बाएं हाथ के कलाई के स्पिनर कुलदीप यादव ने कहा कि जब भारतीय टीम में उन्होंने अपना स्थान गंवा दिया था तो वह नहीं जानते थे कि इसका सामना कैसे करें. लेकिन चोट के कारण लंबे समय तक बाहर रहने के बाद उन्हें अपनी लय बदलने का फायदा मिल रहा है जिससे अब वह असफलता से भयभीत नहीं होते हैं. उत्तर प्रदेश के 27 साल के इस गेंदबाज ने रविवार (25 सितंबर) को न्यूजीलैंड ए के खिलाफ दूसरे अनाधिकृत वनडे में भारत ए की जीत में हैट्रिक सहित चार विकेट झटककर अहम भूमिका निभायी.
कुलदीप ने मैच के बाद कहा, ‘मैं नहीं जानता था कि काफी ‘गेम टाइम’ नहीं मिलने का सामना किस तरह से करूं. चोट से उबरने के लिये चार महीने तक बाहर रहने के बाद मैंने महसूस किया कि मुझे तेजी से गेंद फेंकने की जरूरत है और मैंने इस पर काम करना शुरू किया. मैं अब असफलता से नहीं डरता.’ कुलदीप ने भारत के लिए सात टेस्ट, 69 वनडे और 25 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं. लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल के साथ उनकी जोड़ी ‘कुलचा’ के रूप में मशहूर हो गयी लेकिन वह खराब फॉर्म और चोटों के कारण राष्ट्रीय टीम से अंदर बाहर होते रहे.
चोटिल होने के बाद बदला खेल
आईपीएल 2021 में लगी थी चोट
कुलदीप को पिछले साल सितंबर में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के दौरान घुटने की चोट लगने के बाद सर्जरी करानी पड़ी. लंबे रिहैब के बाद उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज में शामिल किया गया और फरवरी में श्रीलंका के खिलाफ तीन टी20 मैचों में भी उन्हें चोटिल वाशिंगटन सुंदर की जगह लिया गया. लेकिन वह वेस्टइंडीज और श्रीलंका के खिलाफ केवल एक एक मैच खेले. उन्हें जून में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी20 अंतरराष्ट्रीय सीरीज से पहले नेट में बल्लेबाजी करते हुए फिर हाथ में चोट लग गयी.
कलाई की चोट से उबरने के बाद वह पिछले महीने वेस्टइंडीज के खिलाफ एक टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच में खेले थे. फिर वह जिम्बाब्वे के खिलाफ तीन वनडे की सीरीज में भी खेले.