ऑल इंडिया तृणमूल कॉन्ग्रेस के सांसद मोहम्मद नदीमुल हक ने संसद के प्रश्नकाल में क्रिकेट कमेंट्री के मुद्दे को उठाया है.नदीमुल ने ससंद में आकाशवाणी पर क्रिकेट कमेंट्री को जारी रखने की मांग करते हुए कहा कि आकाशवाणी की पहुंच की संख्या करोड़ों में हैं और इस क्षमता का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. उनका कहा कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड इतनी बड़ी संख्या में भी पहुंच बनाने के बावजूद आकाशवाणी को क्रिकेट कमेंट्री के ब्रॉडकास्ट का अधिकार नहीं देता. यह लोगों के उनके अधिकारों से दूर रखना है.
नदीमुल ने कहा कि आकाशवाणी को हर भाषा में क्रिकेट की कमेंट्री करानी चाहिए. सोनिया गांधी समेत दिग्गज नेताओं ने संसद में इस मुद्दे को काफी ध्यान से सुना. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी नदीमुल की क्रिकेट कमेंट्री को लेकर महत्वाकांक्षा की सराहना की. नदीमुल ने कहा-
सरकार रेडियो पर क्रिकेट कमेंट्री की परंपरा को सालों से खत्म कर रही है.रेडियो क्रिकेट कमेंट्री में कई दिग्गज कमेंटेटर्स हुए हैं. रेडियो पर भारतीय क्रिकेट कमेंट्री अब इतनी खराब स्थिति में क्यों हैं. हिंदी में सुशील दोशी और विनीत और इंग्लिश में सुनील गुप्ता और प्रकाश वानकर को छोड़कर यह बोरिंग है.
आकाशवाणी के लिए अच्छा कंटेंट और वर्ल्ड क्लास क्रिकेट प्रोड्यूस करके ज्यादा से ज्यादा ऑडियंस तक पहुंचने की संभावना है.बीबीसी और ABC हमेशा अच्छे कमेंटेटर्स का इस्तेमाल करते हैं. आकाशवाणी देश का नेशनल ब्रॉडकास्टर हैं और इसके 591 स्टेशन हैं, जो 98 फीसदी आबादी तक पहुंचते हैं.
साल 2022 के शुरुआती तीन महीनों में आकाशवाणी सुनने वालों का हर महीने का औसत 2 करोड़ था. भारत के पॉडकास्ट सुनने वाली की संख्या करीब 17 करोड़ होने का अनुमान है, फिर भी बीसीसीआई और चैनल आकाशवाणी को रेडिया के अधिकार नहीं देते.
उन्होंने कहा कि फंड का हवाला देते हुए वेन्यू पर कमेंटेटर्स को नहीं भेजते. उन्होंने हर भाषा में कमेंट्री, कमेंटेटर्स की चयन प्रकिया की मांग की. उन्होंने क्रिकेट समझने वालों को चुनने की मांग की.
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