भारत और इंग्लैंड के खिलाड़ी हेडिंग्ले टेस्ट के तीसरे दिन काली बांधकर खेलने उतरे. इससे पहले दोनों टीमें खेल शुरू होने से पहले एक जगह खड़ी हुई. इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर डेविड लॉरेंस के निधन के चलते यह कदम उठाया गया. वे एक साल से मोटर न्यूरॉन बीमारी (MND) से जूझ रहे थे. उन्होंने इंग्लैंड के पांच टेस्ट खेले और 18 विकेट लिए थे. काउंटी चैंपियनशिप में वे ग्लूसेस्टरशर का हिस्सा थे. उन्हें जून 2025 में ही ब्रिटेन के राजा के जन्मदिन के मौके पर मेंबर ऑफ मोस्ट एक्सीलेंस ऑर्डर में शामिल किया गया था.
लॉरेंस 16 साल तक ग्लूसेस्टरशर का हिस्सा रहे. यहां उन्होंने 185 फर्स्ट क्लास मैच खेले और 515 विकेट निकाले. वहीं 113 लिस्ट ए मुकाबलों में 155 शिकार उनके नाम रहे. 1981 में उन्होंने काउंटी डेब्यू किया था. एक ब्रिटिश बैंड लीडर के चलते उन्हें सिड निकनेम मिला था. लॉरेंस ने 1988 में श्रीलंका के खिलाफ लॉर्ड्स में खेले गए मुकाबले से टेस्ट डेब्यू किया था. इसमें तीन विकेट लिए थे. मगर इसके बाद तीन साल बाद उन्हें दोबारा टेस्ट खेलने को मिला. उसी साल उन्होंने वनडे डेब्यू भी किया.
न्यूजीलैंड दौरे पर चोट ने खत्म कर दिया करियर
आखिरी टेस्ट 1992 में न्यूजीलैंड दौरे पर खेला. तब वेलिंगटन टेस्ट के दौरान उनका घुटना फ्रैक्चर हो गया था. इसके बाद वह दोबारा इंग्लैंड के लिए नहीं खेल सके. इस चोट ने उनके करियर पर एक तरह से विराम लगा दिया. पांच साल बाद यानी 1997 में वे दोबारा खेलने उतरे और केवल चार काउंटी मुकाबले खेल पाए.
लॉरेंस के परिवार ने क्या कहा
लॉरेंस के परिवार ने उनके निधन पर कहा, 'गहरे दुख के साथ यह बता रहे हैं कि मोटर न्यूरॉन बीमारी से जूझते हुए डेव लॉरेंस गुजर गए. सिड क्रिकेट के मैदान और इसके बाहर एक प्रेरणादायी किरदार थे. जब वह गुजरे तब उनका परिवार साथ में था. सिड ने हर चुनौती का सामना किया और MND के साथ उनका संघर्ष भी इससे अलग नहीं रहा. सिड की पत्नी गेनोर और बेटा बस्टर सभी को उनके सहयोग के लिए शुक्रिया कहते हैं.'