'एमएस धोनी मुझे पसंद नहीं करते, अपने फेवरेट खिलाड़ियों को सपोर्ट करते थे', पूर्व भारतीय क्रिकेटर का सनसनीखेज बयान

'एमएस धोनी मुझे पसंद नहीं करते, अपने फेवरेट खिलाड़ियों को सपोर्ट करते थे',  पूर्व भारतीय क्रिकेटर का सनसनीखेज बयान
एमएस धोनी और मनोज तिवारी

Story Highlights:

मनोज तिवारी साल 2015 में अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच खेले थे.

तिवारी भारत के लिए कुल 15 मैच खेले हैं.

पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी ने अपने इंटरनेशनल करियर के दौरान के संघर्षो के बारे में खुलकर बात की है और एमएस धोनी को लेकर सनीखेज बयान दिया. तिवारी का कहना है कि धोनी उन्हें पसंद नहीं करते थे. जुलाई 2015 में ज़िम्बाब्वे के खिलाफ अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच खेलने वाले तिवारी का मानना ​​है कि तत्कालीन कप्तान धोनी की अगुआई ई वाली टीम मैनेजमेंट से उन्हें भरपूर सपोर्ट नहीं मिला और अपने अच्छे ऑलराउंड प्रदर्शन के दम पर उन्हें भारत के लिए खेलने के और मौके मिल सकते थे.

 

हर कोई एमएस को पसंद करता है और जाहिर है, उन्होंने समय के साथ अपनी कप्तानी से इसे साबित भी किया है, जिसके बारे में मैं हमेशा कहता हूं कि उनकी नेतृत्व क्षमताएं बहुत अच्छी थीं, लेकिन मेरे मामले में मुझे नहीं पता. आपके सवाल का जवाब सिर्फ़ वही दे सकते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि कुछ ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्हें वह वाकई पसंद करते थे और उस समय उन्होंने उनका पूरा समर्थन किया था. बहुत से लोग जानते हैं, लेकिन हर कोई आगे आकर इसके बारे में बात नहीं करता. इसलिए क्रिकेट में हर जगह एक बहुत ही गहरी पसंद और नापसंद होती है. इसलिए मैं मानता हूं कि मैं किसी एक को पसंद नहीं करता. हो सकता है कि वह मुझे पसंद नहीं करते थे.

तिवारी को धोनी के इस फैसले से बहुत बुरा लगा और उन्हें लगता है कि उनके अच्छे प्रदर्शन के बावजूद उन्हें अपने कुछ समकालीन खिलाड़ियों जितना समर्थन और मौके नहीं मिले. उन्होंने आगे कहा-

मुझे लगता है कि एमएस धोनी, डंकन फ्लेचर और चयनकर्ता ही इसका जवाब दे पाएंगे, क्योंकि अभी तक मुझे कोई जवाब नहीं मिला है. इसके अलावा मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो कोच, चयनकर्ताओं या उस समय के कप्तान को फोन करके इस सवाल का जवाब मांगू, लेकिन मैंने पहले भी कहा है कि जब भी मैं एमएस धोनी से मिलूंगा, तो उनसे जरूर पूछूंगा कि 100 रन बनाने के बाद मुझे मौका न दिए जाने के मुख्य कारण क्या थे.

हालांकि तिवारी धोनी की लीडरशिप क्‍वालिटी का सम्मान करते हैं, लेकिन उनका मानना ​​है कि अगर उन्हें उस दौर में कुछ अन्य खिलाड़ियों जैसा समर्थन मिलता, तो उनका करियर बिल्कुल अलग दिशा में जा सकता था. जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें धोनी से वैसा ही समर्थन मिला, जैसा कई अन्य खिलाड़ियों को मिला, तो तिवारी ने अपने अनुभव के बारे में खुलकर बात की.

बहुत से खिलाड़ी ऐसे हैं, जो धोनी के अपने खिलाड़ियों के समर्थन के तरीके से अलग नजरिया रखते हैं. मेरे अनुभव में देखिए, मैं सिर्फ अपना अनुभव ही बता सकता हूं कि मेरे साथ क्या हुआ है. अगर उन्होंने सचमुच अपने खिलाड़ियों का समर्थन किया होता, तो उन्होंने मेरा भी जरूर समर्थन किया होता, क्योंकि मैंने उस खास मैच में और काफ़ी समय तक अच्छा प्रदर्शन किया था.

मनोज तिवारी ने भारत के लिए 12 वनडे खेले और 26.09 की औसत से 287 रन बनाए, जिसमें एक शतक और एक अर्धशतक शामिल है. तीन टी20 इंटरनेशनल मैचों में उन्हें सीमित बल्लेबाजी के मौके मिले और उन्होंने सिर्फ़ 15 रन बनाए.