कुछ यूं रही चेन्नई के आईपीएल खिताबों की रोमांचक कहानी

कुछ यूं रही चेन्नई के आईपीएल खिताबों की रोमांचक कहानी

नई दिल्ली। भारत हो या यूएई महेंद्र सिंह धोनी को जीतने से कोई नहीं रोक सकता. आईपीएल के पिछले 2020 सीजन में सातवें स्थान पर रहने के बाद धोनी ने कह दिया था कि 2021 में वह मजबूत वापसी करेंगे और ऐसा उन्होंने आईपाएल 2021 सीजन का खिताब जीत्कार्के दिखा भी दिया. चेन्नई सुपरकिंग्स ने इस सीजन के खिताबी मैच में कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) को 27 रन से हराकर चौथी बार आईपीएल के खिताब पर कब्जा किया. अब आईपीएल को सबसे ज्यादा बार जीतने के मामले में मुंबई इंडियंस के पांच खिताबों के बाद चेन्नई की टीम दूसरे स्थान पर आ गई है. वहीं इसके बाद फाइनल में तीसरे खिताब से चूकने वाले केकेआर दो आईपीएल ख़िताब के साथ इस लिस्ट में तीसरे स्थान पर है. हालांकि इस सीजन चेन्नई की टीम कैसे चैंपियन बनी यह तो आप जानते ही हैं, लेकिन पिछले तीन खिताब उसने किस अंदाज में जीते. इसके बारे में भी हम आपको बताते हैं.

2010 में पहली बार बने विजेता
2008 में राजस्थान रॉयल्स से पहली बार आईपीएल का विजेता बनने का जो सपना टूटा था वह 2010 में जाकर पूरा हुआ. टीम ने मुंबई इंडियंस को उसी के घर पर हराकर आईपीएल का ताज पहली बार पहना. 2010 के आईपीएल में चेन्नई की टीम ने लीग स्टेज में तीसरे नंबर पर रही थी. लीग स्टेज के 14 मैचों में चेन्नई ने 7 मैच जीते थे और 7 मैचों में उसे हार का सामना करना पड़ा था. टीम ने 14 अंकों के साथ तीसरे पायदान पर खत्म किया था. चेन्नई की टीम ने सेमिफाइनल में आसानी से जीत दर्ज की और फाइनल में जगह बनाई. फाइनल मुकाबले में चेन्नई का मुकाबला मुंबई से हुआ. पहले बल्लेबाजी करते हुए चेन्नई ने रैना के 57 रनों की बदौलत 5 विकेट पर 168 रनों का स्कोर खड़ा कर दिया. जवाब में गेंदबाजों की अच्छी गेंदबाजी के चलते मंबई 20 ओवरों में 9 विकेट पर 146 रन ही बना पाई. इस तरह चेन्नई ने फाइनल मुकाबले में मुंबई को 22 रनों से हराकर अपना पहला आईपीएल खिताब जीता. टीम के लिए सुरेश रैना ने सबसे ज्यादा 520 रन बनाए और गेंदबाजी में श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन ने 15 विकेट लिए थे.

2011 में खिताब बचाने में रहे सफल
धोनी 2011 विश्व कप जीतकर आए थे और उनक अंदर खिताब जीतने का हौसला बुलंदियों पर था. आईपीएल से पहले एक बड़ा ऑक्शन हुआ था और चेन्नई की टीम में कई नए खिलाड़ी शामिल हुए थे. लोकिन जिस तरह से चेन्नई ने पूरे सीजन प्रदर्शन किया उससे लगने लगा कि चेन्नई अपने खिताब को आराम से बचा लेगी. लीग स्टेज में चेन्नई ने 14 मैचों में 9 जीते और 5 हार हारे और 18 अंको के साथ अंक तालिका में दूसरे स्थान पर रही. फाइनल में टीम का सामना रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर से हुआ. बैंगलौर की टीम गजब के फॉर्म में थी और उसके पास क्रिस गेल और विराट कोहली जैसे धाकड़ बल्लेबाज थे. लेकिन चेन्नई में खेले गए फाइनल में बैंगलौर कि टीम की एक भी न चली. चेन्नई ने पहले बल्लेबाजी करते हुए मुरली विजय की 95 रनों की धमाकेदार पारी के चलते 20 ओवरों में 5 विकेट पर 205 रन टांग दिए. जवाब में आरसीबी की टीम 9 विकेट पर केवल 147 रन ही बना पाई. चेन्नई अपना दूसरा खिताब जीतने में सफल रही और धोनी उस वक्त पहले ऐसे कप्तान बने जो आईपीएल का खिताब सफलतापूर्वक बचा सके. चेन्नई के लिए सबसे ज्यादा रन, 492 माइकल हसी ने बनाए और सबसे ज्यादा 20 विकेट रविचंद्रन अश्विन ने लिए.