लैंड दौरे पर गई तब अंग्रेजों का राज था. भारत गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था. तब महात्मा गांधी अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन छेड़े हुए थे और देश को आजाद कराने की कोशिशों में लगे हुए थे. भारतीय टीम 1932 की गर्मियों में जब इंग्लैंड के लिए रवाना हो रही थी तब महात्मा गांधी और बहुत सारे स्वतंत्रता सैनानी जेलों में बंद थे. विजय मर्चेंट गांधी की विचारधारा से सहमत थे और उन्होंने उन्हें जेल में डालने के फैसले के विरोध में खुद को इंग्लैंड दौरे से बाहर कर लिया. इस वजह से भारतीय टीम उनके बिना ही खेलने गई.
1936 में जब भारत ने फिर से इंग्लैंड का दौरा किया तब विजय मर्चेंट गए. उस समय आजादी की कोशिशों में लगे सभी नेता जेल से बाहर थे और 1935 के भारत सरकार कानून के तहत चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. ऐसे में मर्चेंट ने जाने का फैसला किया. उस दौरे पर तीन टेस्ट खेले गए और भारत 2-0 से हारा. लेकिन मर्चेंट सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाजों में दूसरे स्थान पर रहे. उन्होंने छह पारियों में 47 की औसत के साथ 282 रन बनाए. एक शतक और एक अर्धशतक उनके बल्ले से आया. फिर वे 1946 के इंग्लैंड दौरे पर भी गए और वहां तीन मैच में सर्वाधिक 245 रन बनाए थे.
मर्चेंट ने 10 टेस्ट के करियर में 47.72 की औसत से 859 रन बनाए. तीन शतक और इतने ही अर्धशतक उनके बल्ले से निकले.