नई दिल्ली। भारत के पूर्व अनुभवी स्पिन गेंदबाज हरभजन सिंह ने अपने 24 साल के करियर में कई कप्तानों के लीडरशिप में क्रिकेट खेला. उन्होंने अपनी करिश्माई गेंदबाजी से भारत को कई मैच जिताए. क्रिकेट खेलते हुए उनके करियर में काफी उतार-चढ़ाव आए और उनका नाम कई अलग-अलग विवादों में जुड़ा, जिसमें से एक उनके और भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के बीच मनमुटाव को लेकर था. पिछले महीने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से रिटायरमेंट लेने के बाद हरभजन सिंह ने बताया कि उनके करियर के अंतिम दिनों के दौरान भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से उन्हें किसी तरह का सपोर्ट नहीं मिला. उन्हें कुछ बाहरी लोगों से पता चला कि अब वो बीसीसीआई की स्कीम ऑफ थिंग्स में नहीं है. जिसके बाद यह खबर आई हरभजन सिंह और महेंद्र सिंह धोनी के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था. लेकिन अब हरभजन सिंह ने साफ करते हुए कहा कि उनके और महेंद्र सिंह धोनी के बीच में कभी मनमुटाव नहीं हुआ था.
महेंद्र सिंह धोनी मेरे अच्छे दोस्त हैं
हरभजन सिंह ने अपने और धोनी के बारे में बात करते हुए कहा कि, "मेरे और धोनी के बीच में कभी भी ऐसा कुछ नहीं हुआ. मुझे धोनी से कोई शिकायत नहीं है. इन सभी सालों के दौरान हम बहुत अच्छे दोस्त रहे. अगर मुझे शिकायत है तो उस वक्त के बीसीसीआई से, मैं उस वक्त के बीसीसीआई को सरकार कह कर बुलाता हूं. उस वक्त बोर्ड में जो भी सेलेक्टर थे उन्होंने अपना काम सही से नहीं किया. उन्होंने टीम को कभी भी एकजुट नहीं होने दिया."
2011 वर्ल्ड कप विजेता टीम फिर कभी एक साथ क्यों नहीं खेली?
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में 2011 वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा रहे हरभजन सिंह ने आगे बताया, कि 2011 वर्ल्ड कप विजेता टीम के खिलाड़ी फिर कभी एक साथ खेलते हुए क्यों नहीं दिखे. उन्होंने कहा, "देखिए, हर कोई इस बारे में अपनी अलग अलग बात बताएगा. मैं केवल यह कहना चाहता हूं कि 2012 के बाद बहुत सी चीजें बेहतर हो सकती थीं. वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह, युवराज सिंह, गौतम गंभीर, हम सभी खिलाड़ी भारतीय टीम के लिए खेलकर संन्यास ले सकते थे, क्योंकि वे सभी आईपीएल में भी सक्रिय थे. यह विडंबना ही है कि 2011 की चैंपियन टीम फिर कभी एक साथ नहीं खेली. क्यों उनमें से केवल कुछ ही खिलाड़ी 2015 विश्व कप में खेले, क्यों."