नई दिल्ली. भारत और साउथ अफ्रीका के बीच चल रही तीन मैचों की टेस्ट सीरीज रोमांचक मोड़ पर आ गई है. दोनों टीमें एक-एक टेस्ट मैच जीत चुकी हैं और अब सीरीज का फैसला केपटाउन में होगा. सेंचुरियन की तरह केपटाउन भी साउथ अफ्रीका के लिए किले जैसा है. हालांकि सीरीज के पिछले दो टेस्ट मैचों के नतीजों ने यह तो बता दिया है कि अब कोई भी मैदान किसी टीम के लिए किला नहीं रहा है. केपटाउन में 1993 से लेकर 2018 तक भारत कुल पांच टेस्ट मैच खेला है लेकिन एक भी बार जीत का स्वाद नहीं चख पाया है. दो मैच ड्रॉ पर खत्म हुए तो वहीं तीन टेस्ट में साउथ अफ्रीका ने उसे धूल चटाई है. आइए जानते हैं क्या रही भारत की केपटाउन में खेले गए पांचों टेस्ट मैचों की दास्तां.
1993 में हुई थी पहली भिड़ंत
भारत और साउथ अफ्रीका के बीच केपटाउन में पहली भिड़ंत 1993 में हुई थी. टॉस साउथ अफ्रीका के हक में गया और कप्तान केप्लर वेसल्स ने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. साउथ अफ्रीका ने 9 विकेट खोकर 360 रन बनाए और पहली पारी घोषित कर दी. टीम के लिए सबसे ज्यादा 82 रन जॉन्टी रोड्स ने बनाए, उनके अलवा ब्रायन मैक्मिलन ने भी 52 रनों की पारी खेली. जवाब में भारतीय टीम पहली पारी में सचिन तेंदुलकर के 73 और मनोज प्रभाकर के 62 रनों की मदद से 276 रन ही बना पाई. साउथ अफ्रीका को दूसरी पारी में भारत के तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ ने परेशान किया और टीम ने छह विकेट खोकर 130 रन बनाकर पारी घोषित कर दी. श्रीनाथ ने चार विकेट चटकाए और भारत को 215 रनों का लक्ष्य मिला. लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम एक विकेट खोकर केवल 29 रन ही बना पाई और मैच ड्रॉ पर समाप्त हुआ.
1997 में 282 रनों से हारा भारत
1997 में केपटाउन टेस्ट भारत के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं गया. न तो बल्लेबाजी चली और न ही गेंदबाजी. साउथ अफ्रीका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. गैरी कर्स्टन के 103, मैक्मिलन के 103 और लांस क्लूजनर के 102 रनों की बदौलत साउथ अफ्रीका ने सात विकेट खोकर 529 रन बनाकर पारी घोषित कर दी. जवाब में पहली पारी में भारतीय टीम तेंदुलकर के 169 और मोहम्मद अजहरुद्दीन के 115 रनों के बावजूद 359 रनों पर ढेर हो गई. दूसरी पारी में साउथ अफ्रीका ने छह विकेट खोकर 256 रन बनाकर पारी घोषित कर दी और भारत को 427 रनों का विशाल लक्ष्य दे दिया. भारतीय टीम लक्ष्य का पीछा करने उतरी लेकिन साउथ अफ्रीकी तेज गेंदबाजों के सामने सरेंडर कर गई और 144 रनों पर सिमट गई. मेजबान टीम ने ये मैच 282 रनों से अपने नाम किया.
2007 में अच्छी शुरुआत के बावजूद हारा भारत
भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 414 रन बनाए. भारत के लिए वसीम जाफर ने 116 रन, दिनेश कार्तिक ने 63, तेंदुलकर ने 64 और सौरव गांगुली ने 66 रनों की पारी खेली. जवाब में साउथ अफ्रीका ने ग्रेम स्मिथ के 94 रन, हाशिम अमला के 63, जैक्स कैलिस के 54 और मार्क बाउचर के 50 रनों की पारियों की बदौलत 373 रन बनाए. दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाज कुछ खास नहीं कर सके और 169 रनों पर ढेर हो गए. साउथ अफ्रीका को 211 रनों का लक्ष्य मिला जो उन्होंने स्मिथ के 55 रनों की कप्तानी पारी की मदद से पांच विकेट खोकर हासिल कर लिया.
2011 में फिर ड्रॉ रहा मैच
भारत ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया. साउथ अफ्रीका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए जैक्स कैलिस के 161 रनों की बदौलत पहली पारी में 362 रन का स्कोर खड़ा किया. जवाब में भारत पहली पारी में सचिन तेंदुलकर के 146 और गौतम गंभीर के 93 रनों की मदद से 364 रन बनाने में कामयाब रहा. साउथ अफ्रीका दूसरी पारी में कैलिस की एक बार फिर 109 रनों कि शतकीय पारी की मदद से 341 रन बना पाया और भारत को 340 रनों का लक्ष्य मिला. दिन का खेल खत्म होने तक भारत ने तीन विकेट खोकर 166 रन बनाए थे जिससे मैच ड्रॉ पर खत्म हुआ.
2018 में फिर झेलनी पड़ी हार
केपटाउन में सिक्का साउथ अफ्रीका के पक्ष में गिरा और कप्तान फाफ डुप्लेसी ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. एबी डीविलियर्स के 65 रन और डुप्लेसी के 62 रनों की मदद से साउथ अफ्रीका ने पहली पारी में 286 रनों का स्कोर खड़ा किया. जवाब में भारतीय पारी केवल 209 रनों पर ही सिमट गई. भारत के लिए सबसे ज्यादा 93 रन हार्दिक पांड्या ने बनाए. दूसरी पारी में साउथ अफ्रीकी बल्लेबाजों पर भारतीय गेंदबाज हावी रहे और साउथ अफ्रीका की दूसरी पारी 130 रनों पर ही ढेर हो गई. भारत को 208 रनों का लक्ष्य मिला और भारतीय टीम वर्नोन फिलेंडर के आगे फेल रही. न तो कप्तान विराट कोहली का बल्ला चला, न चेतेश्वर पुजारा का और पूरी टीम मात्र 135 रनों पर ढेर हो गई और मैच 72 रनों से हार गई.