न्यूजीलैंड के विलियम ओ राउरके बचे हुए टूर्नामेंट के लिए लखनऊ सुपर जायंट्स में उनकी जगह लेंगे. ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ में छह महीने के ‘रिहैबिलिटेशन’ के बाद वापसी करने वाले मयंक ने दो मैच में आठ ओवरों में 100 रन दिए और सिर्फ दो विकेट लिए. चोट की वजह से वह लखनऊ की टीम से देरी से जुड़े थे और सिर्फ दो मैच खेलकर ही बाहर हो गए.उनकी रफ्तार में कम से कम 15 किमी प्रति घंटे की गिरावट आई थी और गेंदबाजी एक्शन में बदलाव हुआ है.
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रिकॉर्ड के लिए मयंक ने 30 मार्च 2024 और चार मई 2025 के बीच नौ टी20 मैच खेले हैं, जो ठीक 13 महीने और चार दिन है.इन नौ मैचों में उन्होंने पिछले साल लखनऊ के लिए चार टी 20 मैच खेले थे, जब उन्होंने लगातार 150 किमी प्रति घंटे की गेंद डालकर धमाल मचाया था. इस दौरान तीन बार उनकी पीठ की चोट उभरी.
मयंक की चोट का रिकॉर्ड
मयंक को पहली बार चोट उसी साल अप्रैल में लगी थी और वह छह महीने तक बाहर रहे. उसके बाद अजीत अगरकर और गौतम गंभीर ने उन्हें बांग्लादेश सीरीज के लिए भारत की टी20 टीम में शामिल किया. सीरीज खत्म होने तक उनकी पीठ की चोट फिर उभर आई और वह एनसीए और फिर बीसीसीआई के सीओई में रिहैबिलिटेशन के कारण पूरे घरेलू सीजन से बाहर रहे.
एनसीए में काम कर चुके ‘स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग ट्रेनर’ ने पीटीआई को बताया-
अब जब नितिन पटेल चले गए हैं तो आप नहीं जानते कि मयंक के रिहैबिलिटेशन के बारे में किससे पूछा जाए. अगला सवाल जो पूछा जाना चाहिए कि क्या उन्हें समय से पहले ‘फिट’ होने का सर्टिफिकेट दिया गया था, बिना यह सुनिश्चित किए कि उनकी पीठ की चोट दो मैचों के भीतर फिर से उभर सकती है? मयंक यादव और उमरान मलिक की चोट के रिहैबिलिटेशन की डेडलाइन में बहुत कुछ कमी रह गई है.
मयंक अभी 22 साल के है और उनके सामने क्रिकेट के कई साल हैं, लेकिन लगातार होने वाली इस चोट के कारण चयन समिति का उन पर से भरोसा उठ सकता है. उनके पास बीसीसीआई के तेज गेंदबाज का अनुबंध है, लेकिन बार-बार चोट लगने के कारण उन्हें विदेशी स्पेशलिस्ट से सलाह लेने की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन सीओई ने इस पर पूरी तरह से आपत्ति जताई है.