आईपीएल (IPL 2023) के 16वें सीजन में राजस्थान रॉयल्स के सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल तूफानी अंदाज से बल्लेबाजी कर रहे हैं. महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ यशस्वी ने 43 गेंदों पर आठ चौके और चार छक्के से 77 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली. जिसके मुरीद चेन्नई के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी हो गए और उन्होंने मैच बाद यशस्वी की तारीफ़ भी कर डाली. जबकि सोशल मीडिया पर फैंस उन्हें अब अगला वीरेंद्र सहवाग बताने लगे हैं. वहीं उनके बचपन के कोच ज्वाला सिंह ने बताया कि कैसे साल 2020 आईपीएल सीजन के बाद उसे विस्फोटक बल्लेबाज बनाया. जिसका नतीजा इन दिनों देखने को मिल रहा है.
पहले धीमा खेलते थे यशस्वी
यशस्वी जायसवाल अभी तक राजस्थान के लिए 8 मैचों में 38 के बेहतरीन औसत से 304 रन ठोक चुके हैं. उनकी बल्लेबाजी के बारे में कोच ज्वाला सिंह ने स्पोर्ट्स तक से बातचीत में कहा, "देखिये जब वह अंडर-19 वर्ल्ड कप खेलने के बाद भारत आया फिर उसका चयन आईपीएल में हो गया था. इसके बाद अपने पहले आईपीएल सीजन में वह कुछ ख़ास नहीं कर सका था. तब मैं समझ गया था कि यशस्वी के साथ क्या समस्या हो रही है. इसके बाद फिर वह मेरे पास वापस आया और अगले सीजन के लिए हमने अलग से ट्रेनिंग प्लान बनाया."
अंडर-19 वर्ल्ड कप में भी बरसाए रन
साल 2020 अंडर-19 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया को फाइनल मुकाबले में बांग्लादेश के खिलाफ हार झेलनी पड़ी थी. इस टीम इंडिया में यशस्वी जयसवाल सलामी बल्लेबाज की भूमिका निभा रहे थे और फाइनल मुकाबले में 121 गेंदों में 88 रनों की पारी भी खेली थी. जबकि टूर्नामेंट के 6 मैचों में 400 रन ठोक डाले थे. इसी प्रदर्शन के आधार पर राजस्थान ने उन्हें अपनी टीम में आईपीएल 2020 सीजन के लिए 2.4 करोड़ की रकम देकर शामिल किया था. मगर पहले आईपीएल सीजन में वह छाप नहीं छोड़ सके थे और तीन मैचों में सिर्फ 40 रन ही बना सके थे.
ज्वाला सिंह ने आगे कहा, "उस ट्रेनिंग के बाद यशस्वी लगातार आईपीएल में अच्छा करता आ रहा है. इस सीजन अभी तक वह तीन फिफ्टी भी जड़ चुका है और अब वह पूरी तरह से परिपक्व बल्लेबाज नजर आ रहा है. ये सब उसकी मेहनत का नतीजा है और मैं उसकी बल्लेबाजी से काफी खुश हूं."
यशस्वी मेरे बेटे जैसा है
ज्वाला सिंह ने यशस्वी के शुरुआती दिनों को याद करते हुए अंत में कहा, "जब वह मुंबई के आजाद मैदान में खेलता था. तभी मेरी नजर उस पर पड़ी फिर मुझे उसकी आर्थिक स्थिति के बारे में पता चला तो मैं उसे साल 2013 में अपने पास ले आया. मैंने उसे क्रिकेट में आगे बढाया और उसके लिए मैं सिर्फ कोच ही नहीं बल्कि पैरेंट्स की तरह हूं. वह मेरे बेटे जैसा है. मैं उसको सिर्फ एक ही मंत्र देता हूं कि क्रिकेट में सफलता की सबसे बड़ी कुंजी कंसिस्टेंसी है. उसी पर फोकस रखना है. बाकी मंजिले अपने आप मिलती रहेंगी."
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