Exclusive: 12 साल की उम्र में हासिल किया पहला बड़ा खिताब, ब्रॉन्ज मेडल जीतकर अल्मोड़ा के लक्ष्य सेन ने लिख दी बैडमिंटन की नई कहानी

Exclusive: 12 साल की उम्र में हासिल किया पहला बड़ा खिताब, ब्रॉन्ज मेडल जीतकर अल्मोड़ा के लक्ष्य सेन ने लिख दी बैडमिंटन की नई कहानी

नई दिल्ली। BWF बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में दो भारतीयों के बीच मुकाबला था. एक थे 20 साल के लक्ष्य सेन और एक 28 साल के किदांबी श्रीकांत. एक खिलाड़ी जहां वर्ल्ड नंबर 1 होने के अपने खोए हुए गौरव को वापस पाने की लड़ाई लड़ रहा था तो वहीं दूसरा खेल के सबसे बड़े टूर्नामेंट में अपने पहले आउटिंग में इतिहास रचना चाहता था. लेकिन अल्मोड़ा के लक्ष्य सेन को अंत में हार का सामना करना पड़ा और ब्रॉन्ज मेडल से संतुष्ट होना पड़ा. हार तो मिली लेकिन इतिहास भी बना गया. लक्ष्य सेन भारतीय बैडमिंटन इतिहास में मेडल जीतने वाले सबसे युवा शटलर बन गए हैं. लक्ष्य ने अपना पहला बड़ा टाइटल 12 साल की उम्र में अंडर 15 नेशनल खेलकर हासिल किया था. इसके बाद उन्होंने 15 साल की उम्र में अंडर 19 खेला. लक्ष्य युवा ओलिंपिक खेलों (रजत -2018), जूनियर विश्व चैंपियनशिप (कांस्य - 2018) और सीनियर विश्व चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाले एकमात्र भारतीय शटलर बन गए हैं. ऐसे में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद लक्ष्य से स्पोर्ट्स तक ने एक्सक्लूसिव बातचीत की. ऐसे में लक्ष्य की क्या तैयारियां हैं, उन्हें क्या पसंद है और कोच को लेकर क्या सोचते हैं. आईए सवालों- जवाबों में जानते हैं सबकुछ.

कल के मैच को लेकर क्या कहना चाहते हैं?
मेरे लिए ये पहला वर्ल्ड चैंपियनशिप टूर्नामेंट था. ऐसे में इसका अनुभव काफी अच्छा था. इस सीजन में हमने कई सारे मैच खेले हैं जिसमें से ये टूर्नामेंट 8वां या 9वां था. ऐसे में कई मैच काफी लंबे हुए थे, कुल मिलाकर मुझे काफी अनुभव मिला. खासकर मेरे फिटनेस, मेंटल हेल्थ और बाकी के चीजों को लेकर. ऐसे बड़े टूर्नामेंट में आप पर काफी दबाव होता है, मेरी तैयारी भी काफी अच्छी रही थी. मैं इसके लिए मानसिक तौर पर पूरी तरह तैयार था. मैच से पहले मैं मेडल के बारे में सोच नहीं रहा था. सेमीफाइनल काफी करीबी मैच था, मैं निराश हूं लेकिन कुल मिलाकर ये एक अच्छा टूर्नामेंट था. 


प्रकाश पादुकोण अकादमी के लिए ये कितनी बड़ी बात है?
मैं पिछले 10 सालों से उस अकादमी में खेल रहा हूं और काफी समय बाद हमें एक बड़े टूर्नामेंट में मेडल मिला है. मुझे शुरू से ही सपोर्ट मिला है. मैंने जब शुरुआत की तब से ही मुझमें सुधार हुआ है. विमल सर और प्रकाश सर को मैं शुक्रियाअदा करना चाहता हूं. मैं जब सेमीफाइनल में आया तो उन्हें मुझसे ज्यादा उम्मीदें थी. लेकिन ब्रॉन्ज जीतना भी एक बड़ी बात है और हम दोनों ही भारतीय खिलाड़ी सेमीफाइनल खेले इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता. ऐसे में अकादमी, भारतीय बैडमिंटन, और उत्तराखंड के लिए ये गर्व की बात है. अलमोड़ा के लिए ये बड़ी बात है. मैं वहां पैदा हुआ हूं. मैंने वहीं अभ्यास किया है. मेरे लिए उनका सपोर्ट काफी बड़ा है. वहां के बैडमिंटन परिवार का मैं शुक्रियाअदा करना चाहता हूं. वहां के लोगों ने मेरा काफी सपोर्ट किया है. मेरा ये मेडल उन्हीं के लिए है.


क्या आप अपने दोस्त, अल्मोड़ा और बाकी की चीजों को मिस करते हैं?


आपके गेम में सुधार दिखने लगा है, इसपर आपका क्या कहना है?
जब से मैंने सीनियर सर्किट में खेलने शुरू किया है तब से मुझे काफी फायदा मिला है. सुपर 100, चैलेंज टूर्नामेंट में मैच खेलने से मेरे गेम में सुधार आया है. जूनियर में मैं अटैकिंग गेम अच्छा खेलता था, लेकिन सीनियर सर्किट में आपको अलग अलग गेम खेलने को मिलता है. आप सभी के साथ एक जैसे गेम से नहीं जीत सकते. साल 2019 से मैं इसपर काम कर रहा हूं जिसमें आपको रैली बनाने पर ध्यान देना होता है. आपको स्टैमिना और शॉर्ट सेलेक्शन में सुधार करना होता है. मैं पहले से काफी अच्छा हो चुका हूं जो अब मेरे गेम में दिखने लगा है.


क्या ब्रॉन्ज जीतने से आप पर जिम्मेदारी बढ़ेगी?
बिल्कुल, पिछले 2 महीनों में जो मैंने टूर्नामेंट्स खेले हैं, जैसे वर्ल्ड कप क्वालीफायर, ये सब मेरे लिए बेहतरीन अनुभव हैं. इससे जिम्मेदारियां बढ़ती हैं, लेकिन जब मैं दूसरी बार खेलूंगा तो मुझे पता होगा कि मुझे क्या करना है. गेम के अंदर आपको काफी सीख मिलती है. ऐसे में इससे अगले मैच में आपको फायदा मिलता है. 


आपके पिता कठिन कोच हैं या विमल सर? क्या घर पर भी बैडमिंटन की ही बातें होती हैं?
देखिए घर पर बातें तो होती हैं लेकिन ट्रेनिंग और बाकी चीजों को लेकर. हमेशा हम बैटमिंटन को लेकर चर्चा नहीं करते. ज्यादातर पापा मेरे साथ ट्रैवल करते हैं जिससे मुझे मदद मिलती है. वो पीछे से भी मुझे गाइड करते हैं. उनकी राय मेरे लिए काफी मददगार साबित होती है. वहीं बैंगलोर में जब रहता हूं तो विमल सर मेरे साथ रहते हैं. विमल सर का नॉलेज काफी अच्छा है. वो एक लेवल पर खेले हैं तो उनकी कोचिंग से भी काफी मदद मिलती है. 


खाली वक्त कैसे बिताते हैं?
घर पर जब दोस्तों के साथ रहता हूं तो या तो प्लेस्टेशन खेलता हूं या दोस्तों के साथ बाहर घूमने जाता हूं. मुझे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट देखना पसंद है. आखिरी सीरीज मैंने मैराडोना देखी थी. एमेजॉन प्राइम पर जैसे मिर्जापुर और इंसाइड एड्ज देखना पसंद है. मुझे मार्वल और डीसी के भी मूवी पसंद हैं. मैं कोई भी मूवी नहीं छोड़ता और एवेंजर फैन हूं.