मोहम्मद सिराज ने भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी जगह पक्की कर ली है. घरेलू मैदानों पर और विदेशी पिचों पर उनकी शानदार गेंदबाजी ने सबका ध्यान खींचा है. लेकिन, उनकी यह कामयाबी आसान नहीं थी. सिराज ने यहां तक पहुंचने के लिए काफी मुश्किलों का सामना किया है. वहीं उनकी मेहनत ही है जो उन्हें यहां तक लेकर आई है.
हीरो से जीरो तक
सिराज ने कहा कि एक मैच में लोग आपको हीरो बनाते हैं और अगले ही मैच में जीरो. उन्होंने बताया कि ऐसी बातें सुनकर दुख होता था, लेकिन उन्होंने इन आलोचनाओं को नजरअंदाज करना सीख लिया.
आलोचना से ऊपर उठने की सीख
सिराज ने समझ लिया कि दूसरों की राय पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, "मैंने फैसला किया कि मुझे बाहरी लोगों की राय या तारीफ की जरूरत नहीं. मेरे लिए मेरे साथी खिलाड़ी और परिवार की राय मायने रखती है. बाकी लोग क्या सोचते हैं, मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता."
शानदार वापसी और मजबूत इरादे
सिराज की वापसी उनकी मानसिक ताकत को दिखाती है. उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ धांसू प्रदर्शन किया और सीरीज ड्रॉ कराई. खासकर तब, जब स्टार गेंदबाज जसप्रीत बुमराह चोट और वर्कलोड मैनेजमेंट की वजह से नहीं खेल रहे थे. सिराज ने बार-बार अपनी काबिलियत साबित की.