नई दिल्ली। साउथ अफ्रीका दौरे पर जब भारतीय टीम पिछले साल के अंत में दिसंबर माह में रवाना होने वाली थी उस समय भारतीय क्रिकेट में तमाम उथल-पुथल का दौर जारी था. भारतीय कप्तान विराट कोहली से वनडे कप्तानी छीनी जा चुकी थी और प्रेस कांफ्रेंस में कोहली व बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के विपरीत बयानों से माहौल काफी गर्म था. हालांकि इन सब बातों को दरकिनार करते हुए कोहली की टेस्ट कप्तानी वाली टीम इंडिया ने 26 दिसंबर से शुरू होने वाले बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच में जीत से आगाज किया और इसके बाद सभी क्रिकेट पंडित से लेकर दिग्गज तक का मानना था कि भारत इस दौरे पर 29 सालों बाद टेस्ट सीरीज में जीतकर लौटेगा. लेकिन कागजों पर कमजोर मानी जाने वाली साउथ अफ्रीकी टीम ने अपने घर में दमदार पलटवार किया और एक-एक करके टीम इंडिया की गलतियों का पिटारा खुलता गया. इसका आलम यह रहा कि भारत को जहां टेस्ट सीरीज में 1-2 से हार का सामना करना पड़ा और उसके बाद कप्तान विराट कोहली ने अपनी टेस्ट कप्तानी से इस्तीफ़ा भी दे डाला. जबकि रोहित शर्मा की अनुपस्थिति में पहली बार वनडे कप्तानी करने वाले केएल राहुल भी कुछ ख़ास नहीं कर सके और टेस्ट के बाद वनडे में भारतीय टीम का 0-3 से सूपड़ा साफ़ हो गया. ऐसे में टीम इंडिया की क्या वह 5 मजबूती थी जो उसके हार की वजह बनी और अब भारत को भविष्य के लिए खतरनाक संकेत मिले हैं. चलिए डालते हैं एक नजर :-
दमदार गेंदबाज लेकिन फ्लॉप अंदाज
भारतीय कप्प्तान विराट कोहली की टेस्ट में जीत के प्लान पर नजर डालें तो उनका सीधा नियम है कि धाकड़ तेज गेंदबाजों का इस्तेमाल करो और 20 विकेट चटकाकर मैच अपने नाम करो. इसके लिए टेस्ट टीम इंडिया में जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, शार्दुल ठाकुर और मोहमम्द सिराज के उपर जिम्मेदारी डाली गई. पूरी दुनिया की पिचों पर अपनी गेंदबाजी से कहर बरपाने वाले यही तेज गेंदबाज भारत की विदेशी धरती पर अभी तक मिलने वाली जीत की सबसे मजबूत कड़ी रहे. लेकिन साउथ अफ्रीका की तेज पिचों पर सही लेंथ की खोज नहीं कर सके और सीम व स्विंग कराने के चक्कर में इन सभी गेंदबाजों का प्रदर्शन वैसा नहीं रहा. जिसके लिए इन्हें दुनिया में जाना जाता है. साउथ अफ्रीका में जहां उनके तेज गेंदबाजों ने तीन टेस्ट मैच में 59 विकेट हासिल किए तो भारतीय गेंदबाज मिलकर 60 में से सिर्फ 43 विकेट ही चटका सके. यही हाल वनडे सीरीज में भी रहा और भुवनेश्वर कुमार की गेंदबाजी ने काफी निराश किया. तीन मैचों की वनडे सीरीज में साउथ अफ्रीकी गेंदबाजों (तेज और स्पिन) ने मिलकर 24 विकेट चटकाए तो भारतीय गेंदबाज सिर्फ 14 विकेट ही ले सके. इस तरह मजबूत मानी जाने वाली भारतीय गेंदबाजी भी साउथ अफ्रीका दौरे पर हार की विलेन भी बनी.
टेस्ट हो या वनडे मध्यक्रम बना कमजोर कड़ी
साउथ अफ्रीका के खिलाफ जहां गेंदबाजों ने तो निराश किया ही वहीं बल्लेबाजों ने भी भारत को हार की दहलीज तक पहुंचाने में अपना पूरा योगदान दिया. टेस्ट सीरीज हो वनडे सीरीज, दोनों में भारत का मध्यक्रम पूरी तरह से फ्लॉप रहा. जिसके चलते भारत एक मजबूत स्कोर नहीं खड़ा कर सका और उसे बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा. टेस्ट सीरीज की बात करें तो चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे का बल्ला इस सीरीज में भी खामोश रहा और जब - जब भारत को इनकी जरूरत पड़ी. ये दोनों बल्लेबाज पीठ दिखाकर पवेलियन की तरफ लौट आए. इसका आलम यह रहा कि पुजारा ने तीन टेस्ट मैचों की 6 पारियों में 20.6 की औसत से सिर्फ कुल 124 रन बनाए. जबकि रहाणे की बात करें तो उनके नाम 22.6 की औसत से कुल 136 रन दर्ज हैं. जिसके चलते इनका बल्लेबाजी में नाकाम रहना भी भारत को काफी भरी पड़ा है.
वहीं वनडे सीरीज में बात करें तो ऋषभ पंत ने जरूर दूसरे वनडे मैच में करियर की बेस्ट 85 रनों की पारी खेली थी. लेकिन बाकी दोनों मैचों में वह भी कमाल नहीं दिखा सके. भारत की तरफ से वनडे सीरीज में पंत के अलावा श्रेयस अय्यर, सूर्य कुमार यादव, वेंकटेश अय्यर इन सभी ने निराश किया. भारत के मध्यक्रम यानि 4 से लेकर 7 नंबर तक के बल्लेबाजों के आंकडें पर नजर डालें तो इन सभी ने मिलकर तीन मैचों की सीरीज में 29 के शर्मनाक औसत से रन बटोरे. जबकि 4 से लेकर 7 नंबर तक आने वाले साउथ अफ्रीकी बल्लेबाजों ने 63 की औसत से रन बटोरे. इस तरह दोनों सीरीज में मध्यक्रम का न चलना भी भारत के हार की बड़ी वजह बना.
टेस्ट व वनडे सीरीज में कई बार शिकंजा कसने की हालत में थी टीम
सेंचुरियन में पहला मैच जीतने के बाद ऐसा नहीं है कि बाकी के दो टेस्ट मैच भारत एकतरफा तरीके से हारा हो. दोनों मैचों में टीम इंडिया के पास बढ़त बनाने का मौका था. लेकिन दोनों टेस्ट मैचों में उनके बल्लेबाज नाकाम रहे. जोहानिसबर्ग टेस्ट मैच में जब रहाणे और पुजारा के बीच 111 रनों की साझेदारी हुई थी तब 29 पर भारत ने अपने निचले क्रम के चार बल्लेबाजों को गंवा दिया था. इस समय ऋषभ पंत को टिक कर बल्लेबाजी करनी थी लेकिन वह बड़ा शॉट लगाने के चक्कर में चलते बने और भारत बड़ी बढ़त हासिल रकने में नाकाम रहा. कुछ ऐसा ही केपटाउन में देखने को मिला जब पंत एक तरफ अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे तब कप्तान कोहली ने तो 29 रन बनाकर उनका साथ निभाया. लेकिन जैसे ही कोहली आउट हुए उसके बाद टीम इंडिया के बल्लेबाज ताश के पत्ते की तरह बिखर गए. जिसके चलते वह बड़ा स्कोर नहीं खड़ा कर सकी और 212 रनों के लक्ष्य को आसानी से साउथ अफ्रीका ने हासिल कर लिया. इस तरह कुछ मौकों पर चौका न लगाने के चक्कर में भी भारत को हार का मूंह देखना पड़ा.
जबकि वनडे सीरीज में बात करें तो दूसरे वनडे मैच में 85 रन पर बल्लेबाजी करने वाले पंत से उम्मीद थी कि वह एक बड़ी पारी खेलंगे और पार्ल के मैदान में भारत 300 का स्कोर आसानी से बना सकता है. लेकिन उसी बीच पंत ने तबरेज शम्सी की गेंद पर लापरवाही भरा शॉट खेलकर अपना विकेट गंवाया और उसके बाद भारतीय बल्लेबाजी 287 रन ही बना सकी. इसके बाद तीसरे वनडे मैच में शिखर धवन और विराट कोहली फिफ्टी जड़कर मैच में आसानी से बल्लेबाजी कर रहे थे. इस बार भी लग रहा था कि भारत 288 रनों के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेगा लेकिन 116 के कुल स्कोर पर जैसे धवन आउट हुए उसके बाद अगली हो गेंद पर पंत ने इतना खराब शॉट खेला कि खुद नॉन स्ट्राइक एंड पर खड़े कोहली उनसे नाराज दिखे. इस तरह पंत ने फिर से टीम इंडिया को बीच मझदार में धकेल दिया और अंत में जब 17 गेंदों में 10 रन बनाने थे तब भारत के 8 विकेट गिर चुके थे लेकिन उपकप्तान जसप्रीत बुमराह और युजवेंद्र चहल ये रन भी नहीं बना सके. जिससे भारत को 4 रन से हार का सामना करना पड़. इस तरह कई मौकों को भारत नहीं भुना सका.